पूरे देश में चर्चा का विषय बना 'कॉमन सिविल कोड(CCC)' है क्या?
Ashish Urmaliya || The CEO Magazine
बीते शुक्रवार को देश के सर्वोच्च न्यायलय ने कहा था, कि सामान नागरिक संहिता लागू करने के लिए अब तक कोई प्रयास नहीं किया गया है। किसी केस का फैसला सुनाते वक्त सुप्रीम कोर्ट जज दीपक गुप्ता और अनिरुद्ध बोस की पीठ ने इस इस विषय पर टिप्पणी की। शीर्ष अदालत ने कहा, कि देश का गोवा राज्य एक शानदार उदाहरण है, जहां धर्मों से परे सामान नागरिक संहिता लागू है। आखिर होता क्या है ये Uniform Civil Code यानी सामान नागिक संहिता? आइये सबकुछ जानते हैं।
सामान नागरिक संहिता( Uniform Civil Code)-
सामान नागरिक आचार संहिता का अर्थ है सभी भारतीय नागरिकों के लिए एक समान कानून होना। और इस कानून को हम निष्पक्ष कानून भी बोल सकते हैं। साधारण भाषा में समझें, तो देश का नागरिक चाहे किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो, कानून सबके लिए एक सामान होना चाहिए। यह कानून किसी भी धर्म या जाती से ताल्लुक नहीं रखता। संविधान के अनुच्छेद-44 के अंतर्गत देश की सभी राज्यों की जिम्मेदारी है कि वे इस कानून को लागू करें, लेकिन अब तक यह नहीं हो पाया है। सुप्रीम कोर्ट के साथ संविधान भी यही कहता है कि सभी राज्यों की सरकारें इस विषय पर विचार विमर्श करें। फिलहाल देश में सिर्फ गोवा एकलौता ऐसा राज्य है जहां यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू है। बता दें अभी देश में कई मामलों पर यह कानून लागू होता है लेकिन सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक यह कानून सभी तरह मामलों में लागू होना चाहिए।
वर्तमान स्थिति?
वर्तमान में मुस्लिम, ईसाई और पारसी धर्म के लोगों से जुड़े मामलों को पर्सनल लॉ के माध्यम से सुलझाया जाता है। जबकि हिंदू, जैन, बौद्ध और सिख धर्म का पालन करने वाले लोगों से जुड़े मामलों को हिन्दू सिविल लॉ के अंतर्गत सुलझाया जाता है।
कानून लागू हो गया तो?
जैसा कि हमने ऊपर ही बताया है, कि यह एक निष्पक्ष कानून है और अगर यह देश के सभी राज्यों में लागू हो जाता है, तो देश में हर मजहब के हर एक व्यक्ति के लिए एक जैसा कानून होगा। किसी के भी साथ कोई कानूनी भेदभाव नहीं होगा। अगर यह कानून पूरे भारत में लागू हो गया तो भारत इस तरह के कानून को लागू करने वाला अकेला देश नहीं होगा। दुनिया में और भी कई ऐसे देश हैं जहां यह कानून पहले से लागू है, तो आइये उन देशों के नाम जान लेते हैं।
इन देशों में पहले से ही लागू है 'यूनिफॉर्म सिविल कोड'
तुर्की, सूडान, इंडोनेशिया, मलेशिया, इजिप्ट, बांग्लादेश, पाकिस्तान।
भारत में इसकी चर्चा क्यों शुरू हुई? पूरा मामला क्या है?
अश्वनी उपाध्याय जो भाजपा(BJP) के प्रवक्ता हैं और पेशे से वकील हैं। इन्होने दिल्ली हाई कोर्ट में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए एक याचिका दाखिल की थी। उस वक्त इस याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने 31 मई को केंद्र सरकार के नाम एक नोटिस जारी किया था और 4 हफ़्तों में उसका जवाब मांगा था। 8 जुलाई को हाई कोर्ट में फिर इस मामले की सुनवाई हुई और सरकार ने जवाब के लिए थोड़ा और वक्त मांग लिया। इसके बाद फिर 27 अगस्त को सुनवाई हुई और सरकार ने फिर से वक्त मांग लिया। अब हाईकोर्ट ने सरकार को 4 नवंबर तक का वक्त दिया है। देखना होगा सरकार इस बार भी जवाब दे पाती है या नहीं। और देती है तो क्या जवाब देती है।