यूक्रेन और रूस के तनाव से उत्पन्न युद्ध में संपूर्ण विश्व पर एक नकारात्मक प्रभाव डाला है। जहां यूक्रेन में बमबारी के साथ-साथ गोलियों के चलने से अनेकों यूक्रेन के नागरिकों की मौत हुई और अनेकों घायल हो गए। वही जनता में भय एवं असंतोष का माहौल स्थिति को देखते ही बनता है। जहां आसमान से मौत के रूप में बम बरस रहे हो और धरती पर अगला कदम रखने तक, यह यकीन ना हो कि कब जीवन लीला समाप्त हो जाए, ऐसे में संपूर्ण यूक्रेन की जनता त्राहिमाम की स्थिति में है। यकीनन कोई भी देश देश के लोगों से मिलकर बनता है और देश के विवादों में जनता की जान का खतरा होना निश्चित हो जाता है। इसलिए भारत की नीति वसुधैव कुटुंबकम की रही है, जिससे सर्वदा शांति व्याप्त रहे।
जहां यूक्रेन की जनता त्राहिमाम कर रही है, वही यूक्रेन में फंसे भारत के अनेकों विद्यार्थी जो वहां उच्च शिक्षा के लिए गए थे अपने भविष्य के लिए सुनहरे स्वप्न देख रहे थे। परंतु रूस और यूक्रेन के विवाद से उत्पन्न, इस युद्ध में भारतीय विद्यार्थियों के सर पर जान का खतरा मडराना, गेहूं में घुन के पिसने के समान है। यूक्रेन में फंसे भारतीय विद्यार्थी अधिकतर चिकित्सा के क्षेत्र में अध्ययन करने वाले हैं। जो सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी भयावह स्थिति को दुनिया के सामने रख रहे हैं और भारत सरकार से मांग कर रहे हैं कि उन्हें जल्द से जल्द भारत पहुंचाया जाए। हालांकि भारत सरकार भी वहां फंसे भारतीय विद्यार्थियों को भारत लाने के लिए यथासंभव प्रयास कर रही है परंतु भय के माहौल में उनकी समस्याएं और असुरक्षा उनकी चिंता बनी हुई है।
इस पर प्रतिनिधि मंथन तहसील मोठ की टीम ने छात्रों से बात की है।
जिस पर बसोबई निवासी बीएससी एग्रीकल्चर के छात्र अभिषेक वाल्मीकि ने कहा- जब छात्र अपने उज्जवल भविष्य की आशा को लेकर यूक्रेन गए हैं। वहां युद्ध के चलते उनकी पढ़ाई तो प्रभावित होती ही है,साथ ही जीवन पर भी खतरा बना रहता है। जिस पर भारत सरकार को अविलंब यूक्रेन में फंसे छात्रों को भारत लाने के इंतजाम करना चाहिए।
वही ग्राम ताडौल निवासी सोनाली चौरसिया का कहना है कि सोशल मीडिया के माध्यम से जब यूक्रेन में फंसे छात्र भारत सरकार से सहायता मांग रहे हैं तो यह यकीनन विश्व पटल पर भारत की छवि को प्रभावित करता है। भारत सरकार को चाहिए कि जल्द ही छात्रों को भारत लाने के इंतजाम करना चाहिए।
बी.ए. तृतीय वर्ष के छात्र अमन बौद्ध ने कहा- यूक्रेन में फंसे अधिकतर छात्र चिकित्सा क्षेत्र के विद्यार्थी हैं। जब भारत में चिकित्सा के क्षेत्र में एडमिशन के लिए एक बड़ी लड़ाई लड़नी पड़ती है। तब यूक्रेन में आसानी से छात्र मेडिकल की पढ़ाई कर लेते हैं। वहां उनकी पढ़ाई तो प्रभावित हुई ही है। साथ ही अगर भारत सरकार उन्हें जल्द से जल्द भारत लाने की व्यवस्था नहीं करती है, तो यह भारत सरकार पर भी विश्व पटल पर प्रश्नचिन्ह खड़े करती है।
सेमरी निवासी विकास कुमार ने कहा- अगर मैं यूक्रेन में फंसे छात्रों की जगह होता तो मैं भी किसी भी तरह से अपने भविष्य की चिंता को प्राथमिकता देता और स्वदेश की सरकार से यही मांग करता कि जल्द से जल्द मुझे अपने देश पहुंचाया जाए।
जब बगल में ही बम के विस्फोट और गोलियों की तड़ तड़ आहट सुनाई दे रही हो तो अपने परिवार और देश की याद आना लाजमी है।
जौरा निवासी हरेंद्र कुमार वर्मा ने कहा- यूक्रेन में फंसे छात्रों के पास ना तो पर्याप्त भोजन है और ना ही किसी प्रकार की कोई सुविधाएं। वह जैसे तैसे अपनी जान बचा रहे हैं। और उन्हें भारतीय दूतावास से भी कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिल पा रहे हैं। ऐसे में अपने देश के छात्रों को भारत में लाना हमारी सरकार की जिम्मेदारी बन जाती है और हमें विश्वास है कि छात्र सुरक्षित देश वापस लौटेंगे।
इन्हीं प्रमुख बातों के साथ मोंठ क्षेत्र के छात्रों ने यूक्रेन में फंसे विद्यार्थियों के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त की हैं। और भारत की सरकार से उन्हें जल्द से जल्द भारत बुलाने की आशा जताई है।