देश की पहली और एक मात्रा महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी भारतीय जनता में इतनी लोकप्रिय थी की जिसकी कोई सिमा नहीं

देश की पहली और एक मात्रा महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी भारतीय जनता में इतनी लोकप्रिय थी की जिसकी कोई सिमा नहीं
देश की पहली और एक मात्रा महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी भारतीय जनता में इतनी लोकप्रिय थी की जिसकी कोई सिमा नहीं
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देश से "गरीबी हटाओ(eliminate poverty)" नारे को हकीकत में बदलने के सिवा "आपातकाल" के लिए भी जानी जाती हैं। इंदिरा(Indira) का पूरा नाम इंदिरा प्रियदर्शिनी गाँधी (Indira Priyadarshini Gandhi) है।

1966 (छियासठ) से 1977 (सतहत्तर) तक लगातार 3 पारी के लिए भारत राष्ट्र की प्रधानमंत्री रहीं और उसके बाद चौथी पारी में 1980 से लेकर 1984(चौरासी) में राजनैतिक हत्या तक भारत की प्रधानमंत्री रहीं।

उन्हें विश्व भर के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों द्वारा डॉक्टरटे की उपाधि से सम्मानित किया गया था। उन्होंने ना केवल भारतीय राजनीति पर अपना परचम लहराया बल्कि विश्व राजनीति पर भी छाई रहीं।

जीवन परिचय

इंदिरा(Indira) का जन्म 19 नवम्बर, 1917 को राजनीतिक रूप से कुशल व शक्तिशाली नेहरू परिवार में हुआ था।

पिता जवाहरलाल नेहरू(Jawaharlal Nehru) और माँ कमला नेहरू(Kamala Nehru) ने इंदिरा(Indira) को बड़े नाज़-प्यार से पाला। उनकों "गाँधी" का उपनाम फिरोज़ गाँधी(Firoz Gandhi) से शादी के बाद मिला। उनके दादा मोतीलाल नेहरू और पिता जवाहरलाल नेहरू (Jawaharlal Nehru), दोनों ही मशहूर बेरिस्टर व राजनेता थे।

पिता जवाहरलाल नेहरू(Jawaharlal Nehru) तो आज़ाद भारत के पहले प्रधानमंत्री भी थे। 1934-35 में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद इंदिरा(Indira) ने शान्तिनिकेतन में रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा निर्मित विश्व-भारती विश्वविद्यालय में दाखिला ले लिया।

रविंद्रनाथ ने ही उन्हें "प्रियदर्शनी(Priyadarshini)" का नाम दिया था। इसके बाद इंदिरा(Indira) इंग्लैंड(England) चली गई और ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय(The University of Oxford) की प्रवेश परीक्षा दी लेकिन विफल हो गई। फिर ब्रिस्टल(bristol) के बैडमिंटन स्कूल(badminton School) में कुछ महीने गुजारने के बाद 1937 (सैंतीस) में परीक्षा पास करने के बाद उन्होंने सोमरविल कॉलेज(Somerville College), ऑक्सफ़ोर्ड (Oxford) में दाखिला ले लिया।

कॉलेज के वक्त में उनकी मुलाकात अक्सर फिरोज़ गाँधी(Firoz Gandhi) से हुआ करती जिन्हें वह इलाहाबाद(Allahabad) से जानती थी और 16 मार्च, 1942 (बयालीस) को आनंद भवन, इलाहाबाद(Allahabad) में निजी समारोह में उनकी शादी हो गई। 1941 में ऑक्सफ़ोर्ड(Oxford) से भारत वापस आने के बाद वह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गयी।

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1950 में उन्होंने नेहरू मंत्रालय(Nehru Ministry) में गैर-सरकारी तौर पर एक निजी सहायक के रूप में काम किया। 1964 (चौंसठ) में पिता की मृत्यु के बाद उन्होंने बतौर राज्यसभा सदस्य काम किया और उसके बाद वह लाल बहादुर शास्त्री(Lal Bahadur Shastri) के मंत्रिमंडल में सुचना और प्रसारण मंत्री(Broadcasting Minister) के तौर पर नियुक्त की गई।

1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद देश की अस्थिरता की वजह से 1974 (चौहत्तर) में इंदिरा गाँधी(Indira Gandhi) ने आपातकाल लागू कर दिया। 1980 में सत्ता में लौटने के बाद वह ज़्यादातर पंजाब(Punjab) के अलगाव वादियों के साथ सीधे टक्कर में रही जिसके बाद 1984 (चौरासी) में उनके अपने ही अंगरक्षकों द्वारा उनकी गोली मार कर हत्या कर दी गई।

