सेना के छह जवानों को मिला शौर्य चक्र, जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को रोकने का शौर्य दिखाया

प्रतिष्ठित पुरस्कार 'शौर्य चक्र' के प्राप्तकर्ता मेजर अरुण कुमार पांडे, मेजर रवि कुमार चौधरी, कैप्टन आशुतोष कुमार (मरणोपरांत), कैप्टन विकास खत्री, राइफलमैन मुकेश कुमार और सिपाही नीरज अहलावत हैं।
सेना के छह जवानों को मिला शौर्य चक्र, जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को रोकने का शौर्य दिखाया
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शांतिकाल में भारत का तीसरा सबसे बड़ा वीरता पुरस्कार, शौर्य चक्र, पिछले साल जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों में प्राणघातक बहादुरी के लिए सेना के छह जवानों को दिया गया है। भारतीय सेना के अनुसार, प्रेस्टीजियस वीरता पुरस्कार प्राप्त करने वाले जवानों में मेजर अरुण कुमार पांडे, मेजर रवि कुमार चौधरी, कैप्टन आशुतोष कुमार (मरणोपरांत), कैप्टन विकास खत्री, राइफलमैन मुकेश कुमार और सिपाही नीरज अहलावत का नाम शामिल है। बकौल भारतीय सेना, स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर सेना के चार कर्मियों को बार टू सेना पदक से सम्मानित किया गया है, जबकि 116 अन्य को सेना पदक के लिए नामित किया गया है।

इंडियन आर्मी के अनुसार, राष्ट्रीय राइफल्स की 44वीं बटालियन के मेजर पांडे ने पिछले साल 9 और 10 जून को जम्मू-कश्मीर के एक गांव में आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन का नेतृत्व किया और दो कट्टर आतंकवादियों को मार गिराते हुए “अद्वितीय साहस” दिखाया।

सेना ने कहा कि राष्ट्रीय राइफल्स की 55वीं बटालियन के मेजर चौधरी ने अपनी यूनिट द्वारा चार सफल ऑपरेशन्स का नेतृत्व करने में "असाधारण दृढ़ संकल्प" और दृढ़ता का प्रदर्शन किया, जिसके परिणामस्वरूप 13 आतंकवादियों का खात्मा हुआ था। उनके प्रशस्ति पत्र में पिछले साल 3 जून को उनके नेतृत्व में एक ऑपरेशन का विशेष रूप से उल्लेख किया गया था।

मद्रास रेजीमेंट की 18वीं बटालियन के कैप्टन कुमार को मरणोपरांत शौर्य चक्र पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। पिछले साल 8 नवंबर को उन्होंने एक ऑपरेशन में अपने साथी सैनिक की जान बचाने और एक कट्टर आतंकवादी को खत्म करने में "अदम्य साहस" दिखाया था।

राष्ट्रीय राइफल्स की 16वीं बटालियन के कैप्टन विकास खत्री को पिछले साल 12 और 13 दिसंबर की रात को 12,000 फीट की ऊंचाई पर चुनौतीपूर्ण इलाके के तहत जम्मू-कश्मीर में "एरिया डोमिनेशन पेट्रोल" के एक विशेष कार्य के हिस्से के रूप में तैनात किया गया था। इंडियन आर्मी ने बताया कि कैप्टन विकास ने भारी जवाबी कार्रवाई के बावजूद अद्यभुत साहस और बहादुरी का परिचय देते हुए एक विदेशी आतंकवादी को मार गिराया था।

राष्ट्रीय राइफल्स की नौवीं बटालियन के राइफलमैन मुकेश कुमार जम्मू-कश्मीर के एक दूरदराज के गांव में आतंकवादियों की संभावित मौजूदगी के विशिष्ट खुफिया इनपुट के आधार पर 16 जुलाई की रात को शुरू किए गए एक घेरा और तलाशी अभियान का हिस्सा थे। श्री कुमार ने आतंकवादी के साथ शारीरिक रूप से कुश्ती की, जिसके बाद आतंकी सहम गया था। सेना ने कहा, श्री कुमार बंदूक की गोली से घायल होने के बावजूद आतंकवादी पर अपने हथियार की बट से तब तक हमला करते रहे जबतक कि आतंकी के प्राणों ने शरीर को नहीं छोड़ दिया।

इंडिया आर्मी द्वारा आगे कहा गया कि राइफलमैन श्री मुकेश कुमार ने अपनी चोटों की परवाह किए बिना अपने साथी सैनिकों व स्थानीय नागरिकों आंच भी नहीं आने दी. उन्होंने पॉइंट-ब्लैंक रेंज से ही आतंकी को निष्प्रभावी कर दिया था.

आगे भारतीय सेना ने कहा कि सिपाही अहलावत को पिछले साल 20 जून को जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन के दौरान अपने कर्तव्यों से ज्यादा बढ़ कर असाधारण वीरता दिखाने के लिए शौर्य चक्र पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उन्होंने ऑपरेशन के दौरान में एक खूंखार पाकिस्तानी आतंकवादी को मार गिराया था।

घटना के बारे में विस्तार से बताते हुए सेना ने कहा कि आतंकवादियों का एक समूह बचने के लिए सैनिकों के आंतरिक घेरे की ओर अंधाधुंध गोलीबारी कर रहा था, उन्होंने स्थानीय नागरिकों का मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल किया था। इसी बीच अहलावत ने उचित समय की प्रतीक्षा की और अत्यधिक संयम बरतने और तेजी से बढ़ती स्थिति का सामना करने के बाद भागते आतंकवादियों पर सटीक गोलीबारी की।

"एक आतंकवादी को उन्होंने मौके पर ही मार गिराया था। दूसरे आतंकवादी ने सिपाही अहलावत की ओर करीब से भारी गोलाबारी की। गंभीर खतरे के बावजूद, उन्होंने अपनी स्थिति पर मजबूत बने रहने के लिए अदम्य साहस दिखाया और दूसरे आतंकवादी को उलझाए रखा और उसे घायल कर दिया।

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