किसी भी देश का भविष्य उस देश की आने वाली पीढ़ी के हाथ में होता है। और वह पीढ़ी देश को क्या दिशा देगी यह बात उसको मिलने वाली शिक्षा तय करती है। भारतीय संविधान के 86वे संशोधन में आदेश दिया गया है कि 6 साल से 14 साल की उम्र के बच्चों के लिए शिक्षा को मुफ्त और अनिवार्य करना एक मौलिक अधिकार होगा। ताकि देश के भविष्य की नीव मज़बूत हो सके।
इस लिए 2001 में भारत सरकार ने सर्व शिक्षा अभियान(Sarva Shiksha Abhiyan) को शुरू किया। अटल बिहारी वाजपेयी(Atal Bihari Vajpayee) ने नौवीं पंचवर्षीय योजना में इस अभियान की शुरुआत की जिसका लक्ष्य देश के प्राइमरी स्कूलों के ढांचे को मज़बूत बनाना है ताकि देश का हर बच्चा प्राथमिक शिक्षा प्राप्त कर सके और अपने जीवन का विकास कर सके।
विकास के साथ इस योजना के अनेक उद्देश्य है जैसे बालक-बालिका का अंतर समाप्त करना, देश के हर गांव शहर में प्राथमिक स्कूल खोलना और मुफ्त शिक्षा प्रदान करना, निशुल्क पाठ्य पुस्तक देना, स्कूल ड्रेस देना, शिक्षकों का चयन करना, उन्हें लगातार प्रशिक्षण देते रहना, स्कूलों में अतिरिक्त कक्षा का निर्माण करना, पेयजल और प्रसाधन की व्यवस्था करना।
सर्व शिक्षा अभियान(Sarva Shiksha Abhiyan) केंद्र द्वारा चलाया गया एक महत्वपूर्ण अभियान है। इस योजना के लिए "स्कूल चले हम" नमक कविता बनाई गई थी जो बहुत लोकप्रिय हुई थी।
सर्व शिक्षा अभियान भारत में बच्चों को साक्षर करने की दिशा में बढ़ाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है। वर्ष 2000 के अंत तक भारत में 94% ग्रामीण बच्चों को उनके आवास से 1 किमी पर प्राथमिक विद्यालय की और 3 किमी की दूरी पर उच्च प्राथमिक विद्यालय की सुविधा प्राप्त करवाई गई।
यह अभियान पुरे देश में राज्य सरकार की सह-भागिता से चलाया जा रहा है ताकि देश के 11 लाख गांव के 19.2 लाख बच्चों की ज़रूरतों को पूरा किया जा सके। इस कार्यक्रम के तहत जिस गांव में स्कूली सुविधा नहीं है वहाँ नए स्कूल खोलने और विद्यमान स्कूलों में अतिरिक्त क्लास रूम(Classroom) और शौचालय, पीने का पानी, मरम्मत निधि(repair fund), स्कूल सुधार निधि(school improvement fund) प्रदान कर के सशक्त बनाने का प्रावधान है।
इस योजना को 2000-2001 में केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी(Atal Bihari Vajpayee) की सरकार ने शुरू किया था। इस योजना का उद्देश्य देश के हर बच्चे को शिक्षा देना और प्रारंभिक शिक्षा की नीव मज़बूत करना है।
प्राथमिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने ग्रामीण बच्चों के लिए 1 किमी की दूरी में प्राथमिक स्कूल खोले है और 3 किमी की दूरी में उच्च प्राथमिक स्कूल की सुविधाएं दी जिससे अनुसूचित जाती जनजाति और पिछड़े वर्ग के बच्चे भी स्कूल जा सके। सरकार का प्रयास है कि ज़्यादा से ज़्यादा बच्चे प्राथमिक शिक्षा ले सके। 2000-2002 तक 6 से 14 साल की उम्र के 82% बच्चों ने स्कूल में दाखिला लिया था।
देश में शिक्षा दर बढ़ाने और बच्चों तक प्राथमिक शिक्षा पहुँचने के लिए सर्व शिक्षा अभियान (Sarva Shiksha Abhiyan) की शुरुआत हुई थी। इस अभियान के तहत बहुत सी योजनाएं चलाई गई थी। जिसमें 2003 तक सभी बच्चों को स्कूल जाने की सुविधा प्रदान करने का प्रावधान भी शामिल था।
