AshishUrmaliya || Pratinidhi Manthan
निर्भया केस में दोषियों के पक्ष के लड़ने वाले वकील एपी सिंह (Advocate AP Singh), पिछले काफी दिनों से सुर्ख़ियों में हैं। वजह है- उनके कानूनी दांव पेच, जिनका उन्होंने भरकर इस्तेमाल किया।
ए.पी. सिंह के दांव पेच की वजह से ही निर्भया के चारों दोषी (विनय कुमार शर्मा, पवन कुमार गुप्ता, मुकेश सिंह और अक्षय कुमार सिंह) पिछले कई महीनों से फांसी की सजा से बचते आ रहे हैं। बीते सोमवार को भी यही हुआ, जब उन्होंने मंगलवार को होने वाली फांसी को अपने दांव पेच के चलते टलवा दिया। तो आइये जानते हैं, उस वकील को जिसने अपनी कानूनी पैंतरेबाजी से केस को इतना लंबा खींच दिया।
एपी सिंह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं, लेकिन पिछले कई सालों से दिल्ली में सपरिवार रह रहे हैं। साल 2013 में जब निर्भया केस हुआ, तब कोई भी वकील दोषियों का केस लेने के लिए तैयार नहीं हो रहा था उस वक्त ए.पी. सिंह आगे आये और उन्होंने इस केस को लिया। और पिछले 7 साल से वे दोषियों के पक्ष में लड़ाई लड़ रहे हैं।
जानने में आया है, कि एपी सिंह के लिए उनका पेशा ही सब कुछ है और अपने पेशे के लिए वे किसी भी हद तक जा सकते हैं। निर्भया मामले में दोषियों का केस लड़ने के दौरान वह कई बार निचली अदालतों, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक से फटकार खा चुके हैं। यहां तक कि इस मामले में उन पर हजारों रूपए का जुर्माना भी लग चुका है। इस पर ए.पी. सिंह का मानना है, कि यह सब वकालत के पेशे का हिस्सा है।
ए.पी. सिंह लखनऊ विश्वविद्यालत से लॉ ग्रेजुएट हैं, इसके साथ ही उन्होंने डॉक्टरेट की डिग्री भी हासिल कर रखी है। कुल मिलाकर पढ़े लिखे, जानकर वकीलों में शुमार होते हैं। साल 1997 से सुप्रीम कोर्ट में अपने वकालत करियर की शुरुआत की थी। उसके बाद से लगातार केस लड़ते आ रहे हैं।
पहली बार वह तभी सुर्ख़ियों में आये थे, जब साल 2012 में निर्भया के दोषियों का पक्ष रखने कोर्ट में पेश हुए थे। ए.पी. सिंह ने आजतक से बातचीत के दौरान बताया था, कि उन्होंने यह केस उनकी मां के कहने पर हांथ में लिया है। उन्होंने बताया जब अक्षय को गिरफ्तार किया गया था, तब उसकी बीवी उनके घर आई थी और मां से मिली उसकी गोद में 3 महीने का बच्चा था। उनकी मां को उस पर दया आई और मुझे केस लड़ने को कहा।
जानकारी हो, कि निर्भया के साथ दक्षिण दिल्ली के वसंत विहार इलाके में चलती बस में दुष्कर्म हुआ था। सामूहिक दुष्कर्म के दौरान सभी 6 दरिंदों ने निर्भया को इस तरह की शारीरिक प्रताङना दी थी, कि इलाज के दौरान ही उसकी मृत्यु हो गई।
इस घटना ने पूरे देश में इस तरह की घटाओं के खिलाफ आक्रोश पैदा कर दिया था। फिर केस के लिए फास्टट्रैक कोर्ट का गठन किया गया था, वहां मुकदमा चला उसके बाद निचली अदालत, दिल्ली हाईकोर्ट, यहां तक की सुप्रीम कोर्ट भी इन आरोपियों को फांसी की सजा सुना चुका है। लेकिन एपी सिंह हर बार इनकी फांसी टलवाने का कोई न कोई नया पैंतरा अपना लेते हैं। हालांकि ये एपी सिंह का आखिरी दांव था, अब उनके पास मौजूद सभी तरह के कानूनी विकल्प खत्म हो चुके हैं आरोपी पवन की भी दया याचिका आज राष्ट्रपति द्वारा ख़ारिज कर दी गई है। अब बस कोर्ट के नई तारीख देने का इंतजार है।