मध्य प्रदेश(Madhya Pradesh) सरकार की एक अनूठी पहल “टेली मेडिसिन(Tele Medicine)” कार्यक्रम के अंतर्गत ई-संजीवनी(eSanjeevani) का शुभारंभ किया गया।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पर्टल(Agriculture Minister Kamal Patel) द्वारा वीडियों कॉन्फ्रेंसिंग(Video Conferencing) के माध्यम से हरदा जिले के उप-स्वास्थ्य केंद्र हैल्थ एंड वेलनेस सेंटर(Health and Wellness Center) में टेलीमेडिसिन सुविधा हब एंड स्कोप मॉडल(Telemedicine Facility Hub and Scope Model) के आधार पर दिए जाने का शुभारंभ किया गया है।
जिसमें जिला चिकित्सालय हरदा को हब के रूप में चिन्हित किया गया है। इसके अंतर्गत चिकित्सक ऑनलाइन परामर्श(Doctor Online Consultation) उपलब्ध करा पाएंगे तथा उप स्वास्थ्य केंद्र को स्पोक सेंटर बनाया गया है जहाँ पर कम्पयूटनीटी हेल्थ ऑफिसर मरीज़ों की बीमारियों की जानकारी की प्रविष्ट कर विशेषज्ञों की सलाह प्राप्त कर सकेंगे।
टेली मेडिसिन के माध्यम से उप स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ कम्पयूटनीटी हेल्थ ऑफिसर मरीज़ों की जानकारी एवं उनकी बीमारी के विषय में संपूर्ण जानकारी एकत्रित कर सॉफ्टवेयर(Software) के माध्यम से जिला चिकित्सालय के पोर्टल पर अपलोड कर विषय विशेषज्ञ द्वारा बताई गई मेडिसिन उप स्वास्थ्य केंद्र स्तर से ही सी.एच.ओ के माध्यम से ग्राम में ही मरीज़ को उपलब्ध कराई जाएगी।
वर्तमान में हरदा जिले में 14 उप स्वास्थ्य केंद्रों पर यह सुविधा कराई गई है। आने वाले समय में जिले के बचे हुए सभी उप-स्वास्थ्य केंद्रों पर यह सुविधा उपलब्ध करा दी जाएगी। उपरोक्त ई-संजीवनी की मदत से अपने स्वास्थ्य से संबंधित रिकॉर्ड को चिकित्सकों के साथ साझा कर सकते है जिससे उन्हें काफी लाभ होगा।
ई-संजीवनी ओपीडी(e-Sanjeevani OPD) का उद्देश्य रोगियों को उनके घरों में स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना है। डॉक्टर और मरीज़ के बीच मुफ्त सुरक्षित और संरचित वीडियों आधारित नैदानिक परामर्श(clinical consultation) प्रदान करता है।
ई-संजीवनी एक इंटरनेट(Internet) आधारित टेलीमेडिसिन समाधान मंच है। ई-संजीवनी डॉक्टर-से-डॉक्टर और मरीज़-से-डॉक्टर टेली-विमर्शों दोनों को सुविधाजनक बनाने के लिए एक स्वतंत्र ब्राउज़र आधारित अनुप्रयोग है।
ई-संजीवनी ग्रामीण क्षेत्रों और अलग समुदायों दोनों में आम जनता के लिए विषेश स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच का भी विस्तार करता है। ई-संजीवनी का उद्देश्य ग्रामीण बनाम शहरी, अमीर बनाम गरीब के बीच का अंतर कम करना तथा इनके बीच डिजिटल डिवाइज़(Digital device) को कम करके स्वास्थ्य सेवाओं को न्यायसंगत बनाना है।
ई-संजीवनी की शुरुआत 16 जून, 2009 को तत्कालिक राज्य मंत्री सचिन पायलट द्वारा की गयी थी। ई-संजीवनी केंद्रीय परिवार कल्याण मंत्रालय तथा सुचना प्रौद्योगिकी विभाग की एक संयुक्त डिजिटल पहल है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार स्वास्थ्य सेवा वितरण के एक डिजिटल तरीके के रूप में ई-संजीवनी धीरे-धीरे भारतीय स्वास्थ्य सेवा वितरण प्रणाली के लिए समानांतर धारा के रूप में आकर ले रही है। ई-संजीवनी महत्वाकांक्षी पहल का दूसरा संस्करण ई-संजीवनी ओपीडी टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म(TeleMedicine Platform) है।
इसे अप्रैल, 2020 को प्रारंभ किया गया था। ई-संजीवनी ओपीडी को कोरोन महामारी के पहले लॉकडाउन के दौरान शुरू किया गया था। इसको शुरू करने का उद्देश्य लॉकडाउन के दौरान चरमराई स्वास्थ्य सेवा को संजीवनी प्रदान करना था।
प्रथम लॉकडाउन के दौरान अस्पतालों में सभी डॉक्टर व्यस्त थे और OPD बंद थी। उस समय देश की सेना के रिटायर्ड डॉक्टर्स(Army Retired Doctors) ने आगे आ कर ई-संजीवनी ओपीडी की शुरुआत की थी।
