‘हार्ट अटैक’ और ‘कार्डियक अरेस्ट’ का सबसे ज्यादा खतरा इन लोगों को होता है!

‘हार्ट अटैक’ और ‘कार्डियक अरेस्ट’ का सबसे ज्यादा खतरा इन लोगों को होता है!
‘हार्ट अटैक’ और ‘कार्डियक अरेस्ट’ का सबसे ज्यादा खतरा इन लोगों को होता है!
2 min read

'हार्ट अटैक' और 'कार्डियक अरेस्ट' का सबसे ज्यादा खतरा इन लोगों को होता है!

Ashish Urmaliya || The CEO Magazine

आमतौर पर लोग दिल की बीमारी के शुरूआती लक्षणों को नज़रअंदाज कर देते हैं और यह लापरवाही लोगों के लिए जानलेवा साबित होती है। दुनियाभर में हुए कई अध्ययनों में यह पाया गया है, कि दिल की बीमारी से होने वाली मौतों में अक्सर लोग शरुआती लक्षणों पर गौर न करने की भूल कर बैठते हैं।

इसी विषय को लेकर कुछ शोधकर्ताओं ने पिछले चार सालों में कई अस्पालों में जाकर दिल के दौरे की वजह से भर्ती होने वाले मरीजों और इसकी वजह से होने वाली मौतों के मामलों की स्टडी की थी। इस स्टडी में पाया गया, कि 16 फीसदी मामलों में अस्पताल में भर्ती कराये गए मरीजों की मौत 28 दिनों के भीतर ही हो गई थी।

आइये इसी रिसर्च के आधार पर जानते हैं कि 'हार्ट अटैक' और 'कार्डियक अरेस्ट' का सबसे ज्यादा खतरा किन लोगों को होता है।

हार्ट अटैक का सबसे ज्यादा खतरा-

– मोटापे के शिकार लोगों को

– जिस परिवार का दिल की बीमारियों से जुड़ा इतिहास रहा हो

– जिसे उच्च रक्त चाप (हाई ब्लड प्रेशर) की समस्या हो

– मधुमेह(डायबीटीज़) के शिकार लोगों को

– शारीरिक व्यायाम न करने वाले लोगों को

– एक गतिहीन जीवन शैली वाले लोगों को

कार्डियक अरेस्ट का सबसे ज़्यादा खतरा-

– शौकिया दवाइयां खाने वाले लोगों को

– दिल की बीमारी से जुड़ी दवाइयां खाने वाले लोगों को

– दिल की मांसपेशियों को नुकसान पहुंचने की वजह से

– दिल की धड़कन में असामान्यता

कार्डियक अरेस्ट के खतरे से बचने के लिए जरूरी है, कि आप समय-समय पर रुटीन चेक-अप और दिल की जांच कराते रहें। इस मामले में यह ज़रूरी होता है, कि जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी एक्शन लें, तभी जान बच पायेगी। जब तक की डॉक्टर पहुंचे तब तक मरीज पर सीपीआर शुरू कर दें।

कार्डिऐक अरेस्ट के खतरे से बचने के लिए यह जरूरी है कि आप रुटीन चेक-अप और दिल की नियमित जांच कराते रहें। कार्डिऐक अरेस्ट के मामले में, यह ज़रूरी है कि जितना जल्दी हो सके उतनी जल्दी एक्शन लें, तभी आपकी जान बच सकेगी। जब तक डॉक्टर आए तब तक आप तुरंत मरीज़ पर सीपीआर (Cardiopulmonary resuscitation) शुरू कर दें।

हार्ट अटैक के मामले में भी तुरंत एम्बुलेंस बुलाएं, अगर मरीज बेहोश हो जाए तो 'सीपीआर' (मरीज की चेस्ट को हल्का दबाव देने और मुंह से सांस देने की प्रक्रिया) शुरू कर दें। अगर उपलब्धता हो तो मरीज को एस्प्रिन की एक गोली भी दी जा सकती है। लेकिन अगर डॉक्टर ने कोई और दवा सुझाई हो, तो उसको ही फॉलो करें।

वहीं, हार्ट अटैक के मामले में, फौरन एम्बुलेंस को फोन कर बुलाएं और अगर मरीज़ बेहोश हो जाए तो उस पर सीपीआर शुरू कर दें। आप मरीज को ऐस्प्रिन की एक गोली भी दे सकते हैं, लेकिन अगर डॉक्टर ने किसी और दवा का सुझाव दिया है तो उसे ही फॉलो करें।

ध्यान दें, यह आर्टिकल एक अध्ययन पर आधारित है, डॉक्टर की सलाह के बिना खुद से कोई भी प्रयास न करें।

सरकारी योजना

No stories found.

समाधान

No stories found.

कहानी सफलता की

No stories found.

रोचक जानकारी

No stories found.
logo
Pratinidhi Manthan
www.pratinidhimanthan.com