जाने दतिया का इतिहास और जानिए दतिया में घूमने के लिए प्रमुख जगहों के बारे में

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बुंदेलखंड(Bundelkhand) का दतिया उत्तर प्रदेश का एक ऐतिहासिक और लोकप्रिय तीर्थ स्थल है। दतिया झाँसी(Jhansi) से 16 मील की दूरी पर ग्वालियर(Gwalior) के पास उत्तर प्रदेश(Uttar Pradesh) की सिमा पर स्थित है।

पहले के समय में दतिया को "देतवक्त" की राजधानी माना जाता था। यहाँ का पुराना इलाका चारों तरफ से पत्थर की दीवारों से घिरा हुआ है जिसमें बहुत सारे महल और बगीचे बने हुए है। 17वीं शताब्दी में बना "वीर सिंह महल" उत्तर प्रदेश(Uttar Pradesh) की सबसे बेहतरीन इमारतों में से एक माना जाता हैं।

यहाँ का शक्ति पीठ भारत के सर्वश्रेष्ठ महत्वपूर्ण शक्ति पीठ में से एक है। हर साल यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं की तादाद बहुत होती हैं। पहले दतिया मध्य प्रदेश(Madhya Pradesh) राज्य में देसी रियासत था लेकिन अब दतिया एक स्वतंत्र जिला है।

दतिया के उत्तर में भिंड(Bhind) और जालौन(Jalaun), दक्षिण में शिवपुरी(Shivpuri) और झाँसी(Jhansi), पूर्व में समथर(samathar) और झाँसी(Jhansi), पश्चिम में ग्वालियर (Gwalior) स्थित है। यहाँ की प्रमुख नदियों में सिंध(Sindh) और पहूज(Pahuj) शामिल है। दतिया तीर्थ स्थल के साथ-साथ वहाँ के क्षत्रियों के लिए भी प्रसिद्ध है।

दतिया का इतिहास

दतिया(Datia) की स्थापना 1549 में हुई थी। 1626 में राओ भगवान राओ ने दतिया(Datia) और बरोनी(Barony) को अपने पिता और ओरछा(Orchha) के राजा बीर सिंह देव(Raja Veer Singh Dev) से प्राप्त किया और अपना शासन स्थापित किया। 1679 में उनके निधन के बाद 1802 में बेसिन की संधि के तहत दतिया बुंदेलखंड (Bundelkhand) के बाकि क्षेत्रों के साथ ब्रिटिश नियंत्रण(British control) में आ गया।

यहाँ पहले शासक परिवार को महाराजा राओ राजा(Maharaja Rao Raja) की उपाधि से सम्बोधित किया जाता था लेकिन बाद में अंग्रेजी हुकूमत ने 1865 में महाराजा की उपाधि को सिर्फ वंशानुगत के रूप में मान्यता दी।

अंग्रेज़ों से लड़ाई के लिए पेशवा ने 945 घुड़सवारों, 5203 पैदल सेना और 3 मिलियन तोपों वाली सेना तैयार की थी। 1896-97 में राज्य अकाल से पीड़ित हुआ और 1899-1900 में फिर से अकाल की स्थिति आ गई।

1947 में स्वतंत्रता के बाद दतिया के महाराजा ने दतिया पर भारत के शासन का आरोप लगाया, जिसका बाद में भारत में विलय हो गया। 1950 में दतिया को बाकि बुंदेलखंड एजेंसी(Bundelkhand Agency) के साथ मिलकर विंध्य क्षेत्र के नए राज्य का हिस्सा बना दिया गया।

1956 में विंध्य प्रदेश(Vindhya Pradesh) को भारत का मध्य प्रदेश(Madhya Pradesh) बनाने के लिए कुछ और क्षेत्रों को मिला दिया गया और नए राज्य का निर्माण किया गया।

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घूमने की जगह

श्री पीताम्बरा पीठ(Shri Peetambra Peetha) की नगरी दतिया भारत के मशहूर धार्मिक स्थलों में से एक है। यहाँ बहुत सरे पौराणिक मंदिर, ऐतिहासिक धरोहर, सरोवर, सुन्दर प्राकृतिक दृश्य है।

दतिया के महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों में माँ पीताम्बरा देवी(Peetambra Devi) के मंदिर के अलावा राजा रवि सिंह देव पैलेस(Raja Ravi Singh Dev Palace), राम सागर तालाब (Ram Sagar Pond), गुप्तेश्वर धाम(Gupteshwar Dham), बडोनी(Badoni) और सोनागिरि जैन मंदिर(Sonagiri Jain Temple) शामिल है। यह शहर झाँसी(Jhansi) और ओरछा(Orchha) से बहुत पास है। लोग दतिया को "मिनी वृन्दावन(Mini Vrindavan)" भी कहते है।

1) श्री पीताम्बरा पीठ:- पीताम्बरा धाम(Peetambra Dham) दतिया की ऐसी जगह है जहाँ श्रद्धालु बगलामुखी माँ के दर्शन के लिए खिचे चले आते हैं। माँ पीताम्बरा की दतिया में बहुत ज़्यादा मान्यता है।

