उत्तर प्रदेश राज्य व बुंदेलखंड क्षेत्र का बहुत ही नामचीन शहर- झाँसी। दुनिया भर में प्रसिद्द है. झाँसी दुनियाभर में किसके कारण प्रसिद्द है ये मुझे आपको बताने की ज़रुरत नहीं है. मैं तो आपको ये बताने जा रहा हूँ कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में झाँसी का बड़ा महत्व है. 2011 की जनगणना के आधार पर 20 लाख की आबादी वाले झाँसी जिले में 4 विधानसभा सीटें हैं- बबीना, झाँसी नगर, मऊरानीपुर और गरोठI।
इन सभी विधानसभा क्षेत्रों में जो सबसे प्रमुख क्षेत्र माना जाता है वो है 'झाँसी नगर'। 2011 की जनगणना के अनुसार ही झाँसी नगर की पापुलेशन 5 लाख 49 हजार 391 है। यहां की साक्षरता दर लगभग 84 परसेंट के आस-पास है। तो आइए आज़ादी के बाद से ले कर लेकर अब तक झाँसी नगर का राजनीतिक इसिहास क्या रहा? यहां के पहले विद्यायक कौन थे, झाँसी नगर में सबसे ज्यादा बार विधायक कौन बने? और भी बहुत कुछ आज हम फटाफट जानेंगे -
झाँसी के वर्तमान विधायक भारतीय जनता पार्टी के रवि शर्मा जी हैं। ये पिछले दो बार से लगातार विधायक हैं।
झाँसी में सबसे ज्यादा बार विधायक बनने का रिकॉर्ड भाजपा के ही रविंद्र शुक्ला के नाम पर है। 6 साल पहले पूर्व बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री रविंद्र शुक्ला जी के ऊपर ज़मीनी विवाद को लेकर एक बड़ा एसिड अटैक भी हो चुका है। हमले में गनर सहित 5 लोग घायल हो गए थे। गनर ने शुक्ला जी की जान बचाई थी।
झाँसी का सबसे पहला विधानसभा चुनाव 1951 में हुआ था। तब झाँसी नगर, झाँसी ईस्ट विधानसभा के नाम से जानी जाती थी। 1951 में कांग्रेस पार्टी के आत्मा राम गोविंद खेर यहां के विधायक बने थे। इनके खिलाफ Ajudhya Prasad निर्दलीय चुनाव लाडे थे। झाँसी नगर के दूसरे विधानसभा चुनाव 6 साल बाद यानि 1957 में हुए थे। दोबारा फिर से आत्मा राम गोविंद खेर यहां से विधायक चुने गए।
फिर 1962 में निर्दलीय प्रत्याशी लखपत राम शर्मा ने कांग्रेस पार्टी से झाँसी के लगातार दो बार विधायक रहे आत्मा राम गोविंद खेर चुनाव में हरा दिया और झाँसी के नए विधायक बने।1967 के चुनावों में फिर से कांग्रेस पार्टी ने झाँसी सीट पर कब्ज़ा किया। कांग्रेस के यू. नारायण विधायक बने।उस वक्त के दिग्गज कांग्रेसी नेता व पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की अपनी ही पार्टी से नहीं बनी और उन्होंने 2 साल के भीतर ही यूपी में कांग्रेस की सरकार गिरवा दी।
1969 में फिर विधानसभा चुनाव हुए। विद्रोह की आंच झांसी तक आई। झाँसी में पहली बार 'भारतीय क्रांति दल' से जगमोहन वर्मा विधायक बने। चुनावों में कांग्रेस को भारी नुकसान हुआ। हालांकि, जोड़ तंगोड़ KI ही सही लेकिन यूपी में सरकार कांग्रेस की ही बनी।फिर 1974 में चुनाव हुए और फिर से कांग्रेस पार्टी के बाबू लाल तिवारी विधायक बने।
1977 का यूपी विधानसभा चुनाव इमरजेंसी के बाद का चुनाव था। इंदिरा गांधी की तानाशाही को मुद्दा बना कर सभी विपक्षी दल एकजुट हो गए 'जनता पार्टी' बनाई। आपातकाल के बाद इंदिरा की छवि में भारी गिरावट आई थी। नतीजा ये निकला कि कांग्रेस को केंद्र और राज्य दोनों जगह मुँह की खानी पड़ी। यूपी में जनता पार्टी की सरकार बनी। और झाँसी में जनता पार्टी के ही सूर्यमुखी शर्मा विधायक बने।
क्योंकि जनता पार्टी कई दलों का संगठन थी इसलिए ज्यादा देर टिक नहीं पाई। पार्टी में कलह हुई और मात्र ढाई साल के भीतर ही सरकार गिर गई।
और फिर आया साल 1980 झाँसी में भारतीय जनता पार्टी के पहले विधायक बने- राजेंद्र अग्निहोत्री। हालांकि राज्य में सरकार कांग्रेस की ही बनी थी और भारी बहुमत के साथ बनी थी। इन चुनावों में कांग्रेस को 425 में से 309 सीटें मिली थीं। लेकिन झाँसी ने भाजपा प्रत्याशी को चुना।
1985 में फिर कांग्रेस के ओम प्रकाश रिछारिया विधायक बने. फिर 1989 से ले कर 2002 तक लगातार 4 बार भारतीय जनता पार्टी के रविंद्र शुक्ला झाँसी के विधायक रहे।
साल 2002 में झाँसी में पहली बार बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी रमेश कुमार शर्मा चुनाव जीते। आपको बता दूँ, 1996 से लेकर अब तक झाँसी में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बहुजन समाज पार्टी ही बनी हुई है। 2002 के बाद 2007 में झाँसी में कांग्रेसी प्रदीप जैन आदित्य विधायक बने।2009 से 2012 तक बसपा के कैलाश साहू झांसी के विधायक रहे I
और 2012 से लेकर अब तक भारतीय जनता पार्टी के रवि शर्मा झाँसी के विधायक बने हुए हैं। ये देखना बड़ा रोचक होगा कि 2022 के यूपी विधानसभा चुनावों में कौन बाजी मारता है।एक और रोचक बात ये है कि झाँसी नगर विधानसभा में आज तक समाजवादी पार्टी का कोई भी विधायक नहीं बन पाया है।