भारत का राष्ट्रीय जल मिशन क्या है? जानिए महत्त्व, उद्देश्य, लाभ जैसी पूरी जानकारी!

भारत का राष्ट्रीय जल मिशन क्या है? जानिए महत्त्व, उद्देश्य, लाभ जैसी पूरी जानकारी!
भारत का राष्ट्रीय जल मिशन क्या है? जानिए महत्त्व, उद्देश्य, लाभ जैसी पूरी जानकारी!
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भारत का राष्ट्रीय जल मिशन क्या है? जानिए महत्त्व, उद्देश्य, लाभ जैसी पूरी जानकारी!

जल प्रकृति के सबसे महत्वपूर्ण संसाधनों में से एक है। कहने को तो पृथ्वी की सतह का लगभग 71% हिस्सा पानी से ढका हुआ है लेकिन मात्र 2.5% पानी ही प्राकृतिक स्रोतों नदी, तालाब, कुँओं और बावड़ियों से मिलता है।

जबकि आधा प्रतिशत भूजल(Ground water) भंडारण है। जल के महत्त्व को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने राष्ट्रीय जल मिशन(National Water Mission) की शुरुआत की है ताकि ग्लोबल वार्मिंग(Global Warming) और जलवायु परिवर्तन जैसे खतरे से निपटा जा सके। इस मिशन की शुरुआत 2011 में हुई थी।

राष्ट्रीय जल मिशन के पांच चिन्हित लक्ष्य है जिसमें व्यापक जल डाटाबेस(DataBase) को सार्वजनिक करना तथा जल संसाधनों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का आकलन करना, जल संरक्षण, संवर्धन और परीक्षण हेतु नागरिक और राज्य करवाई को बढ़ावा देना, अधिक जल दोहित क्षेत्रों सहित कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना, जल उपयोग कुशलता में 20% की वृद्धि करना और बेसिन स्तर(basin level) तथा समेकित जल संसाधन प्रबंधन को बढ़ावा देना शामिल है।

लक्ष्य की प्राप्ति और कार्य नीतियों की पहचान की गई है। जिनसे विश्वसनीय डाटा और सुचना पर आधारित जल संसाधनों पर जलवायु परिवर्तन(Climate change) के प्रभावों का आकलन कर के विकास और प्रभाव प्रबंधन के लिए उपयोगी योजना बनाई जा सके।

भारतीय जल संसाधन(Indian water resources), नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय (Ganga Rejuvenation Ministry) द्वारा जल संसाधनों पर जलवायु परिवर्तन के संभावित छः प्रभाव को सूचीबद्ध किया है।

जो की हिमाचल क्षेत्र(Himachal region) में ग्लेशियरों(glaciers) और बर्फ के क्षेत्र में कमी, देश के अनेक भागों में वर्षा के दिनों की संख्या में समग्र कमी के कारण सूखे की स्थिति में वृद्धि, वर्षा के दिनों की तीव्रता में भारी वृद्धि के कारन बाढ़ आने की घटनाओं में वृद्धि, बाढ़ और सूखे की घटनाओं में वृद्धि के कारन कछारी एक्विफरों(alluvial aquifer) में भूमि-डल और गुणवत्ता पर प्रभाव, समुद्र के बढ़ते जल स्तर के कारण तटीय तथा द्वीपीय एक्विफरों (insular aquifer) में लवणीयता का बढ़ना और वृष्टिपात और वाष्पीकरण(evaporation) में बदलाव के कारन भूमि-जल पुनर्भरण(groundwater recharge) पर प्रभाव है।

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क्या है राष्ट्रीय जल मिशन?

राष्ट्रीय जल मिशन(National Water Mission) 2011 में शुरू किया गया ताकि पानी के संरक्षण अपव्यय को कम करने और राज्यों के बीच पानी के अधिक समान वितरण को सुनिश्चित करने के लिए एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन सुनिश्चित किया जा सके।

यह मिशन राष्ट्रीय जल नीति के प्रावधानों को ध्यान में रखेगा और विभिन्न अधिकारों और कीमतों के साथ नियामक तंत्र के माध्यम से जल उपयोग दक्षता को 20% तक बढ़ाकर पानी के इष्टतम (optimal) उपयोग के लिए एक ढांचा तैयार करेगा।

यह सुनिश्चित करने की भी अपेक्षा की जाती है कि शहरी क्षेत्रों को पानी ज़रूरतों को अपशिष्ट जल के फिर से उपयोग या पुर्नचक्रण(recycling) के माध्यम से उचित रूप से पूरा किया जाए और यह भी सुनिश्चित किया जाए कि पानी के उपयुक्त वैकल्पिक स्रोतों सहित तटीप शहरों की आवश्यकताओं को कम गर्मी विलवणीकरण प्रौद्योगिकियों द्वारा पूरा किया जाए।

