मोहिनी एकादशी (वैशाख शुक्ल एकादशी)

Mohini Ekadashi (Vaishakh Shukla Ekadashi)
Mohini Ekadashi (Vaishakh Shukla Ekadashi)Mohini Ekadashi (Vaishakh Shukla Ekadashi)
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मोहिनी एकादशी की कथा

(कथा की शुरुआत)

हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है, और मोहिनी एकादशी (वैशाख शुक्ल एकादशी) को अत्यधिक पवित्र और शक्तिशाली व्रत माना जाता है। इस व्रत का पालन करने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। मोहिनी एकादशी का संबंध भगवान विष्णु के मोहिनी अवतार से है, जिसमें उन्होंने देवताओं और असुरों के बीच अमृत वितरण किया था। इस व्रत की कथा हमें धर्म, भक्ति और भगवान विष्णु की अनंत कृपा का संदेश देती है।

आइए, इस मोहिनी एकादशी की कथा को विस्तार से जानें।

कथा का प्रारंभ

प्राचीन समय में भगवान श्रीराम अपने वनवास के समय जब माता सीता का हरण हो जाने पर अत्यंत दुखी थे, तब उन्होंने सुग्रीव से मित्रता की। सुग्रीव की मदद से उन्हें हनुमान और अन्य वानरों की सेना मिली, जिनकी सहायता से वे लंका पर आक्रमण करने के लिए तैयार हो रहे थे।

लेकिन भगवान राम को मन में यह चिंता थी कि क्या वे युद्ध में रावण पर विजय प्राप्त कर पाएंगे? वह अत्यंत विचलित थे और इसी दुविधा के समाधान के लिए उन्हें ऋषि वशिष्ठ की सलाह की आवश्यकता हुई।

ऋषि वशिष्ठ का मार्गदर्शन

भगवान राम ने ऋषि वशिष्ठ के पास जाकर अपने मन की चिंता प्रकट की। ऋषि वशिष्ठ ने भगवान राम को मोहिनी एकादशी के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने कहा, "हे राम, यदि आप मोहिनी एकादशी का व्रत विधि-विधान से करेंगे, तो न केवल आपके पापों का नाश होगा, बल्कि आपके जीवन के सभी संकट भी समाप्त हो जाएंगे। इस व्रत का पालन करने से आप रावण पर विजय प्राप्त कर सकेंगे।"

ऋषि वशिष्ठ ने भगवान राम को बताया कि यह व्रत अत्यंत पवित्र और शुभ है। जो व्यक्ति मोहिनी एकादशी का व्रत करता है, उसे भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।

मोहिनी एकादशी का महात्म्य

मोहिनी एकादशी का नाम भगवान विष्णु के मोहिनी रूप से जुड़ा हुआ है। जब देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन हुआ, तो अमृत निकला। अमृत के वितरण को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया। तब भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण कर अमृत का वितरण किया और असुरों को मोहित कर दिया। भगवान विष्णु ने इस रूप में देवताओं को अमृत पान कराया और असुरों को वंचित रखा। इस प्रकार, उन्होंने देवताओं को अमरता प्रदान की और असुरों को पराजित किया।

मोहिनी एकादशी का व्रत भगवान विष्णु के इस मोहिनी रूप की लीला को स्मरण करने का अवसर है, जिसमें उन्होंने असुरों के अहंकार और अधर्म का नाश किया।

भगवान राम का व्रत पालन

भगवान राम ने ऋषि वशिष्ठ के निर्देशानुसार मोहिनी एकादशी का व्रत किया। उन्होंने विधिपूर्वक भगवान विष्णु की आराधना की और पूरे दिन उपवास रखा। इस व्रत के प्रभाव से उनके मन की सभी दुविधाएं समाप्त हो गईं और उन्हें रावण पर विजय प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त हुआ। भगवान राम ने अपनी सेना के साथ लंका पर आक्रमण किया और अंततः रावण का वध करके माता सीता को मुक्त कराया।

कथा का संदेश

मोहिनी एकादशी की यह कथा हमें यह सिखाती है कि भगवान विष्णु की भक्ति और एकादशी व्रत के पालन से व्यक्ति के जीवन के सभी संकट समाप्त हो जाते हैं। यह व्रत न केवल पापों का नाश करता है, बल्कि विजय, शांति और समृद्धि का मार्ग भी प्रशस्त करता है। जो कोई मोहिनी एकादशी का व्रत करता है, उसे भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में आने वाली सभी कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है।

"मोहिनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं और भगवान विष्णु की कृपा से उसे जीवन के सभी संकटों से मुक्ति मिलती है।"

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