भारत के मध्य प्रदेश(Madhya Pradesh) का दिल कहलाने वाला सागर जिला मध्य प्रदेश(Madhya Pradesh) का एक संभाग है। संभाग में सागर के अलावा दमोह(Damoh), छतरपुर(Chhatarpur), पन्ना निमड़ी(Panna Nimdi) और टीकमगढ़(Tikamgarh) है। सागर में प्रदेश का सबसे पुराना विश्वविद्यालय है जो अब केंद्रीय विश्वविद्यालय भी है।
सागर अपने समृद्ध इतिहास, मधुर बोली, संस्कृति की सुंदरता और लोकगीतों-लोक नृत्यों के लिए देश भर में प्रसिद्ध है। सागर बुंदेलखंड(Bundelkhand) के प्रसिद्ध नगरों में से एक है जो कि संभागीय मुख्यालय है।
यहाँ ना केवल बुंदेलखंड(Bundelkhand) की शौर्य संस्कृति और विरासत बसी हुई है बल्कि इस भूमि ने देश-विदेश तक बुंदेली संस्कृति को पहुँचाया है। सागर जिले में प्रमुख रूप से घसान, बेबस,बीना, बामनेर और सुनार नदियाँ निकलती है। इसके अलावा कड़ान, देहार, गधेरी व कुछ और छोटी बरसाती नदियां भी है।
सागर का इतिहास करीब 1600 ईस्वी पुराना बताया जाता है। विंध्य पर्वत शृंखला(Vindhya mountain range) के बीच स्थित यह जिला पुराने समय से ही मध्य भारत का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। सागर के आरंभिक इतिहास की वैसे तो कोई ठोस जानकारी उपलब्ध नहीं है लेकिन किताबों में बताई गई बातों के अनुसार पौराणिक काल में यह क्षेत्र गृह मानव का क्रीड़ा स्थान था।
पुराने समय के साक्ष्यों से पता चलता है कि इस जिले का भूभाग रामायण(Ramayana) और महाभारत(Mahabharata) काल से जुड़ा है और दर्शन जनपदों में शामिल है। इसके बाद 6वीं शताब्दी में यह उत्तर भारत के विस्तृत महाजन पदों में से एक चेदी साम्राज्य का हिस्सा बन गया। फिर इसे पुलिंग देश का हिस्सा बना दिया गया जिसमें बुंदेलखंड(Bundelkhand) का पश्चिमी भाग और सागर जिला शामिल था।
गुप्त वंश के शासन काल में इस क्षेत्र को सर्वाधिक महत्व मिला। समुन्द्रगुप्त (Samudragupta) के समय में एरण को स्वभोग नगर के रूप में जाना जाने लगा और यह राजकीय तथा सैन्य गतिविधियों का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गया। कहा जाता है कि सागर में उड़ान शाह जो कि निहाल सिंह(Nihal Singh) के वंशज थे। उन्होंने एक छोटा सा किला बनवाया था।
उड़ान शाह ने जो किला बनवाया था, उसे परकोटा कहा जाता था, जो कि आज भी शहर के बीचों-बीच मौजूद है। वहीं से पुराने शहर की बसावट की शुरुआत हुई है। बाद में यहाँ गोविंद राव पंडित(Govindrao Pandit) ने दूसरे किले का निर्माण करवाया उस वक्त सागर पर पेशवा का शासन था।
1818 में जिले का ज़्यादा से ज्यादा हिस्सा पेशवा बाजीराव द्वितीय(Peshwa Bajirao II) ने अंग्रेज़ों को सौंप दिया था। जबकि बाकि जिले के अलग-अलग हिस्सों पर 1818 से 1860 के बीच अंग्रेज़ों ने कब्ज़ा कर लिया। फिर आज़ादी के बाद सागर बुंदेलखडं(Bundelkhand) से जुड़ कर भारत का हिस्सा बन गया।