टेलीमेडिसिन स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने की एक उभरती हुई शैली है जो कि स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर को दूरसंचार प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए कुछ दूरी पर बैठे रोगी की जांच करने और उसका उपचार करने की अनुमति देता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार टेलीमेडिसिन का अभिप्राय पेशेवर स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा सुचना प्रौद्योगिकी [IT] का उपयोग करके ऐसे स्थानों पर रोगों की जांच, उपचार तथा रोकधाम, अनुसंधान और मूल्यांकन आदि की सेवा प्रदान करना है जहां रोगी और डॉक्टर के बीच दूरी एक महत्वपूर्ण कारक हो।
टेलीमेडिसिन का सबसे शुरुआती प्रयोग एरिजोना प्रांत(Arizona State) के ग्रामीण क्षेत्रों में निवास कर रहे लोगों को आधुनिक स्वास्थ्य सुविधाओं को प्रदान करने के लिए किया गया। राष्ट्रीय वैमानिक एवं अंतरिक्ष प्रशासन(National Aeronautics and Space Administration[NASA]) ने टेलीमेडिसिन के शुरुआती विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
वहीं भारत में इसरों ने साल 2001 में टेलीमेडिसिन सुविधा की शुरू पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर की थी जिसने चेन्नई(Chennai) के अपोलो अस्पताल को चित्तूर जिले के अरगोड़ा गांव के अपोलो ग्रामीण अस्पताल से जोड़ा था। ई-संजीवनी AB-HWC यानी Ayushman Bharat-Health and Wellness Center को स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा नवंबर, 2019 में लांच किया गया था।
ई-संजीवनी AB-HWC डॉक्टर-से-डॉक्टर टेलीमेडिसिन परामर्श के लिए प्रारंभ की गयी है जिसमें दो या दो से ज़्यादा भिन्न स्थानों में बैठे डॉक्टर डिजिटल माध्यम से सलाह मशवरा कर सकते हैं।
इसे दिसंबर, 2022 तक केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत योजना के तहत चिंहित मेडिकल कॉलेज अस्पतालों के संयोजन में 1,55,000 स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों पर लागू किया जाना है। हाल में ई-संजीवनी AB-HWC लगभग 4,000 स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों पर काम कर रहा है और इतनी ही संख्या में HWC's को शामिल करने का काम चल रहा है।
अब ई-संजीवनी के ऐंड्रोइड-एप को सीधे गूगल प्ले-स्टोर(Google Playstore) से डाउनलोड कर सकते है। यह 9.9 एमबी के साइज़ में उपलब्ध है और इसे 1 मिलियन से अधिक लोगों ने डाउनलोड(Download) किया है। इसे C-DAC द्वारा डेवलप किया गया है। इस एप(App) के इस्तेमाल के लिए आपको अपने फ़ोन नंबर की ज़रूरत पड़ेगी।
इसमें लॉगिन के लिए कुछ ज़रूरी जानकारी भरनी होगी और इसके पश्चात इसमें आपको Patient Registration/Generate Token, Patient Login तथा Patient Profile आदि विकल्प दिखाए देंगे। अपनी सुविधा के अनुसार विकल्प का चुनाव करके एप्लिकेशन का इस्तेमाल कर सकते है।
सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ़ एडवांस्ड कंप्यूटिंग(Centre for Development of Advanced Computing), मोहाली(Mohali) के स्वास्थ्य सूचना विज्ञान समूह का केंद्र समस्त तकनीकी सेवाएं और न्यूनतम व्यवधान के साथ क्लिनीशियन प्रशिक्षण के अलावा ई-संजीवनी निर्धारित वर्कफ़्लो विकास कार्यान्वयन परिचालन(workflow development implementation operations) प्रबंधन से सहायता भी उपलब्ध करा रहा है।
जल्द ही IOS एप स्टोर पर ई-संजीवनी OPD का IOS एप उपलब्ध कराया जाएगा और इससे देश में राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा तक पहुँच बढ़ने की उम्मीद है।
देश में चल रहे कोविद-19 के टीकाकरण के मौजूदा चरण में ऐसे सभी नागरिक जो वृद्ध हैं या 1 जनवरी, 2022 तक जिनकी उम्र 45 साल से 59 साल हो जाएगी और जो विशेष रोग से ग्रस्त हैं जिन्हें कोविद-19 के लिए टीकाकरण करने के बारे में राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह ने सिफारिश की है उन्हें पंजीकृत चिकित्सक के उक्त आशय के प्रमाणन की शर्त पर टीका लगाया जाएगा।