पराली जलाने से 30 अरब डॉलर का नुकसान, देश की अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान
Ashish Urmaliya | The CEO Magazine
अमेरिका के इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टिट्यूट (आईएफपीआरआई) और इसके भारतीय सहियोगी संस्थानों द्वारा एक खास रिपोर्ट तैयार की गई है। जिसमें कहा गया है कि, उत्तर भारत में किसानों द्वारा पराली जलाने के चलते देश को प्रतिवर्ष करीब 30 अरब डॉलर का आर्थिक नुकसान हो रहा है। इतना ही नहीं, इसके कारण देश में भारी प्रदुषण बढ़ रहा है। जिससे लोगों (खास कर बच्चों) में श्वास संबंधी संक्रमण का खतरा बढ़ गया है।
उत्तर भारत में पराली को लेकर यह पहली रिपोर्ट है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, पराली जलाने से होने वाले प्रदुषण के कारण उत्तर भारत के विभिन्न जिलों में लोगों में एक्यूट रेसपिरेटरी इंफेक्शन (एआरआई) का खतरा तीन गुना अधिक होता है। 5 साल तक के बच्चों को यह खतरा सर्वाधिक है। इस अध्ययन का मुख्य उद्देश्य उत्तर भारत में पराली जलाने से स्वास्थ्य एवं अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले असर का पता लगाना था। आईएफपीआरआई के रिसर्च फेलो ने कहा है कि, दुनिया भर में वायु की गुणवत्ता ने बहुत खराबी आई है, जिसके चलते लोगों की स्वास्थ्य संबंधी समस्या भी बढ़ गई है।
बात करें दिल्ली की, तो राजधानी की हवा में पार्टिकुलेट मैटर का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठनों के मानकों से 20 गुणा अधिक हो गया है। और दिल्ली में प्रदूषण बढ़ाने वाले कारकों में, पराली एक सबसे बड़ा कारक है। हरियाणा और पंजाब में किसानों द्वारा जलाई गई पराली का सीधा प्रभाव दिल्ली की वायु गुणवत्ता पर पड़ता है।
2.50 लाख लोगों और नासा के सैटेलाइट डाटा के आधार पर किया गया अध्ययन :-
इपीडेमिलॉजी (महामारी विज्ञान) के इंटरनेशनल जर्नल के नए संस्करण में प्रकाशित होने वाली इस रिपोर्ट में तकरीबन 2.50 लाख लोगों पर अध्ययन किया गया है.इस अध्ययन में शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के सभी उम्र के लोग शामिल थे। साथ ही, इसमें पराली प्रभावित क्षेत्रों का पता लगाने के लिए नासा की सेटेलाइट से डाटा भी लिया गया है।
पटाखे न फोड़ने से देश की GDP हो जायेगी इतनी मजबूत :-
अध्ययन से पता लगा है कि, पराली से होने वाला पूरा आर्थिक नुकसान, उत्तर भारत के सिर्फ तीन राज्यों पंजाब, दिल्ली और हरियाणा की वजह से ही होता है। और यह नुकसान 2 लाख करोड़ रूपए/ प्रतिवर्ष की दर से हो रहा है। इस शोध में स्वास्थ्य संबंधी समस्या के कुछ अन्य कारकों जैसे, दीवाली के समय फोड़े जाने वाले पटाखों, मोटर वाहनों से निकलने वाले प्रदूषण को शामिल किया गया है।
अगर सिर्फ पटाखों से होने वाले आर्थिक नुकसान की बात करें तो, यह नुकसान करीब 7 अरब डॉलर का यानी 50 हजार करोड़ रूपए सालाना का है। पिछले 5 सालों में सिर्फ पटाखों की वजह से देश की जीडीपी का 1.7 फीसद आर्थिक नुकसान हुआ है। मतलब, 190 बिलियन डॉलर का।