(कथा की शुरुआत)
विजया एकादशी का व्रत हिंदू धर्म में एक अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है। इस व्रत का पालन करने से जीवन में आने वाले सभी कष्टों और बाधाओं का नाश होता है, और व्यक्ति को विजय की प्राप्ति होती है। विजया एकादशी (फाल्गुन कृष्ण एकादशी) का व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए है, जो कठिन परिस्थितियों में भी विजय प्राप्त करना चाहते हैं। आइए, इस अद्भुत व्रत की कथा को विस्तार से जानें।
त्रेतायुग में, जब भगवान श्रीराम वनवास में थे, तब उन्हें अपनी पत्नी माता सीता की खोज के लिए लंका पर आक्रमण करना पड़ा। लंका का राजा रावण माता सीता को हरण करके लंका ले गया था, और भगवान राम उन्हें वापस लाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे थे।
जब भगवान राम अपनी वानर सेना के साथ समुद्र के किनारे पहुंचे, तो उन्हें यह चिंता हुई कि विशाल समुद्र को कैसे पार किया जाए। समुद्र के उस पार लंका थी, जहां रावण ने माता सीता को बंदी बनाया हुआ था। समुद्र को पार करना असंभव सा लग रहा था, और भगवान राम इसके लिए चिंतित हो गए।
भगवान राम ने समुद्र को पार करने के उपाय के बारे में सोचा और अपनी सेना के साथ शिविर स्थापित किया। उन्होंने अपने भक्त और मंत्री, हनुमानजी को बुलाया और कहा, "हे हनुमान! हमें यह पता लगाना है कि इस विशाल समुद्र को कैसे पार किया जाए, ताकि हम रावण से युद्ध कर सकें और सीता को मुक्त कर सकें।"
हनुमानजी ने भगवान राम को एक सुझाव दिया: "प्रभु, नजदीक ही एक पवित्र मुनि निवास करते हैं। वे अत्यंत ज्ञानी और तपस्वी हैं। उनकी शरण में जाने से हमें कोई उपाय अवश्य प्राप्त होगा।"
भगवान राम मुनि के पास गए और अपनी चिंता को प्रकट किया। मुनि ने भगवान राम से कहा, "हे प्रभु! आपकी विजय निश्चित है, लेकिन इस समुद्र को पार करने और सफल होने के लिए आपको एक विशेष व्रत करना होगा। वह व्रत है विजया एकादशी का। इस एकादशी का व्रत करने से आप हर प्रकार की बाधा को पार कर विजय प्राप्त करेंगे।"
मुनि ने व्रत की विधि बताते हुए कहा, "इस व्रत को पूरी श्रद्धा और नियम के साथ करना चाहिए। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करनी होगी और दिनभर उपवास रखना होगा। इस व्रत के प्रभाव से सभी कठिनाइयों का नाश होगा और विजय की प्राप्ति होगी।"
भगवान राम ने मुनि द्वारा बताई गई विधि के अनुसार विजया एकादशी का व्रत किया। उन्होंने अपने भक्तों और सेना के साथ पूरी श्रद्धा से भगवान विष्णु की पूजा की और व्रत का पालन किया। इस व्रत के प्रभाव से समुद्र देवता प्रसन्न हुए और उन्होंने भगवान राम के लिए समुद्र को शांत कर दिया, जिससे राम की वानर सेना समुद्र पार कर लंका पहुंच सकी।
विजया एकादशी का व्रत पूरा करने के बाद भगवान राम ने अपनी सेना के साथ लंका पर आक्रमण किया। इस व्रत के प्रभाव से भगवान राम को रावण पर विजय प्राप्त हुई और उन्होंने माता सीता को मुक्त किया। रावण के पराजय के बाद, भगवान राम ने धर्म, सत्य और न्याय की स्थापना की।
विजया एकादशी की यह कथा हमें यह सिखाती है कि भगवान विष्णु की भक्ति और व्रत के प्रभाव से जीवन की सभी बाधाओं को पार कर विजय प्राप्त की जा सकती है। जो भी व्यक्ति इस व्रत का पालन करता है, उसे जीवन में हर प्रकार की कठिनाईयों और संघर्षों से मुक्ति मिलती है, और वह विजय के मार्ग पर अग्रसर होता है।
"विजया एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को विजय की प्राप्ति होती है और भगवान विष्णु की कृपा से उसके सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं।"