फेसबुक की वर्चुअल करेंसी 'लिब्रा' दुनिया की अर्थव्यवस्था का चेहरा बदल देगी?
Ashish Urmaliya | The CEO Magazine
बिटकॉइन की तर्ज पर फेसबुक भी वर्चुअल करेंसी 'लिब्रा' लेकर आई है। मतलब दुनियाभर के लोगों को एक प्लेटफॉर्म पर लाने वाले फेसबुक की नजर अब दुनियाभर की करेंसी पर है। फेसबुक की डिजिटल करेंसी लिब्रा को लेकर कई तरह के दावे किये जा रहे हैं लेकिन फेसबुक के अनुसार, उनका मकसद लोगों के लेनदेन को आसान बनाना है। इसके जरिये आप बिना करेंसी चेंज किये किसी भी तरह का भुगतान कर सकते हैं। लेकिन विशेषज्ञों की माने तो फेसबुक की वर्चुअल करेंसी की राह में कुछ कम रोड़े नहीं है। जैसा कि हम सभी जानते हैं, इससे पहले डिजिटल करेंसी बिटकॉइन दुनियाभर में बहुत ही तेजी से लोकप्रिय हुई थी, लेकिन किसी भी देश के केंद्रीय बैंक द्वारा इसको मान्यता नहीं दी गई, जिससे इसका भुगतान नेटवर्क बाधित हुआ और यह विफल हो गई।
कुछ विशेषज्ञों द्वारा ऐसा भी माना जा रहा है, कि 'लिब्रा' अपनी खूबियों और सुविधाओं के चलते दुनियाभर के वित्तीय प्रणाली से अछूते लोगों का प्रभावी रूप से समावेशन कर पायेगी। फिलहाल तो इसकी वैधानिकता और स्थिरता पर सवालिया निशान लगा हुआ है। विश्व बैंक ने इसके भुगतान शुल्क पर सवाल खड़ा किया है जिसके जबाब में फेसबुक का कहना है, कि इसकी भुगतान शुल्क लगभग शून्य होगी।
सबसे पहले क्रिप्टो करेंसी की परिभाषा जान लेते हैं!
यह एक डिजिटल करेंसी होती है, जिसे एक कंप्यूटर मोड से दुसरे कंप्यूटर मोड को ट्रांसफर किया जा सकता है। साधारण भाषा में इसे आभासी मुद्रा भी कहा जा सकता है, क्योंकि इसे साक्षात देखा नहीं जा सकता।
लिब्रा का सबसे बड़ा फायदा?
-वैसे तो इस तरह की करेंसी के अनगिनत फायदे हो सकते हैं लेकिन इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा, कि जब आप किसी दुसरे देश जायेंगे या फिर कोई विदेश से आपको पैसा भेजेगा तो करेंसी परिवर्तन कराने की जरूरत नहीं पड़ेगी, जो कि आमतौर पर करनी पड़ती है।
-इसका एक और फायदा यह भी है, कि यह एम पैसा, मास्टर, भीम व वीसा कार्ड की ही तर्ज पर पर्सन टू पर्सन पेमेंट करेगा। यह लगभग हर डिजिटल पेमेंट सुविधा की तरह ही काम करेगा। इसके लिए आपको बैंक जाने की जरूरत नहीं होगी।
लिब्रा क्या है?
यह फेसबुक की डिजिटल करेंसी या कह लें क्रिप्टो करेंसी है। यह सार्वभौमिक रूप से व स्थाई तरीके से आम लोगों और कारोबारियों के बीच आसानी से स्थानांतरित की जा सकने वाली मुद्रा है। इसमें आपको पेमेंट नेटवर्क को गठित करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। बता दें, लिब्रा को सीरियसली लेते हुए दुनिया की कई बड़ी कंपनियां फेसबुक के साथ जुड़ चुकी हैं।
यहां फसा है पेंच?
इस करेंसी का सबसे बड़ा जो मसला है वह है -भुगतान शुल्क, जिसे विश्व बैंक तय करेगा। वर्तमान में अन्य देशों से आने वाली रकम की विनियम का औसत शुल्क 7 फीसदी है। जबकि कुछ देशों में रकम भेजने के लिए लोगों को 10 फीसदी तक का अतिरिक्त भुगतान करना पड़ता है। हालांकि फेसबुक का कहना है कि लिब्रा में लेनदेन का शुल्क न के बराबर होगा।
स्थिरता और वैधानिकता पर सवालिया निशान!
देखा जाये तो इस करेन्सी के इस्तेमाल से जीवन बड़ा आसान हो जायेगा। आप देश-विदेश का कोई भी भुगतान बड़ी ही आसानी से कर पाएंगे लेकिन बात वही है कि इसकी वैधानिकता और स्थिरता को लेकर व्यापारियों के बीच में आशंका की स्थिति बनी हुई है। और ऐसा इसलिए क्योंकि क्रिप्टो करेंसी को किसी भी देश के केंद्रीय बैंक ने मान्यता नहीं दी है। हालांकि आज फेसबुक एक बड़ा ब्रांड है और उसे अपने प्लेटफार्म पर भरोसा है, इसलिए यह कदम उठाने की ओर प्रयासरत है।
टारगेट देश- लिब्रा को बढ़ावा देने के लिए फेसबुक के टारगेट ऐसे देश हैं, जहां गरीबी की मार है। उनका मानना है, कि दुनियाभर में बहुत से ऐसे लोग हैं जो अपने बैंक खाते को मेन्टेन करने और उसका खर्च वहन करने में असमर्थ हैं। इसलिए वे लिब्रा से काफी प्रभावित होंगे क्योंकि इसमें खाता मेन्टेन करने जैसा कोई झंझट ही नहीं है।