स्नान दान पूर्णिमा- देवता भी पृथ्वी पर आकर गंगा स्नान करते हैं!

पूर्णिमा दैविक दिन माना जाता है। इस दिन चन्द्रमा पृथ्वी और जल तत्व को पूर्ण रूपेण प्रभावित करता है। हिन्दू कैलेंडर के जो महीने होते हैं उन सभी महीनों का आखिरी दिन पूर्णिमा होती है।
स्नान दान पूर्णिमा- देवता भी पृथ्वी पर आकर गंगा स्नान करते हैं!
स्नान दान पूर्णिमा- देवता भी पृथ्वी पर आकर गंगा स्नान करते हैं!
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सबसे पहले पूर्णिमा शब्द का अर्थ समझिए,

पूर्णिमा(Purnima) एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ पूरा चांद होता है। यानि जिस तिथि की रात्रि को आसमान में पूरा चांद दिखाई दे वो पूर्णिमा(Purnima) कहलाती है। और इस तरह की घटना साल में 12 बार होती है यानि प्रत्येक महीने। जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 13 हो जाती है।

प्रत्येक माह पूर्णिमा(Purnima) आती है और हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार, हर एक पूर्णिमा का अपना विशेष महत्व है। दरअसल, पूर्णिमा(Purnima) प्रत्येक महीने में दो चंद्र नक्षत्रों (पक्षों) के बीच विभाजन का प्रतीक है, और चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के साथ बिल्कुल एक सीधी रेखा में संरेखित है, जिसे सहजीवन कहा जाता है।

स्नान दान पूर्णिमा- देवता भी पृथ्वी पर आकर गंगा स्नान करते हैं!
झांसी का धार्मिक विविधता

पहला महीना- चैत्र यानि अप्रैल के महीने में पड़ने वाली पूर्णिमा(Purnima) के दिन 'हनुमान जयंती(Hanuman Jayanti)' का उत्सव मनाया जाता है। इसी दिन 'प्रेम पूर्णिमा पति व्रत' भी किया जाता है। जान लें, चैत्र (अप्रैल) के महीने से ही हिन्दू नव वर्ष शुरू होता है।

दूसरा महीना- वैशाख मास की पूर्णिमा(Purnima) के दिन 'बुद्ध जयंती' मनाई जाती है।

तीसरा महीना- ज्येष्ठ की पूर्णिमा(Purnima) के दिन वट सावित्री का व्रत किया जाता है।

चौथा महीना- आषाढ़ मास की पूर्णिमा(Purnima) को गुरू-पूर्णिमा(Guru-Purnima) कहते हैं। इस दिन विधि विधान से अपने गुरु की पूजा की जाती है। इसी दिन कबीर जयंती (Kabir Jayanti) भी मनाई जाती है।

पांचवां महीना- श्रावण की पूर्णिमा(Purnima) के दिन रक्षाबन्धन (भाई-बहन का पवित्र त्यौहार) मनाया जाता है।

छठा महीना- भाद्रपद (भादों मास) की पूर्णिमा(Purnima) के दिन उमा-महेश्वर व्रत किया जाता है।

सातवां महीना- अश्विन मास जिसे 'क्वार' मास भी कहा जाता है. इस मास की पूर्णिमा (Purnima) के दिन 'शरद पूर्णिमा(Sharad Purnima)' त्यौहार मनाया जाता है।

आठवां महीना- कार्तिक मास की पूर्णिमा(Purnima) के दिन पुष्कर मेला लगता है और गुरुनानक जयंती(gurunanak jayanti) पर्व भी मनाया जाता है। इस पूर्णिमा(Purnima) को स्नानदान पूर्णिमा भी कहा जाता है.

नौवां महीना- मार्गशीर्ष (अगहन) मास की पूर्णिमा(Purnima) के दिन श्री दत्तात्रेय जयंती मनाई जाती है।

दसवां महीना- पौष मास की पूर्णिमा(Purnima) के दिन बनारस में दशाश्वमेध तथा प्रयाग में त्रिवेणी संगम पर स्नान को बहुत ही फलदाई माना जाता है। इसी दिन जैन धर्मावलंबी पुष्यभिषेक यात्रा प्रारंभ करते हैं। शाकंभरी जयंती भी मनाई जाती है।

ग्यारवां महीना- माघ की पूर्णिमा(Purnima) के दिन संत रविदास, श्री भैरव व श्री ललित जयंती मनाई जाती है। माघी पूर्णिमा(Purnima) के दिन संगम पर माघ-मेले का भव्य आयोजन होता है. माघ मेले में जाने व स्नान करने का विशेष महत्व होता है.

बारवां महीना- फाल्गुन मास की पूर्णिमा(Purnima) के दिन सभी बुराइयों का नाश करने वाला 'होली' का पर्व मनाया जाता है।

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पुलिस के पुख्ता इंतजामों के साथ ग्राम अमरा में निकाली गई शिव बारात।

पूर्णिमा दैविक दिन माना जाता है। इस दिन चन्द्रमा पृथ्वी और जल तत्व को पूर्ण रूपेण प्रभावित करता है। हिन्दू कैलेंडर के जो महीने होते हैं उन सभी महीनों का आखिरी दिन पूर्णिमा होती है। कहते हैं इस दिन स्नान और दान का बड़ा महत्व रहता है। इस दिन सभी देवता गंगा स्नान करने के लिए धरती पर आते हैं।

पूर्णिमा वाली तिथि के स्वामी चन्द्रमा होते हैं इसलिए इस दिन चन्द्रमा की आराधना कर हर तरह की मानसिक समस्याओं से निजात पाया जा सकता है। चंद्र देव के साथ ही इस दिन मुख्य रूप से भगवान विष्णु और शिव की भी आराधना करनी चाहिए।

व्रत की दृष्टि से कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) बहुत ही ज्यादा महत्व पूर्ण मानी जाती है। कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा या गंगा स्नान के नाम से भी जाना जाता है।

पूर्णिमा में आराधना का क्या मतलब है-

पूर्णिमा में आराधना का मतलब स्नान और दान से है। प्रातः काल स्नान के पूर्व संकल्प लें और जल में तुलसी के पत्ते डालें। पहले जल को सिर पर लगाकर प्रणाम करें फिर स्नान करना आरम्भ करें। स्नान करने के बाद सूर्य को अर्घ्य दें।

साफ वस्त्र या सफेद वस्त्र धारण करें, फिर दिन भर अधिक से अधिक मंत्र जाप करें- ॐ नमः शिवाय! सफेद वस्तुओं और जल का दान करें। शाम को माता लक्ष्मी का ध्यान व् आराधना करें, रात्रि में चन्द्रमा को अर्घ्य अवश्य दें।

चाहें तो इस दिन जल और फल ग्रहण करके उपवास रख सकते हैं। और हो सके तो स्नान किसी नदी में ही करें। इस दिन गंगा में स्नान कर लिया तो उससे बढ़ कर कुछ नहीं, ऐसा शास्त्र कहते हैं।

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