हीरों के लिए जाना जाने वाला पन्ना(Panna) मध्य प्रदेश(Madhya Pradesh) का एक ऐतिहासिक नगर है। 1675 में जब बुंदेलखंड(Bundelkhand) के राजा छत्रसाल ने इसे अपनी राजधानी बनाया तो इस शहर का महत्त्व और बढ़ गया। 1921 में यहाँ नगरपालिका का गठन हुआ था।
इसके आसपास के क्षेत्र ज़्यादातर पहले के समय के पन्ना(Panna) और आजमगढ़ (Azamgarh) के हिस्से है जिसमें पन्ना श्रृंखला नाम के पर्वतीय क्षेत्र शामिल है। पन्ना एक ऐतिहासिक नगर है जिसका उल्लेख विष्णु पुराण और पद्म पुराण में किलकिल प्रदेश(Kilkil Pradesh) के रूप में होता है।
नागवंश की कुलदेवी पद्मावती किलकिला(Padmavati Kilkila) नदी के किनारे स्थापित है इसकी वजह से इसे पहले पद्मा फिर परना झिरना और बाद में पन्ना कहा जाने लगा। 1675 में बुंदेलखंड (Bundelkhand) के शासक छत्रसाल(Chhatrasal) ने अपने आध्यात्मिक गुरु स्वामी प्राणनाथ(Swami Prannath) के आदेश पर पन्ना को राजधानी घोषित कर दिया जिसके बाद इस शहर का महत्त्व और बढ़ गया।
इसमें पन्ना श्रृंखला नामक पर्वतीय श्रृंखला भी शामिल है जो विंध्य श्रृंखला की शाखा है। त्रेता युग में भगवन श्रीराम चित्रकूट(Chitrakoot) होते हुए पन्ना से उसकी आस-पास की जगह होते हुए सिद्ध नाथ आश्रम(Siddha Nath Ashram) गए थे और कुछ समय बिताया था।
कहा जाता है पन्ना सतयुग से प्रसिद्ध है। राजा दक्ष ने पन्ना में ही यज्ञ किया था। यहाँ चह वेदी बानी हुई है जिसमें गिरकर सती ने अपने प्राणों की आहुति। अब यह कुंड बन गया है जिसका पानी हमेशा गर्म रहता है।
प्राचीन काल में पन्ना चेदि राज में था उसके बाद यह चंदेली के अधीन हो गया। सम्राट अकबर (Emperor Akbar) से जहाँगीर(Jahangir) के युग तक यह राज्य गौंडा(Gounda) के अधिकार में रहा। गौंडों के पतन के बाद पन्ना मुग़ल शासन के अधीन हो गया। उसके बाद छत्रसाल(Chhatrasal) ने अपने पराक्रम से इस क्षेत्र को जीत लिया और इसे अपनी राजधानी बना ली।
मुग़ल सम्राट बहादुरशाह(Mughal Emperor Bahadur Shah) ने 1708 में छत्रसाल की सत्ता को मान लिया। पन्ना में स्थित ऐतिहासिक महत्त्व वाले भवन में 1756 में बना स्वामी प्राणनाथ मंदिर(Swami Prannath Maharaj Mandir) और 1795 में बना श्री बलदेवजी मंदिर शामिल है। स्थानीय लोगों का मन्ना है कि प्राचीन काल में पन्ना की बस्ती किलकिला नदी(Kilkil River) के उस पार बसी हुई थी जहाँ राजगैंड(Rajgand) और कोल लोगों का राज्य था।
पन्ना से 2 मील उतर की ओर महाराज छत्रसाल का पुराना महल आज भी खंडहर रूप में है।
हीरो के साथ-साथ पन्ना अपनी ऐतिहासिक महत्वता के लिए भी पुरे देश में मशहूर है। यहाँ इतिहास को दर्शाती इमारतें और महल मौजूद है। यहाँ मंदिर, झील, झरना सब देखने को मिलता है।
1) पांडव गुफा और झरना:- पन्ना का महत्वपूर्ण स्थान पांडव गुफा(Pandava Cave) और झरना यहाँ की खूबसूरती और ऐतिहासिक महत्वता को दर्शाता है। यहाँ पर एक सुंदर सा झरना है जो एक कुंड पर जा कर गिरता है। झरने के सामने एक गुफा बानी हुई है जिसके बारे में कहा जाता है कि प्राचीन काल में गुफा में पांडवों ने निवास किया था।
