वर्ल्ड बैंक का दावा- दुनिया का सबसे तेज़ी से ग्रोथ करने वाला देश बनेगा भारत, चीन बहुत पीछे

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वर्ल्ड बैंक का दावा- दुनिया का सबसे तेज़ी से ग्रोथ करने वाला देश बनेगा भारत, चीन बहुत पीछे

Ashish Urmaliya | The CEO Magazine

केंद्रीय सांख्यकी कार्यालय (CSO) ने हालही में कुछ आंकड़े जारी किये थे, जिनके अनुसार वित्त वर्ष 2018-19 की चौथी तिमाही में देश की आर्थिक वृद्धि दर 5 साल के सबसे न्यूनतम स्तर यानी 5.80 प्रतिशत पर आ गई है। और चीन से इसकी तुलना की जाये, तो यह काफी कम है। बस जैसे ही यह आंकड़े सामने आये मोदी सरकार की कड़ी आलोचना शुरू हो गई। लेकिन हाल ही में वर्ल्ड बैंक ने अपनी रिपोर्ट में मौजूदा फाइनेंसियल ईयर में भारत की ग्रोथ को 7.5% बरकरार रखा है। और विश्व बैंक की यह रिपोर्ट, मोदी सरकार के लिए संजीवनी बूटी बन गई है।

वर्ल्ड बैंक ने क्या कहा-

विश्व बैंक ने अपने वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में कहा है, कि वित्तीय वर्ष 2018-19 में भारत 7.20% की दर से वृद्धि करेगा। इसके साथ ही, भारत दुनिया की सबसे तेजी से वृद्धि करने वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा। और यह वृद्धि आने वाले 2 वित्तीय वर्षों तक बने रहने की प्रबल संभावनाएं हैं। साथ ही विश्व बैंक ने कहा कि, मौद्रिक नीति सुगम रहने के चलते भारत के शहरी क्षेत्रों में क्रेडिट ग्रोथ बढ़ेगी जिसकी वजह से खपत में इजाफा होगा। और इसी तरह ग्रामीण क्षेत्रों में भी कृषि उत्पादों की कीमतें नरम रहेंगी जिसके चलते खपत बढ़ने की खासी उम्मीद है। उत्पादन के मामले में सेवा क्षेत्र (Service Sector) और कृषि (Agriculture) में नरमी रहेगी लकिन औद्योगिक उत्पादन फिर से जोर पकड़ेगा। कैपिटल गुड्स की मांग बढ़ने से वस्तुओं का निर्माण और उत्पादन भी तेजी पड़ेगा।

यह भी कहा, ''मुद्रास्फीति रिजर्व बैंक के लक्ष्य से नीचे है जिससे मौद्रिक नीति सुगम रहेगी। इसके साथ ही ऋण की वृद्धि दर के मजबूत होने से निजी उपभोग एवं निवेश को फायदा होगा।''  पुलवामा हमले का ज़िक्र करते हुए वर्ल्ड बैंक ने कहा, कि इसकी वजह से दो एशियाई देशों के बीच तनाव बढ़ा था, अगर ऐसी स्थिति दोबारा बनती है, तो आर्थिक मोर्चे पर अनिश्चितता बढ़ सकती है।

चीन पिछड़ता ही जा रहा है-

वर्ल्ड बैंक ने अपनी ग्लोबल इकोनॉमिक प्रोस्पेक्ट्स रिपोर्ट में चीन के बारे में अपने अनुमान व्यक्त करते हुए कहा है, कि चीन की अर्थव्यवस्था लगातार गिरती ही जा रही है। वित्तीय वर्ष 2017-18 में चीन की वृद्धि दर 6.6 फीसदी थी, जो कि 2018-19 में घटकर 6.2 रहने का अनुमान है। आगामी वर्षों का अनुमान लगाते हुए वर्ल्ड बैंक ने बताया कि, 2019-20 में चीन की वृद्धि दर और भी कम हो कर 6.1 फीसद हो जाएगी और साल 2020-21 की जीडीपी वृद्धि सिर्फ 6 फीसदी रहने का अनुमान है। मतलब, वर्ष 2021 तक भारत की आर्थिक वृद्धि दर चीन के 6 फीसदी की तुलना में डेढ़ फीसदी अधिक होगी।

वैश्विक चिंता:

जैसा कि पूरा विश्व परिचित है, कि अमेरिका-चीन के बीच खतरनाक ट्रेड वॉर चल रहा है। वर्ल्ड बैंक ने इस वॉर को दुनिया पर आर्थिक मंदी पैदा करने वाला खतरा बताया है। 2018 में वैश्विक अर्थव्यवस्था 3 फीसदी की दर से वृद्धि कर रही थी, जो 2019 में घट कर  2.6 फीसदी पर रहने की संभावना है।

वर्ल्ड बैंक की इस रिपोर्ट पर 'आईएमएफ' ने भी ठप्पा लगा दिया है!

भारत की सकल घरेलू उत्पाद ग्रोथ की रफ़्तार पर अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भी पूरा भरोसा जताया है। आईएमएफ ने 'जी-20' सर्विलांस नोट जारी करते हुए जानकारी दी है कि, 2019 में भारत की जीडीपी 7.3 फीसदी की रफ़्तार से वृद्धि करेगी। और इसी तरह की वृद्धि के साथ 2020 में जीडीपी ग्रोथ 7.5 फीसदी रहने का अनुमान है।

जी-20?

दरअसल, 8 और 9 जून को जापान में विकसित और विकासशील देशों के वित्त मंत्री और सेंट्रल बैंक गवर्नर की मीटिंग होने वाली है। इस मीटिंग का हिस्सा जी -20 (Group of 20) के अंतर्गत आने वाले देश ही होते हैं। जी -20 सदस्य देशों में भारत, अर्जेन्टीना, ब्राजील, कनाडा, चीन, यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, जापान, मेक्सिको, रूस, दक्षिण अफ्रीका, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं। तो इस मीटिंग में भारत की नई वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी शामिल होने जा रही हैं। आपको बता दें, इस खास मीटिंग से पहले जी-20 का सर्व‍िलांस नोट तैयार होता है और इस नोट के जरिए, जी-20 के देशों की आर्थिक हालत पर मंथन किया जाता है। तो इसी मंथन की बात हम इससे ऊपर वाले पैराग्राफ में कर रहे थे।

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