Ashish Urmaliya || The CEO Magazine
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), हिंदी में कहें तो कृतिम बुद्धि! यह कंप्यूटर साइंस और टेक्नोलॉजी से संबंधित टर्म है, जिसकी शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी। साधारण भाषा में समझें तो जो गुण इंसानों में प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं वही गुण तकनीकी रूप से मशीनों में डालना और उनसे इंसानों जैसा ही काम लेना आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस कहलाता है। और डिटेल में समझें, तो एक ऐसा सिस्टम विकसित करना जो आर्टिफिशियल तरीके से सोचने, समझने और सीखने की क्षमता रखता हो। साथ ही व्यवहार करने व प्रतिक्रिया देने में मानव से भी बेहतर हो उसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कहते हैं।
कई लोग रोबोट को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का पर्याय समझते हैं, उनको बता दूं, AI एक तकनीक है जो इंसान अपने उपयोगानुसार किसी भी मशीन के अंदर इनस्टॉल कर सकता है. रोबोट भी उन्हीं मशीनों में से एक है।
लेकिन असल सवाल यह है, कि क्या AI की वजह से आमजनों के रोजगार छिन जायेंगे। आज यह सवाल पूरी दुनिया का सबसे हॉट टॉपिक बना हुआ है।
इसी प्रश्न पर हाल ही में इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2019 में देश की सबसे बड़ी टेक कंपनियों में से एक विप्रो के कार्यकारी अध्यक्ष और अजीम प्रेमजी के बेटे रिशद प्रेमजी ने बात की और कहा, कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस रोजगार के लिए खतरा नहीं है बल्कि उल्टा इंसानों के लिए मददगार है। इतिहास गवाह है, हर नई तकनीक आने पर लोग उसे रोजगार के लिए खतरा बताने लगते हैं। लेकिन असल में यह असलियत नहीं होती। हर एक नई तकनीक विकास में सहायक होती है। और बिना इंसानों के कोई भी टेक्नोलॉजी नहीं चली है और न ही चलेगी। टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करें के लिए हमेशा इंसानों की जरूरत पड़ती रहेगी।
इंसान तकनीक का इस्तेमाल करता आया है, तकनीक इंसान का इस्तेमाल नहीं कर सकती!
रिशद ने कहा कि बीते 15 से 20 वर्षों में तकनीक के क्षेत्र में बहुत तेजी से बदलाव आया है। और भारत की खासियत रही है कि दुनियाभर के लोग यहां के क्राफ्ट की वजह से खींचे चले आते हैं। दिन ब दिन तकनीक में बदलाव आ रहे हैं, हर एक सेक्टर मेजर प्रोफाइल चेंजिंग से गुजर रहा है। कंपनियां अपनी कार्यशैली में बदलाव कर रही हैं और नौकरियों की प्रवत्ति में भी बदलाव आ रहा है। यह डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन का युग चल रहा है। ग्राहकों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के लिए कंपनियां खुद को ट्रांसफॉर्म कर रही हैं।
उदाहरण देते हुए उन्होंने समझाया, कि समाज को शिक्षकों की जरूरत हमेशा पड़ेगी। देश को समाज की जरूरत होगी। इसी के साथ शेयर मार्केटिंग और अन्य सभी क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और समय के साथ बढ़ते रहेंगे, मगर हां, उनमें बदलाव जरूर हो सकता है।
हर व्यक्ति को टेक्नोलॉजी फ्रेंडली होने की जरूरत-
आने वाले समय में स्वचालित गाड़ियों का दौर आने वाला है. लोगों का दवा है कि देश के लाखों ड्राइवरों की नौकरियां चली जाएंगी, ऐसा कुछ नहीं है। वे लोग जो थोड़ा बहुत भी टेक्नोलॉजी फ्रेंडली हैं, मार्केट में हमेशा प्रासंगिक बने रहेंगे।
आज हर इंडस्ट्री की मांग स्किल है। लोगों को हमेशा नई तकनीक सीखने के लिए तैयार रहना होगा और सीखनी चाहिए। सरकार लगातार अलग-अलग उद्योगों के विकास की दिशा में काम कर रही है। लोगों को तकनीकी शिक्षा देने पर भी जोर दिया जा रहा है। सरकार द्वारा ऐसी कई स्किल डेवलपमेंट योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनमें लोगों को एक क्षेत्र विशेष में ट्रेंड किया जा रहा है।
रोजगार कम नहीं होंगे, पेशे में होगा बदलाव-
जब पत्रकार ने किसी रिपोर्ट का हवाला देते हुए दावा किया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की बजह से आने वाले दिनों में 5.5 करोड़ नौकरियां जाने की संभावनाएं हैं, तो इस दावे को रिशद प्रेमजी ने सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने यह जरूर स्वीकारा कि आने वाले समय में ऐसे कई पेशे है जो मौजूदा वक्त की तुलना में गैर जरूरी हो जायेंगे। लेकिन इनसे कहीं ज्यादा नए पेशे भी पैदा होंगे और लोग समय के साथ नए माध्यमों में शिफ्ट कर लेते हैं। जब चुनौतियां सामने आती हैं लोग सीख लेते हैं।