यहाँ पर शिवलिंग भी स्थापित है जिसके लिए कहा जाता है कि यह पांडवों ने अपने आवास के समय स्थापित किया था। पांडव गुफा और झरना पन्ना नेशनल पार्क के अंदर स्थित है। पन्ना से खजुराहो(Khajuraho) जाने का सफर करें तो यह स्थान देखने को मिलता है। अगर पांडव फॉल(Pandava Fall) की बात करें तो उसको देखने का सही समय बरसात का है क्योंकि गर्मी के समय वह सुख जाता है। यह जगह दिखने में बहुत सुंदर है और इसका जुड़ाव प्रकृति से पूरी तरह से है।
2) श्री पद्मावती देवी मंदिर:- पन्ना में बहुत मान्यता रखने वाला पद्मावती देवी मंदिर (Padmavati devi temple) घूमने के लिए सबसे उचित और खूबसूरत जगह है। इस मंदिर को पद्मावती शक्ति पीठ के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है यहाँ सती माता के दाहिने पैर गिरे थे। मंदिर के पीछे की तरफ किलकिला नदी बहती है। यह मंदिर पन्ना में अजयगढ़ बाईपास रोड(Azamgarh bypass Road) पर स्थित है जहाँ अपने निजी वाहन से आया जा सकता है।
3) प्राणनाथ मंदिर:- पन्ना का प्राणनाथ मंदिर(Prannath Temple) प्रनामी लोगों के लिए प्रमुख तीर्थ स्थान है। प्राण नाथ जी एक संत थे जिन्होंने इस जगह पर समाधी ली थी। यह मंदिर बहुत बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है। मंदिर के अंदर कांच का काम देखने को मिलता है जिसकी सुंदरता का कोई जवाब नहीं है।
मंदिर के अंदर एक म्यूज़िम(museum) भी है जिसमें प्राण नाथ जी की चीज़ों को संभाल कर रखा गया है। मंदिर के छत पर बहुत सुंदर नक्काशी की गई है और मंदिर के अंदर श्री कृष्ण के बहुत सारे चित्र देखने को मिलते है। यहाँ शरद पूर्णिमा(Sharad Purnima) के दिन बहुत बड़ा मेला लगता है जहाँ श्रद्धालुओं की बहुत भीड़ लगती है।
4) छत्रसाल पार्क:- पन्ना के मशहूर छत्रसाल पार्क(Chhatrasal Park) में राजा छत्रसाल(King Chhatrasal) की एक बड़ी सी मूर्ति देखने को मिलती हैं जो काले रंग की है और राजा उस मूर्ति में घोड़े पर सवार नज़र आते हैं। यह पार्क बहुत बड़े क्षेत्र में फैला है और इसमें तरह-तरह के फूल भी देखने को मिलते है।
पार्क में बच्चों के लिए झूले लगाए गए है और एक खिलोने की ट्रेन भी यहाँ मौजूद है। यहाँ पर जानवरों की मूर्ति देखने को मिलती है तो साथ ही बतख और खरगोश भी मौजूद है।
पन्ना पहुंचे के लिए रेल, रोड या हवाई मार्ग तीनों से यात्रा की जा सकती है।
रेल से यात्रा करने की बात करें को पन्ना के पास खुद का स्टेशन है जो ट्रेन के माध्यम से बड़े शहरों से जुड़ा है।
अगर हवाई यात्रा करें को सबसे पहले खजुराहो(Khajuraho) की प्लैन लेनी होगी जिसके बाद बस या निजी साधन से पन्ना आया जा सकता है। पन्ना और खजुराहो(Khajuraho) की दूरी लगभग 50 किमी की है।
सड़क मार्ग से भी पन्ना आने का रास्ता बहुत आसान है। क्योंकि पन्ना सड़क मार्ग से पुरे देश से अच्छे से जुड़ा है इस लिए बस, निजी वाहन या टैक्सी से पन्ना का सफर किया जा सकता है।
पन्ना में सभी प्रकार के होटल मौजूद है जिसे अपनी सुविधा के अनुसार बुक किया जा सकता है।