यहाँ बड़े-बड़े राजनेता, फ़िल्मी हस्तियाँ दर्शन करने आते रहे है। विश्व भर में एक यही मंदिर है जो माँ बगलामुखी को समर्पित है और अगर यहाँ के स्थानीय लोगों की माने तो माँ के दरबार से कोई खाली हाथ नहीं जाता, सबकी मनोकामना माँ पूरी करती हैं।

क्योंकि माँ को पीला रंग बहुत पसंद है लोग पिले रंग के फूल, पिले वस्त्र और पिले रंग के लड्डू उनपर चढ़ाते हैं। पीताम्बरा पीठ(Peetambra Peetha) में कई मंदिर है जिसमें माँ धूमावती का मंदिर भी शामिल है। धूमावती के मंदिर में माँ एक विधवा स्त्री के रूप में पूजी जाती हैं जिनके दर्शन सिर्फ शनिवार को ही मिलते हैं।

इसके अलावा वहाँ परशुराम मंदिर, माँ सरस्वती मंदिर, हनुमान मंदिर, काल भैरव और बटुक भैरव जैसे कई मंदिर है। मंदिर में चढ़ाये जाने वाले प्रसाद 20 रुपए और 50 रुपए में मिलते है। पीताम्बरा पीठ का मंदिर, दतिया के बस स्टैंड से थोड़ी ही दूरी पर राजगढ़ चौक(Rajgarh Chowk) के पास है। मंदिर सुबह 5 बजे से लेकर रात 10 बजे तक दर्शन के लिए खुला रहता है।

2) वीर सिंह देव महल:- वीर सिंह देव का महल(Raja Veer Singh Deo Palace) दतिया में देखने वाले स्थानों में शामिल है और यहाँ की टिकट मात्र 25 रुपए प्रति व्यक्ति है।

इस महल में मुग़ल और राजपूत की ऐतिहासिक कला एक साथ दिखाई देती है। इस महल का निर्माण 1620 में बुंदेली शासक वीर सिंह देव ने कराया था।

इस महल के और भी कई नाम है जैसे सतखंडा महल(Satkhanda Palace), नरसिंघ महल (Narsingh Mahal), पुराना महल आदि। यह भव्य महल दतिया के मध्य में मुख्य बाज़ार में स्थित है। इस महल को भूलभुलैया भी कहते है।

3) बड़ी माता मंदिर या विजय काली पीठ:- बड़ी माता मंदिर वीर सिंह देव महल के प्रवेश मार्ग पर ही है जिसकी दतिया में बहुत मान्यता है।

4) राम सागर किला और तालाब:- यह किला शहर के मुख्य बाजार किला चौक से लगभग 9 कि.मी. की दूरी पर है। राम सागर पर एक किला और एक सुंदर से तालाब का दृश्य देखने को मिलता है।

वैसे तो राम सागर किले(Ram Sagar Fort) के अब बस अवशेष ही बचे है फिर भी किला दिखाई देता है और सुंदर लगता है। यहाँ पहुँचने के लिए निजी साधन के साथ-साथ ऑटो किया जा सकता है।

5) बालाजी सूर्य मंदिर उनाव:- दतिया से लगभग 17-18 कि.मी. की दूरी पर उनाव नाम की जगह है जहाँ सूर्य बालाजी मंदिर स्थित है। यह मंदिर सूर्य भगवान को समर्पित है और लोगों के बिच इस मंदिर की बहुत मान्यता है।

मंदिर में सूर्य भगवान की कोई मूर्ति नहीं है बल्कि सूर्य यंत्र स्थापित है। सूर्य मंदिर एक महल जैसा बना हुआ है जिसमें भव्य प्रवेश द्वार है।

इस मंदिर के गर्भगृह में सूर्य यंत्र है और ठीक गर्भगृह के बिलकुल सामने नदी है जहाँ तक जाने के लिए सीढ़ियों से निचे उतरना होता है।

इस मंदिर की मान्यताओं में से एक है कि रविवार को नदी में स्नान करके सूर्य यंत्र पर जल चढ़ाया जाये तो चर्म रोग ठीक हो जाते हैं।

कैसे जाए और कहा रुके

दतिया(Datia) ग्वालियर(Gwalior) से लगभग 75 कि.मी. की दूरी पर है और उत्तर प्रदेश(Uttar Pradesh) के झाँसी(Jhansi) से दतिया की दूरी लगभग 28 कि.मी. है।

हवाई मार्ग से आने के लिए ग्वालियर के हवाई अड्डा(Gwalior Airport) आ कर बस या टैक्सी से दतिया का सफर हो सकता है। वही अगर ट्रेन के द्वारा आने की सोचे तो दतिया में एक रेलवे स्टेशन(Ralway Station) भी है।

लेकिन वह स्टेशन इतना छोटा है की बड़ी ट्रेन इस स्टेशन पर रुकती नहीं तो झाँसी या ग्वालियर स्टेशन तक ट्रेन से सफर कर आगे की दूरी टैक्सी या बस से तय की जा सकती है।

अगर सड़क मार्ग की बात करें तो उसका सफर भी आसान है जिसे निजी गाड़ी या बस से तय किया जा सकता है। दतिया में रुकने के लिए हर बजट के होटल मिल जायेंगे।

शहर में कुछ धर्मशाला भी मौजूद है जैसे स्टेशन और बड़ा बाजार का गोविन्द धर्मशाला, माँ पीताम्बरा मंदिर के पास शिवानी लाउंज आदि।

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