पहली और आखिरी महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी

जब इंदिरा गाँधी(Indira Gandhi) 1966 (छियासठ) में प्रधानमंत्री बनी तब कांग्रेस दो गुटों में बट गया था। इंदिरा गाँधी(Indira Gandhi) ने समाजवादी कांग्रेस का नेतृत्व किया तो मोरारजी देसाई ने रूढ़िवादी कांग्रेस का नेतृत्व किया।

मोरारजी देसाई इंदिरा(Morarji Desai Indira) को "गूंगी गुड़िया(dumb doll)" कहा करते थे। 1967 (सड़सठ) के चुनाव में कांग्रेस को बड़ी सी आंतरिक समस्याओं का सामना करना पड़ा।

1969 (उनहत्तर) में सरकार ने बैंकों का राष्ट्रीयकरण करने का एलान कर दिया फिर 1971 में बांग्लादेशी शरणार्थियों की समस्या सुलझाने के लिए उन्होंने पूर्वी पाकिस्तान पर युद्ध की घोषणा कर दी। 1974 (चौहत्तर) में भारत ने सफलतापूर्वक "स्माइलिंग बुद्धा(Smiling Buddha)" नाम के परमाणु परीक्षण को राजस्थान(Rajasthan) के रेगिस्तान में बसे गांव पोखरण(Pokhran) के करीब किया।

जब 12 जून, 1975 (पचहत्तर) को इलाहाबाद(Allahabad) उच्च न्यायालय ने इंदिरा गाँधी(Indira Gandhi) के ऊपर लोकसभा चुनाव में भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया और उस चुनाव को रद्द घोषित कर दिया। एक साल के लिए संसदीय चुनाव में उनके भाग लेने पर प्रतिबंध लगा दिया।

जिसके बाद 26 जून, 1975 (पचहत्तर) में इंदिरा(Indira) ने देश में आपातकाल लागू कर धरा-352 लगा दिया।

ओप्रशन ब्लू स्टार और इंदिरा की हत्या

1980 में देश के आगे पंजाब के खालिस्तानीयों(Khalistanis) की समस्या आ खड़ी हुई। 1984 (चौरासी) में सिख चरमपंथी(extremist) धीरे-धीरे जंगल में आग के जैसे फैल रही थी और अमृतसर(Amritsar) के स्वर्ण मंदिर(Golden Temple) में चरमपंथियों का जमावड़ा लगने लगा।

जिसके बाद उसी साल इंदिरा गाँधी(Indira Gandhi) ने पंजाब(Punjab) के स्वर्ण मंदिर (Golden Temple) में घुस कर "ओप्रशन ब्लू स्टार(operation blue star)" चलाने का आदेश दे दिया। सिख समुदाय में इस बात का बड़ा गुस्सा था कि पवित्र स्थल पर जहाँ हज़ारों मासूम लोग भी है, आतंकवादियों के सफाए के लिए प्रधानमंत्री ने ऐसे आदेश दे दिए और कई मासूमों ने अपनी जान गवा दी।

31 अक्टूबर, 1984 (चौरासी) को उनकी सुऱक्षा में तैनात सतवंत सिंह(Satwant Singh) और बेअंत सिंह(Beant Singh) ने उन्हें गोली से मर कर उनकी हत्या कर दी।

इंदिरा गाँधी(Indira Gandhi) ने जितनी मुश्किलें अपने राजनैतिक सफर में सही उतनी ही उन्होंने निजी ज़िन्दगी में भी झेली। इंदिरा गाँधी(Indira Gandhi) ने अपने बड़े बेटे संजय गाँधी(Sanjay Gandhi) को अपना वारिस चुना लेकिन अफ़सोस एक वायुयान की दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई।

छोटे बेटे राजीव गाँधी(Rajiv Gandhi) को तब 1981 में पायलट की नौकरी छोड़ राजनीति में आना पड़ा जिनकी भी मई 1991 में लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम(Liberation Tigers of Tamil Eelam) के आतंकवादी ने हत्या कर दी। जिसके बाद राजीव गाँधी की पत्नी सोनिया गाँधी(Sonia Gandhi) फिर उनके बेटे राहुल गाँधी(Rahul Gandhi) ने कांग्रेस का नेतृत्व किया।

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