भारतीय क्रिकेट के भगवान मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर(master blaster sachin tendulkar) क्रिकेट के इतिहास में विश्व के सबसे अच्छे बल्लेबाज़ों में से एक हैं। वह भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाज़े जाने वाले सबसे पहले खिलाड़ी और सबसे कम उम्र के व्यक्ति है। उन्हें राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार(Rajiv Gandhi Khel Ratna) से भी सम्मानित किया गया है।
2008 में उन्हें पद्म विभूषण से भी नवाज़ा गया। 1989 में इंटरनेशनल क्रिकेट (international cricket) की दुनिया में आने के बाद उन्होंने बल्लेबाज़ी में भी कई रिकॉर्ड बनाए। उन्होंने टेस्ट और एक दिवसीय क्रिकेट, दोनों में सबसे अधिक शतक बनाये है।
वह टेस्ट क्रिकेट(test cricket) में सबसे ज़्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज़ है, इसके साथ ही टेस्ट क्रिकेट(test cricket) में 14,000 से ज़्यादा रन बनाने वाले एकमात्र खिलाडी है। एकदिवसीय मैचों(one day matches) में भी उन्होंने सबसे अधिक रन बनाने का रिकॉर्ड अपने नाम किया।
2001 में ओ.डी.आई.(O.D.I) के 10,000 रन पूरे करने वाले सचिन पहले बल्लेबाज़ थे। बाद में वह भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा बन गए और क्रिकेट विश्व कप भी जीता।
2003 को दक्षिण अफ्रीका(South Africa) में हुए टूर्नामेंट में उन्हें पहले "प्लेयर ऑफ़ द टूर्नामेंट(प्लेयर ऑफ़ द टूर्नामेंट)" का ख़िताब दिया। सचिन के चाहने वाले उन्हें प्यार से मास्टर ब्लास्टर(Master Blaster) कहा करते थे।
सचिन क्रिकेटर के अलावा रेस्टोरेंट(restaurant) के मालिक भी है। वह राज्य सभा के सांसद भी रह चुके है, 2012 में उन्हें राज्य सभा का सदस्य चुना गया।
सचिन का जन्म 24 अप्रैल, 1973 को राजपुर(Rajpur) के मराठी ब्राह्मण परिवार(Marathi Brahmin family) में हुआ था। उनके पिता रमेश तेंदुलकर(Ramesh Tendulkar) ने अपने पसंदीदा सिंगर "सचिन देव बर्मन(Sachin Dev Burman)" के नाम पर अपने बेटे का नाम रखा था।
रमेश तेंदुलकर मराठी स्कूल के शिक्षक थे। सचिन को क्रिकेट की तरफ ले जाने वाले उनके बड़े भाई अजीत तेंदुलकर(Ajit Tendulkar) थे।
24 मई, 1995 को सचिन ने गुजरात(Gujarat) की डॉ.अंजलि मेहता(Dr.Anjali Mehta) से शादी कर ली जो पेशे से बच्चों की डॉक्टर है। सचिन और अंजलि के दो बच्चे है, बड़ी बेटी सारा तेंदुलकर(Sara Tendulkar) और बेटा अर्जुन तेंदुलकर(Arjun Tendulkar) है।
सचिन ने शारदाश्रम विद्यामंदिर(Sharadashram Vidyamandir) से अपनी पढाई पूरी की। वहीँ उन्हें कोच रमाकान्त अचरेकर(Ramakant Achrekar) मिले जिनके नेतृत्व में उन्होंने क्रिकेट की दुनिया में कदम रखा। तेज़ गेंदबाज़ बनने के लिए उन्होंने एम.आर.एफ.पेस फाउण्डेशन(M.R.F.Pace Foundation) में दाखिला ले लिया लेकिन कोच डेनिस लिली(coach dennis lilly) ने उन्हें बल्लेबाज़ी पर ध्यान देने को कहा।
एक बार सचिन ने अपने बालपन की बात करते वक्त बताया था कि, "जब वह कोच के साथ अभ्यास करते थे तब उनके स्टम्प पर एक रुपए का सिक्का रख देते। जो गेंदबाज़ सचिन को आउट करता वह सिक्का उसको मिलता और अगर सचिन बिना आउट हुए अंत तक बल्लेबाज़ी करते रहे तो वह सिक्का सचिन का हो जाता।" सचिन के अनुसार उनके पास वह 13 रुपए अभी भी है।
सचिन अपनालय(Sachin Apnalaya) नाम का गैर सरकारी संगठन(Non government organization) भी चलते है जो हर साल 200 बच्चों के पालन-पोषण की ज़िम्मेदारी लेता है।