जिसे समुद्र के पानी को दोहन जैसी नई और उपयुक्त तकनीकों को अपनाकर पूरा किया जा सकता है। इसके अलावा प्रधानमंत्री(Prime Minister) ने जनवरी 2015 में पीएम सी.सी.सी(PM CCC) में निर्देश दिया की सतही जल(surface water) और भूजल (groundwater) के साथ-साथ अपशिष्ट जल(waste water) आयामों को राष्ट्रीय जल मिशन के अधिदेश में शामिल किया जाना चाहिए ताकि जल प्रबंधन की आवश्यकता हो।

जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना NAPCC(National Action Plan for Climate Change (NAPCC)) राष्ट्रीय जल मिशन की विशेषताओं का वर्णन इस प्रकार करती है कि "एक राष्ट्रीय जल मिशन स्थापित किया जाएगा ताकि पानी के संरक्षण अपव्यय को कम करने और दोनों के भीतर अधिक समान वितरण सुनिश्चित करने में मदत करने के लिए एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन सुनिश्चित किया जा सके।

यह मिशन राष्ट्रीय जल नीति के प्रावधानों को ध्यान में रखेगा और विभिन्न अधिकारों और मूल्य निर्धारण के साथ नियामक तंत्र के माध्यम से जल उपयोग दक्षता को 20% तक बढ़ाकर पानी के उपयोग को अनुकूलित करने के लिए एक ढांचा विकसित करेगा।

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योजना के उद्देश्य और विशेषताएं

इस योजना का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय जल नीति(national water policy) की समीक्षा करना, जल संसाधनों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से संबंधित सभी पहलुओं पर अनुसंधान और अध्ययन जिसमें जल संसाधनों की गुणवत्ता के पहलु शामिल है, जल संसाधनों की परियोजनाओं के लिए विशेष रूप से बहुउद्देशीय परियोजनाओं के भंडारण पर तेजी कार्यान्वयन करना, और जल संरक्षण की पारंपरिक प्रणाली को बढ़ावा देना है।

साथ ही अति-शोषित क्षेत्रों में भूजल पुर्नभरण के लिए गहन कार्यक्रम, अपशिष्ट जल सहित पानी के पुर्नचक्रण के लिए प्रोत्साहन देना, एकीकृत जल संसाधन विकास और प्रबंधन के सिद्धांत पर योजना बनाना, तथा विभिन्न जल संसाधन कार्यक्रमों के बीच अभिसरण सुनिश्चित करना इस योजना में शामिल है।

इस योजना के तहत भारत सरकार ने बहुत सारे लक्ष्य रखे गए है जिसमें सार्वजनिक डोमेन (public domain) में व्यापक जल डेटा बेस और जल संसाधन पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का आकलन, जल संरक्षण, संवर्धन और संरक्षण के लिए नागरिक और राज्य कार्यों को बढ़ावा देना, अति-शोषित क्षेत्रों सहित संवेदनशील क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना, 20% से जल उपयोग दक्षता में वृद्धि करना और बेसिन स्तर के एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन को बढ़ावा देना शामिल है।

उम्मीद है कि यह कमेटी अगले 6 महीनों में एक नई सोच के साथ अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। इससे पहले 2012 में जल नीति(water policy) लागू की गई थी जो अभी तक कार्यरत है। भारत में पहली जल नीति वर्ष 1987 में अपनायी गई थी जिसे 2002 और 2012 में संशोधित किया गया था।

भारत में दुनिया की लगभग 18% आबादी निवास करती है जबकि भारत में दुनिया का केवल 4% जल संसाधन है ऐसे में जल संसाधनों के ऊपर जनसंख्या का दबाव जायज है।

दरअसल जल नीति के माध्यम से देश में एक सूचनाओं का नेटवर्क(network) बनाया जाता है जिसमें जल संसाधनों के पुरे Data को एकत्रित किया जाता है। फिर इस Data का विश्लेषण किया जाता है और उसके आधार पर भविष्य की ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए उनके उपयोग के लिए नीतियाँ बनाई जाती है।

इन नीतियों में जल के समुचित उपयोग, उनकी Recycling, उन्हें प्रदूषण से बचाने के उपाय, पेय जल की ज़रूरत, सिंचाई के लिए जल, नौपरिवहन व उद्योगों आदि के जल की ज़रूरतों का ध्यान रखा जाता है।

2012 की जल नीति में समन्वित उपयोग के लिए नदियों के बेसिन पर ज़ोर दिया गया था। तथा यह भी सुझाया गया था कि नदियों के जल के एक निश्चित भाग को हमेशा बहने दिया जाए ताकि उस क्षेत्र की पर्यावरणीय ज़रूरतें पूरी हो सके।

हाल ही में जल संसाधन मंत्रालय(Ministry of Water Resources) की तरफ से राष्ट्रीय जल मिशन के लिए पुरस्कार भी दिए गए जिसका उद्देश्य लोगों के बीच जल संरक्षण को प्रोत्साहन देना है। मंत्रालय ने जल संरक्षण को जन आंदोलन बनाने की बात कही है।

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