ब्रेन कैंसर: कैसे होती है इसकी शुरुआत? जानिए सबकुछ!
Ashish Urmaliya | The CEO Magazine
दुनियाभर के वैज्ञानिक लोग एड़ी-चोटी का जोर लगाए हुए हैं, कि किसी तरह कैंसर का इलाज मिल जाये, बस। लेकिन अब तक कोई भी पूरी तरह सफल नहीं हो पाया है। आये दिन समाचार पत्रों व वेबसाइटों पर नई-नई ख़बरें छपती हैं, फलां-फलां रिसर्च सेंटर ने कैंसर या ब्रेन कैंसर की कोई नई कारगर दवा का परिक्षण कर लिया है, बगैरह-बगैरह। हालांकि, कुछ देशों ने वाकई ब्रेन कैंसर को कंट्रोल करने वाली दवाएं, थैरेपीज ईजाद कर ली हैं। लेकिन आत्मविश्वास के साथ अभी ये नहीं कहा जा सकता कि, ब्रेन कैंसर का परफेक्ट इलाज मिल चुका है।
हाल ही में अमेरिका की विस्कॉन्सिन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक सफल परीक्षण किया है, जिसमें उन्होंने बिना जबड़े वाली समुद्री मछली 'लैंप्रे' के इम्यून सिस्टम में एक ऐसे मॉलिक्यूल का पता लगाया है, जिसकी मदद से कैंसर विरोधी दवा को सीधा ब्रेन ट्यूमर तक पहुंचाया जा सकता है। इस सफल परीक्षण से ब्रेन कैंसर के इलाज की दिशा में उम्मीद की एक नई किरण नजर आई है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि, यह परिक्षण कई सारी बिमारियों के इलाज में सहायक हो सकता है। दरअसल, एक खास बैरियर के चलते आमतौर पर खून के रस्ते शरीर में भेजी गई दवा दिमाग के प्रभावित हिस्से तक नहीं पहुंच पाती है। ब्रेन कैंसर और स्ट्रोक से संबंधित बीमारियों के यह बैरियर बीच-बीच में कमजोर पड़ता है। इस मछली के इम्यून सिस्टम में मिले मोलिक्यूल्स इसी कमजोरी का फायदा उठाते हैं, और दवा को ठीक बीमारी की जगह तक पहुंचा देते हैं। इस शोध से कई अन्य जटिल बीमारियों को ठीक करने में सहायता मिलने की संभावना है।
लगातार बढ़ रहे हैं ब्रेन कैंसर की मरीज-
बीते कुछ वर्षों में मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी से संबंधित कैंसर के मामलों में भारी इजाफा हुआ है। आमतौर पर शरीर के दूसरे अंगों में होने वाले कैंसर जैसे फेफड़े और स्तन के कैंसर का भी ब्रेन और स्पाइन पर असर पड़ता है। सभी तरह के कैंसर ब्रेन और स्पाइन को सेकंडरी कैंसर के रूप में प्रभावित करते हैं।
कैसे होती है ब्रेन कैंसर की शुरुआत?
जब आपके दिमाग में ट्यूमर लगातार बढ़ रहा होता है, वह ब्रेन कैंसर होता है। ट्यूमर का मतलब, दिमाग की बहुत सारी कोशिकाओं का अनियंत्रित होना। जब आपके ब्रेन में ट्यूमर बढ़ने लगता है, तो इसके साथ ही कोशिकाओं का नियंत्रण लगातार बिगड़ने लगता है और कोशिकाओं का विभाजन असामान्य रूप से होने लगता है। असामान्य विभाजन ब्रेन सेल्स को घातक नुकसान पहुंचाता है। ब्रेन में असामान्य रूप से फ़ैल रहीं ये कोशिकाएं कैंसर का रूप धारण कर लेती हैं और शल्य चिकित्सा द्वारा इस पर कंट्रोल पाना बेहद मुश्किल हो जाता है। आमतौर पर ब्रेन कैंसर का पता लगने में काफी देर हो जाती है।
अब तक की गई शोधों में पता लगा है कि, ब्रेन कैंसर कई तरह का होता है। लेकिन इनमें से सबसे खतरनाक जो ब्रेन कैंसर होता है, वह है- ग्लिसयोमास। ब्रेन कैंसर की शुरुआत कैसे होती है और क्यों होती है, यह तो बता पाना मुश्किल है, लेकिन कुछ शोधों से पता लगा है कि, इसके जीन अनुवांशिक होते हैं।
ब्रेन कैंसर की शुरूआती अवस्था को ग्लाइयोमा कहा जाता है। इसके लगभग 80 फीसदी मामले ग्लाइयोमा से ही संबंधित होते हैं। सामान्यतः पाया गया है कि, प्राइमरी स्टेज का ब्रेन कैंसर बच्चों के सिर के पिछले भाग और वयस्कों के अगले भाग में होता है।
ब्रेन कैंसर के लक्षण-
इसके लक्षण इसके अकार और जगह पर निर्भर करते हैं, कि यह ब्रेन के किस हिस्से को प्रभावित कर रहा है। आमतौर पर-
-सिरदर्द होता है, मचलन होती है।
-बीमारी से पीड़ित व्यक्ति अचानक से बेहोश हो जाता है या फिर कॉमा में चला जाता है।
-बच्चों व वयस्कों दोनों के सामान्य स्वभाव में परिवर्तन आ जाता है।
-याददाश्त कमजोर पड़ने लगती है, मिर्गी के दौरे पड़ने लगते हैं।
ब्रेन कैंसर जैसी बीमारी को कैसे रोका जा सकता है?
– व्यक्ति को पूरी नींद लेनी चाहिए।
– तनाव से बचना चाहिए।
– जंक फूड से दूरी बनायें।
– दबा के पानी पियें।
– नियमित रूप से योग, व्यायाम करें।
– संतुलित व पौष्टिक आहार लें।
– किसी भी तरह के नशे से बचें।
उपचार की प्रक्रिया-
प्राथमिक उपचार की बात की जाये, तो सर्जरी, कीमोथेरेपी द्वारा ब्रेन कैंसर का उपचार किया जाता है। ब्रेन कैंसर की दूसरी स्टेज से निपटने के लिए रेडियोथेरेपी का सहारा लिया जाता है। रेडियोथेरेपी के अंतर्गत सबसे नवीनतम इलाज 'गामा नाइफ' और 'साइबर नाइफ' नामक मशीनों द्वारा दिमाग व स्पाइन के कैंसर प्रभावित हिस्सों पर विकरण के जरिये किया जाता है।