केंद्रीय मंत्रिमंडल(central cabinet) ने सरकारी अधिकारियों के काम करने के तरीके में सुधार के लिए "कर्मयोगी योजना(Karmayogi Scheme)" को मंज़ूरी दे दी। इस योजना की शुरुआत 2 सितंबर, 2020 को हुई थी। इस मिशन के तहत सिविल सेवकों(civil servants) और अन्य सरकारी कर्मचारियों की क्षमता बढ़ाने के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा।
जिससे की अधिकारियों की तर्क शक्ति को रचनात्मक और पारदर्शी बनाने के लिए तैयार किया जाएगा ताकि लोगों को सेवाएं आसानी से उपलब्ध हो सके। इस योजना का मुख्य उद्देश्य सरकारी अधिकारियों की क्षमता बढ़ाना है। इस अभियान के तहत लगभग 467 केंद्रीय कर्मचारियों को कवर करने के लिए 2020-21 से 2024-25 तक 5 सालों की अवधि में 510.86 करोड़ रुपए की राशि खर्च की जाएगी।
एस डी शिबू लाल(S D Shibu Lal) को इस कार्यक्रम का अध्यक्ष बना दिया गया और तीन सदस्यीय टास्क फोर्स का गठन भी किया गया। शिबू लाल(Shibu Lal) के अलावा गोविंद अय्यर(Govind Iyer) और पंकज बंसल(Pankaj Bansal) भी इस फ़ोर्स का हिस्सा है। नौकरशाही में व्यापक सुधार लाने के लिए यह मिशन शुरू किया गया है।
सरकार ने कहा कि मिशन को प्रभावी ढंग से चलने के लिए एक विशेष प्रयोजन निकाय यानी कर्मयोगी भारत को एक गैर-सरकारी कंपनी के रूप में स्थापित किया जाएगा। इस कंपनी को कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 3 के तहत 100 प्रतिशत सरकारी राजस्व वाली इकाई के रूप में स्थापित किया जाएगा।
2 सितंबर, 2020 को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(Prime Minister Narendra Modi) ने कर्मयोगी योजना को शुरू करने की अनुमति दी। इस कर्मयोगी योजना के द्वारा सरकारी अधिकारियों को प्रशिक्षित किया जाएगा और उनके कौशल का विकास किया जाएगा। सरकारी कार्यालयों में प्रशिक्षण एक ऑनलाइन मोड़(Online Mode) में प्रदान किया जाएगा।
कर्मयोगी योजना(Karmayogi Scheme) सरकारी अधिकारियों की कार्यशैली में सुधार लाने के लिए शुरू की गई है। भारत में सिविल सेवकों के लिए क्षमता निर्माण की नींव रखने वाले सिविल सेवा क्षमता निर्माण का राष्ट्रीय कार्यक्रम बड़े ध्यान से बनाया गया है। यह योजना नरेंद्र मोदी(Narendra Modi) की अध्यक्षता में चलाया जायेगा जिसमें नई एचआर परिषद, चयनित केंद्रीय मंत्री तथा मुख्यमंत्री शामिल होंगे।
इस योजना का मुख्य उद्देश्य सरकारी कार्यालय में कार्यरत सभी कर्मचारियों की योग्यता बढ़ाना है। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह(Central Minister Jitendra Singh) ने कहा कि 2017 में पीएम मोदी मसूरी के सिविल सर्विस ऑफिसर के ट्रेनिंग इंस्टीटयूट(Training Institute) गए थे। जिसके बाद प्रधानमंत्री ने कर्मयोगी अभियान को घोषित करने की योजना को आसान बनाई।
उस समय मोदी जी ने सरकारी अधिकारियों के प्रशिक्षण में व्यापक बदलावों पर चर्चा किया थी। मिशन कर्मयोगी के तहत शुरू किए गए नए डिजिटल प्लेटफार्म(Digital Platforms) के साथ अब सिविल सेवा से जुड़े अधिकारी कही भी बैठकर प्रशिक्षण ले सकते हैं। सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को मिशन कर्मयोगी योजना के साथ अपने प्रदर्शन को सुधारने का अवसर मिलेगा, इसके साथ ही क्षमता निर्माण आयोग का गठन करने का प्रस्ताव भी है।
मिशन कर्मयोगी योजना कर्मचारियों के व्यक्तिगत मूल्यांकन को समाप्त करने में मदत करेगा और वैज्ञानिक तरीके से उद्देश्य और समय पर मूल्यांकन तय करेगा।
यह योजना सरकारी कर्मचारियों को एक आदर्श कर्मयोगी के रूप में देश की सेवा करने के लिए विकास करने का एक प्रयास है ताकि वह रचनात्मक और तकनीकी रूप से सशक्त हो सके।
यह मिशन सिविल सेवकों को दुनिया भर के सर्वोत्तम संस्थानों और प्रथाओं से सिखने में सक्षम बनाता है। इस मिशन के अंतर्गत ऑन द साइड(On the site) पर ज़्यादा ध्यान दिया जाएगा। इस स्कीम के अंदर कम-से-कम 46 लाख कर्मचारी आएंगे और इसका बजट 510.86 करोड़ रुपए निर्धारित किया गया है।
इस योजना के काम में पारदर्शिता बढ़ाई जाएगी और काम करने में तेज़ी लाई जाएगी ताकि आम लोगों का काम जल्दी से हो सके और कर्मचारियों के लिए इस योजना के तहत दो मार्ग होंगे स्वचालित और निर्देशित।
सिविल सेवा(Civil Service) से जुड़े सभी कर्मचारी और अधिकारी किसी भी समय योजना में शामिल हो सकते है और ट्रेनिंग ले सकते है। इससे जुड़ने के बाद आपको ऑनलाइन प्रशिक्षण के लिए लेपटॉप व मोबाइल की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
सिविल सेवाओं से जुड़े लोगों की ट्रेनिंग के लिए अलग-अलग विभागों के ट्रेनर को शामिल किया जाएगा। इसमें ऑफ़ साईट सीखने के कॉन्सेप्ट को बेहतर बनाते हुए ऑन द साईट सिखने के सिस्टम पर भी ज़ोर दिया जाएगा।
मिशन कर्मयोगी के तहत एक स्वामित्व वाली विशेष परियोजना वाहन कंपनी की स्थापना की जो की कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 8 के अंदर किया जाएगा। यह एक नॉन-प्रॉफिट संगठन होगा जो iGOT कर्मयोगी प्लेटफार्म का प्रभुत्व और प्रबंधन करेगा।
iGOT कर्मयोगी प्लेटफा(iGOT Karmayogi Platform)र्म के माध्यम से डिजिटल लर्निंग(Digital Learning) की सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी। इस प्लेटफार्म का एक विश्व स्तरीय बाज़ार बनाने का प्रयास भी किया जा रहा है। iGOT कर्मयोगी के माध्यम से किया जाएगा। इसी के साथ अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाएगी।