जाने कौन है "श्वेत क्रांति के जनक" डॉ. वर्गीज़ कुरियन

जाने कौन है "श्वेत क्रांति के जनक" डॉ. वर्गीज़ कुरियन
जाने कौन है "श्वेत क्रांति के जनक" डॉ. वर्गीज़ कुरियन
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"फादर ऑफ़ द वाइट रेवोलुशन(Father of the White Revolution)” डॉ. वर्गीज़ कुरियन(Dr. Verghese Kurien) अपने "बिलियन लीटर आईडिया(billion liter idea)" के लिए बेहद मशहूर है जो विश्व का सबसे बड़ा कृषि विकास कार्यक्रम था।

1988 में इस कार्यक्रम में भारत को अमेरिका(America) से भी ज़्यादा सफलता प्राप्त हुई और दूध का बड़ा उत्पादक देश बन गया। डेयरी खेती भारत की सबसे बड़ी आत्मनिर्भर उद्योग बन गई और उन्होंने भारत को खाद्य तेलों के क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर बनाया।

उन्होंने लगभग 30 संस्थाओं की स्थापना की जिसकी व्यवस्था किसान करते हैं और पेशेवरों द्वारा चलाये जा रहे है। गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ(Gujarat Cooperative Milk Marketing Federation(GCMMF)) के संस्थापक अध्यक्ष होने के नाते वह अमूल इंडिया की रचना के लिए ज़िम्मेदार है।

यह अमूल(Amul) की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी कि उन्होंने गाय के बजाय भैंस के दूध का पाउडर उपलब्ध करवाया। डॉ. कुरियन(Dr. Kurien) की अमूल(Amul) से जुडी उपलब्धियों की वजह से उस वक्त के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री(Prime Minister Lal Bahadur Shastri) ने 1905 में उन्हें राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड(National Dairy Development Board) का संस्थापक अध्यक्ष बनाया ताकि वह राष्ट्र स्तर पर अमूल(Amul) के "आनंद मॉडल(Anand Model)" को दोहरा सकें।

डॉ. कुरियन(Dr. Kurien) को पद्म विभूषण(Padma Vibhushan), विश्व खाद्य पुरस्कार(World Food Prize) और सामुदायिक नेतृत्व के लिए मैग्सेसे पुरस्कार (magsaysay award) के साथ-साथ कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था।

जीवन परिचय

26 नवंबर, 1921 को एक सीरियाई ईसाई(Syrian Christian) परिवार में कालीकट (Calicut), मद्रास प्रेसिडेंसी(Madras Presidency), ब्रिटिश भारत में उनका जन्म हुआ था। उनके पिता कोचीन(Cochin), केरल(Kerala) में एक सिविल सर्जन(civil surgeon) थे। उन्होंने 1940 में लोयोल कॉलेज(Loyol College), मद्रास(Madras) से भौतिकी (physics) में डिग्री ली और फिर मद्रास विश्वविद्यालय(Madras University) से संबद्ध कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग(College of Engineering), गिंडी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग(mechanical Engineering) में डिग्री(Degree) हासिल की।

1946 में अपनी डिग्री(Degree) पूरी करने के बाद वह स्टील टेक्निकल इंस्टिट्यूट(STEEL TECHNICAL INSTITUTE), जमशेदपुर(Jamshedpur) में शामिल हो गए। इसके बाद उन्होंने 1948 में भारतीय सरकार द्वारा दी गयी छात्रवृति(Scholarship) की मदत से मिशिगन राज्यों(Michigan states) के विश्वविद्यालय में दाखिला लिया और मैकेनिकल इंजीनियरिंग (mechanical Engineering) में मास्टर्स की डिग्री(Master's degree) हासिल की।

डॉ. साहब की शादी मौली(Molly) से हुई और बाद में उन दोनों की एक बेटी भी हुई। जब 13 मई, 1949 को डॉ. कुरियन(Dr. Kurien) भारत लौट तो सरकार ने उन्हें बतौर प्रयोगी क्रीमरी, आनंद, गुजरात(Gujarat) में नियुक्त किया गया। डॉ. कुरियन(Dr. Kurien) को उनके सहयोगी त्रिभुवनदास पटेल(Shri Tribhuvandas Patel) से हमेशा समर्थन मिला।

जाने कौन है "श्वेत क्रांति के जनक" डॉ. वर्गीज़ कुरियन
"तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा", का नारा देने वाले सुभाष चन्द्र बोस जिन्हें सब नेता जी के नाम से भी जाते है भारत की आज़ादी के मशहूर और सबसे बड़े नेता

त्रिभवनदास(Tribhuvandas) की ईमानदारी और मेहनत ने डॉ. कुरियन(Dr. Kurien) को हमेशा ही प्रेरित किया, यहाँ तक की जब प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री(Prime Minister Lal Bahadur Shastri) अमूल(Amul) के सयंत्र का उद्घाटन करने गए तब उन्होंने डॉ. कुरियन(Dr. Kurien) को उनके अद्भुत योगदान के लिए बधाई दी।

उन्होंने भारत में भैंस के दूध के पाउडर का उत्पादन करने की योजना बनाई। अमूल की योजना और तकनीकें इस प्रकार सफल हुई की 1965 में लाल बहादुर शास्त्री(Lal Bahadur Shastri) ने नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड(National Dairy Development Board) की स्थापना की ताकि वह इस कार्यक्रम को देश के कोने-कोने में फैला सकें।

आपरेशन फल्ड

आपरेशन फल्ड या धवन क्रांति(Operation Flood or Dhawan Revolution) दुनिया का सबसे विशालतम विकास कार्यक्रम के रूप में मशहूर हैं। 1970 में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड(National Dairy Development Board) ने एक योजना शुरू की जिसने भारत को दुनिया भर में दूध का सबसे बड़ा उत्पादक बना दिया।

इस योजना की सफलता के बाद इसका नाम "श्वेत क्रांति(white revolution)" दिया गया। 1949 में डॉ. कुरियन(Dr. Kurien) ने अपनी सरकारी नौकरी छोड़ दी और जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ (के.डी.सी.एम.पी.ऊ.एल(K.D.C.M.P.U.L)) से जुड़ गए, जो की अब अमूल के नाम से मशहूर है।

डॉ. कुरियन(Dr. Kurien) ने इस संस्थान को देश का सफल संगठन बनाने में एक महत्वपूर्ण योगदान दिया। अमूल की सफलता को देख कर उस समय प्रधानमंत्री(Prime Minister) ने राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड(National Dairy Development Board) की स्थापना की और इस बोर्ड को पुरे देश में फैलाया और डॉ. कुरियन(Dr. Kurien) को उस संस्थान का अध्यक्ष बना दिया गया।

1969 में जब वर्ल्ड बैंक(world bank) के अध्यक्ष भारत भ्रमण पर आए तब डॉ.कुरियन(Dr. Kurien) ने मज़ाक में कहा, "आप मुझे धन दीजिए और फिर उसके बारे में भूल जाए।" कुछ समय बाद वर्ल्ड बैंक ने उनके प्रस्ताव को स्वीकार कर उन्हें कर्ज दे दिया।

यह मदत एक आपरेशन का हिस्सा था जिसका नाम "आपरेशन फल्ड(operation flood)" था। उनके प्रयास और मेहनत ने उन्हें "पद्म विभूषण", "इंटरनेशनल पर्सन ऑफ़ द ईयर (International Person of the Year)", "कृषि रत्न(agricultural gem)", "पद्म श्री(Padma Shri)", "वर्ल्ड फ़ूड प्राइज़(World Food Prize)", जैसे पुरस्कार दिलाए।

श्याम बेनेगल(Shyam Benegal) ने मंथन(Manthan) नमक एक कहानी लिखी जो भारत के एक सहकारी दूध आंदोलन(milk movement) पर आधारित था।

डॉ. कुरियन(Dr. Kurien) ने फिल्म बनाने में बेनेगल की सहायता की, उन्होंने किसानों से 2 रुपए का टोकल दे कर फिल्म बनाने में सहयोग देने की गुज़ारिश की।

1976 में यह फिल्म स्क्रीनिंग(screening) के दौरान सफल साबित हुई और इस फिल्म को पुरे देश में रिलीज़ किया गया। इस फिल्म की प्रशंसा आलोचकों ने भी जम कर की, और तो और फिल्म ने आने वाले सालो में कई राष्ट्रीय पुरस्कार(national award) भी जीते।

डॉ. कुरियन ने पशु चिकित्सा के ऊपर भी ऐसी ही फिल्म बनाने का सुझाव दिया, उन्होंने सुझाया की अनेक जगहों पर घूमकर गाँव वालो को क्रॉस ब्रीडिंग(cross breeding) और चारे से जुडी महत्वपूर्ण बाते बताई भी जा सकती है और अन्य हिस्सों में किए गए भ्रमण को टेप्स के ज़रिये लोगों को दिखा सकते है।

UNDP ने इस फिल्म का प्रयोग इस ही प्रकार की सहायता को शुरू करने के लिए लैटिन अमेरिका(Latin America) में किया और 2013 में अमर चित्र कथा ने "वर्गीज कुरियन: द मैन विथ बिलियन लीटर आईडिया(Verghese Kurien: The Man with the Billion Liter Idea)" प्रकाशित किया। 9 सितंबर, 2012 को डॉ. कुरियन(Dr. Kurien) की बीमारी की वजह से गुजरात(Gujarat) में मृत्यु हो गई।

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