2007 तक इस अभियान के तहत प्राथमिक शिक्षा का 5 साल पूरा करना और 2010 तक स्कूली शिक्षा का 8 साल पूरा करना शामिल था। साथ ही प्राइमरी स्कूलों के लिए संतोषजनक और उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करना भी आता है। फिर 2007 तक देश के प्राथमिक स्कूलों और जूनियर स्कूलों में सामाजिक अंतर और लिंग भेदभाव को समाप्त करने की योजना भी शुरू की गई थी।
2010 तक भारत में सार्वभौमिक रूप से सर्व शिक्षा अभियान चलाया जाए ताकि देश के सभी बच्चों को शिक्षा मिल सके। उसके बाद इस अभियान के लिए आवंटित फंड(allocated funds) भी जारी किया गया। इस योजना को शुरू करने के लिए केंद्र सरकार ने 7000 करोड़ रूपए दिए फिर 2011-12 में 21000 करोड़ रूपए आवंटित किए।
इस अभियान के लिए शिक्षक प्रशिक्षण योजना(Teachers Training Programme) भी शुरू किया गया। सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत देश के प्राइमरी स्कूलों में अच्छी गुणवत्ता वाली शिक्षा दे सके इसके लिए शिक्षकों का प्रशिक्षित होना बहुत आवश्यक है।
सरकार द्वारा दिए गए प्रशिक्षण के दौरान चयनित शिक्षक समूह को "संसाधन व्यक्ति" कहकर पुकारा जाता है। भारत सरकार ने "पढ़े भारत बढे भारत" योजना को सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत शुरू किया था। इस योजना के तहत कक्षा 1 और 2 के बच्चों को लिखना, पढ़ना, गणित के प्रश्न हल करना सिखाया जाएगा।
सर्व शिक्षा अभियान(Sarva Shiksha Abhiya) को शिक्षा के क्षेत्र में बहुत महत्वपूर्ण योजना कहा जाता है। इस योजना की विशेषताओं में से एक है कि यह शिक्षा के समग्र दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करता है। प्री-स्कूल से कक्षा 12 तक स्कूली शिक्षा समग्र होनी चाहिए, स्तरों में इसका विभाजन नहीं होना चाहिए।
इस योजना के तहत पहली बार सीनियर सेकेंडरी लेवल(SENIOR SECONDARY LEVEL) और प्री-स्कूल लेवल(Pre-school Level) को जोड़ने की बात उठी। इस योजना का विशेष ध्यान स्कूली स्तर पर शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार टीचर्स एंड टेक्नोलॉजी(Teachers and Technology) पर केंद्रित है।
शिक्षकों और स्कूल प्रधानाध्यापकों के कैपेसिटी निर्माण(capacity building) सिखने को प्रोत्साहित करना भी इस योजना का हिस्सा है। इस योजना के अंतर्गत स्कूलों में विज्ञान और गणित सिखने को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रिय अभियान को समर्थन दिया जाएगा। प्राथमिक स्तर पर मूलभूत कौशल विकसित करने के लिए "पढ़े भारत बढे भारत" प्रोग्राम को सहयोग दिया जाएगा।
साथ ही प्रत्येक स्कूल के लिए 5000 से 20000 रूपए तक के पुस्तकालय(Library) अनुदान का प्रावधान था। सर्व शिक्षा अभियान संतुलित शैक्षिक विकास को बढ़ावा देता है और निति आयोग द्वारा निर्धारित शैक्षिक रूप से पिछड़े ब्लॉक, सीमावर्ती क्षेत्र और 117 आकंक्षात्मक जिलों को महत्त्व देता है।
सर्व शिक्षा अभियान के लिए केंद्र और राज्यों के बीच फंड शेयरिंग पैटर्न वर्तमान में 8 पूर्वोत्तर राज्य जैसे अरुणाचल प्रदेश(Arunachal Pradesh), मेघालय(Meghalaya), असम, मणिपुर, मिजोरम नागालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम तथा 3 हिमालयी राज्य जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के लिए 90-10 के अनुपात में है। विधानमंडल वाले अन्य सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए यह 60-40 है। बिना विधानमंडल वाले केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 100% केंद्र प्रायोजित है।