ऐतिहासिक जड़े रखने वाला सागर बुंदेलखंड(Bundelkhand) का सबसे सुंदर जिला है जहाँ घूमने के लिए बहुत सारे ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है। यहाँ देखने को सुंदर महल, मंदिर, शान्त झील और बहुत कुछ मिलता है।
1) लाखा बंजारा झील:- सागर की प्रसिद्ध जगह बंजारा झील(Lakha Banjara Lake) सागर के मध्य स्थित है और इस झील के चारों तरफ ही सागर शहर बसा हुआ है। इस झील को लेकर लोगों में बहुत मान्यता है। लाखा बंजारा(Lakha Banjara) नाम के एक व्यापारी थे जिन्होंने पानी के लिए यहाँ पर खुदाई की थी।
मगर यहाँ पानी नहीं निकला तब उनके करीबी व्यक्ति ने सलाह दी की उन्हें किसी खास की कुर्बानी देनी होगी और झील के बीचों-बीच उनको बैठाकर झूला झूलना पड़ेगा।
राजा ने अपने नवविवाहित बेटे और बहु को इस झील के बीच में बैठाकर झूला झुलाया और झील पानी से भर गया। उस पानी में डूबकर उनके बेटा और बहु की मृत्यु हो गई। तब से इस झील को लाखा बंजारा झील(Lakha Banjara Lake) के नाम से जाना जाने लगा।
2) मोराजी दिगंबर जैन मंदिर:- मोराजी दिगंबर जैन मंदिर(Moraji Digambar Jain Mandir) सागर का एक प्राचीन मंदिर है। यह दिगंबर जैन समुदाय का सागर में स्थित सबसे बड़ा मंदिर है। यह मंदिर सागर के बड़ा बाजार में स्थित है जिसकी खूबसूरती देखने लायक है। इस मंदिर में भगवान महावीर और बाहुबली की बहुत बड़ी काले रंग की प्रतिमा स्थापित है। इस मंदिर में धर्मशाला भी स्थित है जहाँ तीर्थयात्रा आकर रुक सकते हैं।
3) बया इको पार्क:- बया इको पार्क(Baya Eco Park) सागर जिले में रहली के पास स्थित है। इस पार्क में ढेर सारे पक्षियों की प्रजातियां देखने के लिए मिलती है लेकिन यह मुख्य रूप से बया पक्षियों(baya birds) का प्राकृतिक आवास है इस लिए इसका नाम बया इको पार्क पड़ा। यह पक्षी अपना घोसला बहुत ही सुंदर तरीके से बनता है। यह जगह चारों तरफ से पहाड़ियों से घिरा हुआ है।
4) राहतगढ़ का किला:- सागर का प्राचीन और ऐतिहासिक किला राहतगढ का किला (Rahatgarh Fort) अब खंडर अवस्था में है। राहतगढ़ का किला(Rahatgarh Fort) बहुत ही सुंदर है। यहाँ पर देखने के लिए कुंड मिलेगा जो बहुत गहरा है।
इस कुंड का पानी साफ़ है और इसमें मछलियाँ भी मौजूद है। यहाँ पर रंग महल भी देखने को मिलता है जो खंडर अवस्था में मौजूद है। यहाँ पर फँसी घर भी है जहाँ लोगों को फांसी दी जाती थी। फँसी घर से राहतगढ़(Rahatgarh) नगर का बहुत सुंदर दृश्य देखने के लिए मिलता है। इस किले में मंदिर-मस्जिद भी है। यह किला सागर से लगभग 35 किमी की दूरी पर है।
सागर ट्रेन मार्ग, हवाई मार्ग या सड़क मार्ग से जाया जा सकता है।
हवाई मार्ग से ढाना आने के बाद गाडी या टैक्सी से सागर तक की यात्रा की जा सकता है।
रेल मार्ग से सागर जाने के लिए सीधी सागर की ट्रेन का सफर कर यहाँ आया जा सकता है।
सड़क मार्ग से सागर देश के छोटे-बड़े शहर से अच्छे से जुड़ा हुआ है इस लिए बस, टैक्सी या निजी वाहन से यात्रा की जा सकती है।
अगर रुकने की बात करें तो सागर में हर प्रकार के होटल उपलब्ध है जिसे अपनी सुविधा के अनुसार बुक किया जा सकता है।