झांसी के अस्पताल में रविवार रात भीषण आग लगने से 10 नवजात शिशुओं की दर्दनाक मौत हो गई। इस हादसे ने पूरे इलाके में हाहाकार मचा दिया है। घटना की सूचना मिलते ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हादसे में मारे गए बच्चों के परिजनों को राहत राशि देने की घोषणा की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हृदयविदारक घटना पर गहरा शोक व्यक्त किया है और हादसे को 'दिल तोड़ देने वाली घटना' बताया है।
घटना रविवार रात को हुई जब अस्पताल के एसएनसीयू (स्पेशल न्यूबोर्न केयर यूनिट) वार्ड में अचानक आग लग गई। शुरुआती रिपोर्ट्स के अनुसार, आग का कारण शॉर्ट सर्किट बताया जा रहा है। आग की लपटों ने पूरे वार्ड को अपनी चपेट में ले लिया, जिसमें 10 मासूम बच्चों की जान चली गई। घटना के बाद अस्पताल प्रशासन में हड़कंप मच गया और दमकल विभाग को तुरंत सूचना दी गई। दमकल कर्मियों ने मौके पर पहुंचकर 37 बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला। हालांकि चार बच्चों की जान बचाने में कामयाबी नहीं मिल पाई।
इस हादसे में अपने बच्चों को खोने वाले परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। अस्पताल के बाहर मातम का माहौल है और लोग इस हादसे पर गहरी संवेदना व्यक्त कर रहे हैं। जिन परिवारों ने अपने नवजात शिशुओं को खोया है, उनका दर्द शब्दों में बयां करना मुश्किल है। अस्पताल में अफरा-तफरी और चीख-पुकार का माहौल था, जब आग की लपटों ने अचानक बच्चों के वार्ड को अपनी चपेट में ले लिया। माता-पिता अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए चीखते-चिल्लाते रहे, लेकिन आग की भयंकरता के आगे उनकी सभी कोशिशें बेकार हो गईं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस हादसे पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए तुरंत उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने अधिकारियों से कहा है कि वे जल्द से जल्द इस मामले की तहकीकात करें और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। साथ ही, मुख्यमंत्री ने इस घटना में मारे गए बच्चों के परिजनों को पांच लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है। उन्होंने कहा है कि प्रदेश सरकार दुख की इस घड़ी में पीड़ित परिवारों के साथ खड़ी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस हादसे पर अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की है। उन्होंने ट्वीट कर इस घटना को 'दिल तोड़ देने वाली' करार दिया और पीड़ित परिवारों के प्रति सहानुभूति जताई। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस कठिन समय में उनकी प्रार्थनाएं पीड़ित परिवारों के साथ हैं।
इस घटना के बाद प्रशासन और अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही को लेकर सवाल उठने लगे हैं। अस्पताल में सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम न होने के कारण आग ने इतना भयानक रूप ले लिया। लोगों का कहना है कि अगर अस्पताल में अग्नि सुरक्षा के उपकरण ठीक से काम कर रहे होते तो शायद इस तरह की त्रासदी से बचा जा सकता था। अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही का खामियाजा मासूम बच्चों को अपनी जान देकर चुकाना पड़ा है। स्थानीय लोग और परिजन अस्पताल प्रशासन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
इस हादसे के बाद सरकार ने सभी निजी और सरकारी अस्पतालों को आगाह किया है कि वे अपने अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम करें और सुनिश्चित करें कि ऐसी घटना दोबारा न हो। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी जिलाधिकारियों को आदेश दिया है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में अस्पतालों का निरीक्षण कर सुरक्षा के उपायों की जांच करें।
झांसी के कमल अस्पताल में हुई इस दर्दनाक घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस हादसे में जिन माता-पिता ने अपने मासूम बच्चों को खोया है, उनकी पीड़ा अकल्पनीय है। अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रशासन इस हादसे के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ क्या कार्रवाई करता है और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं।
इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा किया है कि क्या हमारे अस्पताल सुरक्षा के मानकों को पूरी तरह से पालन कर रहे हैं? उम्मीद है कि इस हादसे से सबक लेते हुए भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।