2008 में इंडियन प्रीमियर लीग T-20(Indian Premier League T-20) में तेंदुलकर अपने घरेलू मैदान में मुंबई इंडियन के लिए आइकन खिलाडी और कप्तान बना दिए गए।
सचिन ने बतौर आइकन खिलाडी 1,121,25 डॉलर के लिए हस्ताक्षर किए, जो टीम के सनथ जयसूर्या में दूसरे सबसे ज़्यादा भुगतान वाले खिलाड़ी के मुकाबले 15% ज़्यादा है। 2010 इंडियन प्रीमियर लीग में मुंबई इंडियंस टूर्नामेंट(mumbai indians tournament) के फाइनल्स(finals) में पहुंच गई।
तेंदुलकर ने उस दौरान 14 परियों में 618 रन बना कर शान मार्श(shan marsh) का रिकॉर्ड तोड़ दिया। 2010 में उन्होंने आई.पी.एल(IPL) के पुरस्कार समारोह में सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज़ और कप्तान का पुरस्कार जीता।
2011 आई.पी.एल में केरल(Kerela) के खिलाफ सचिन ने अपना पहला T-20 शतक बनाया। उन्होंने 66 गेंदों में 100 रन बना लिए।
पुरे आई.पी.एल लीग(ipl league) में उन्होंने 51 मैचों में 1,723 रन बनाए। 2013 में वह इंडियन प्रीमियर लीग(Indian Premier League) से रिटायर्ड हुए और 2014 में उन्हें मुंबई इंडियंस(mumbai indians) का "आइकन(icon)" बना दिया गया।
सचिन के फैन सुधीर कुमार चौधरी(Sudhir Kumar Chaudhary) ने भारत के सभी घरेलू खेलों के लिए टिकट का विशेष अधिकार हासिल किया।
सचिन के लगातार बेहतरीन प्रदर्शन ने उनके दुनिया भर में प्रशंसक बनाये जिसमें ऑस्ट्रेलिया(Australia) की भीड़ भी शामिल थी जहाँ सचिन ने लगातार शतक बनाए।
उनके प्रशंसकों द्वारा कही गई यह सबसे लोकप्रिय बात है, "क्रिकेट मेरा धर्म और सचिन मेरा भगवान हैं।" कई बार ऐसा हुआ है जब सचिन के प्रशंसकों ने खेल के दौरान उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए अलग-अलग गतिविधियां की है।
सचिन देश भर में इतने मशहूर है की उनके आस-पास के करीबी बताते है की सचिन को विग पहन कर रात को फिल्म देखे जाना पड़ता है ताकि कोई पहचान ना ले। वह कई बार आधी रात के बाद गाड़ी लेकर निकल जाते है ताकि कुछ वक्त अकेले में गुज़र सकें।
23 दिसंबर, 2013 को सचिन ने खेल जगत से सन्यास ले लिया जिस पर उन्होंने कहा था, "देश का प्रतिनिधित्व करना और पूरी दुनिया में खेलना मेरे लिए सम्मान की बात थी। मुझे घरेलू ज़मीन पर 200वीं टेस्ट पारी खेलने का इंतज़ार है। उसके बाद मैं सन्यास ले लूंगा।" उनकी इच्छा के अनुसार ही उनका अंतिम टेस्ट मैच वेस्टइंडीज(west indies) के खिलाफ मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम(Wankhede Stadium) में खेला गया।
जिसमें 74 रन बनाने के बाद सचिन ने टेस्ट मैच से सन्यास ले लिया। 4 फरवरी, 2014 में सचिन को क्रिकेट में अपने बेहतरीन प्रदर्शन और योगदान के लिए सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
40 साल की उम्र में भारत रत्न से सम्मानित किए गए वह सबसे काम आयु वाले और सबसे पहले खिलाडी बने। क्योंकि यह पुरस्कार खिलाडियों को नहीं दिया जाता था, सचिन को सम्मानित करने के लिए पहले सरकार ने नीतियों में बदलाव किए।
सचिन को कई पुरस्कारों से नवाज़ा गया है जिसमें, अर्जुन पुरस्कार(1994)(Arjuna Award (1994)), राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार(1996-97)(Rajiv Gandhi Khel Ratna Award (1996-97)), पद्म श्री(1999), 2008 का पद्म विभूषण और 2014 का भारत रत्न शामिल है।
भारत के पोस्ट विभाग ने सचिन के लिए एक डाक टिकट भी जारी किया। मदर टेरेसा (mother Teresa) के बाद सचिन पहले थे जिनके जीवन काल में डाक टिकट जारी किया गया हो।