केंद्र सरकार का 'न्यू वेज कोड(new wage code)' लागू होने के अपने अंतिम चरण में पहुंचने वाला है। इसे इसी वित्तीय वर्ष में लागू कर दिया जाएगा। इस बिल में कर्मचारियों की वेतन, छुट्टियों और काम के घंटों को लेकर कई बदलाव किए गए हैं।
ईपीएफओ बोर्ड(EPFO Board) के सदस्य और भारतीय मजदूर संघ के महासचिव विरजेश उपाध्याय के मुताबिक नए श्रम कानूनों में कुछ अहम बदलाव किए जाने हैं। गौरतलब है कि कर्मचारियों के काम के घंटे, सालाना छुट्टियां, पेंशन(Pension), पीएफ(PF), टेक-होम सैलरी (Take Home Salary), रिटायरमेंट(Retirement) जैसे अहम मुद्दों पर नए नियम लागू होने हैं।
नए नियमों को लागू करने के लिए राज्यों की सहमति भी जरूरी है जो इसके विलंब का मुख्य कारण है। हालांकि, नया वेतन कोड लागू होने से पहले ड्राफ्ट लाइन(draft line) और उसकी अधिसूचना जारी कर दी जाएगी।
श्रम मंत्रालय(labor Ministry) के श्रम सुधार प्रकोष्ठ के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर खुलासा किया है कि श्रमिक संघ ने पीएफ और वार्षिक अवकाश को लेकर मांग रखी है। श्रमिक संघ चाहता है कि अर्जित अवकाश की सीमा 240 दिन से बढ़ाकर 300 दिन की जाए। भवन एवं निर्माण क्षेत्र, बीड़ी श्रमिकों, पत्रकारों और सिनेमा के क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए अलग से नियम बनाए जा सकते हैं।
विरजेश उपाध्याय(Virjesh Upadhyay) के मुताबिक, सरकार की ओर से मांग की गई है कि कर्मचारी भविष्य निधि योजना (EPF) की पात्रता 15,000 रुपये से बढ़ाकर 25,000 रुपये या कर्मचारी राज्य बीमा योजना(Employees State Insurance Scheme) की तरह कम से कम 21,000 रुपये की जाए। इस कानून पर अंतिम दौर की चर्चा चल रही है।
केंद्र सरकार ने 29 केंद्रीय श्रम कानूनों को मिलाकर 4 नए कोड बनाए हैं। इनमें औद्योगिक संबंध कोड, व्यावसायिक सुरक्षा पर कोड, स्वास्थ्य और काम करने की स्थिति कोड (OSH), सामाजिक सुरक्षा कोड और मजदूरी पर कोड शामिल हैं।
श्रम संहिताओं में कुछ नई अवधारणाएँ शामिल की गई हैं। लेकिन, सबसे बड़ा बदलाव 'मजदूरी' की परिभाषा का विस्तार है। नए श्रम संहिता का उद्देश्य समेकन है यानी वेतन का 50% सीधे वेतन में शामिल किया जाएगा।
वेतन संहिता अधिनियम के अनुसार, किसी कर्मचारी का मूल वेतन कंपनी की लागत (CTC) के 50% से कम नहीं हो सकता है। मौजूदा समय में कई कंपनियां मूल वेतन कम कर देती हैं और अतिरिक्त भत्ते देती हैं ताकि कंपनी पर बोझ कम हो।
जानकारों के मुताबिक अगर मूल वेतन में बढ़ोतरी से कर्मचारियों का पीएफ ज्यादा कटेगा तो उनकी टेक-होम सैलरी भले ही कम हो, लेकिन उनका भविष्य ज्यादा सुरक्षित होगा. इससे उन्हें सेवानिवृत्ति पर अधिक लाभ मिलेगा, क्योंकि भविष्य निधि (पीएफ) और मासिक ग्रेच्युटी में उनका योगदान बढ़ेगा।