भारत(India) एक युवा प्रधान देश है। यहाँ की आबादी का अधिकतर भाग युवा हैं। 2011 के जनगणना के अनुसार 15 से 35 साल के 5.5 करोड़ कामगार थे। यह युवा जनसंख्या जो भारत की एक ताकत है इसे भुलाने के लिए तथा गरीब युवाओं को देश के मुख्य धारा से जोड़ने के लिए उनके कौशल विकास को तराशने के लिए एक योजना लाने का प्रयास भारत सरकार द्वारा किया गया।
इसी के फलस्वरूप दीनदयाल उपाध्याय कौशल्य योजना(Deendayal Upadhyay Skill Scheme) को लाया गया। यह योजना गरीब ग्रामीण क्षेत्रों में युवाओं को नौकरियों में नियमित न्यूनतम मज़दूरी या उससे ऊपर मासिक मज़दूरी दिलाने के उद्देश्य से लाया गया।
ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार की दीनदयाल उपाध्याय कौशल विकास योजना बेरोज़गार ग्रामीण युवाओं को उनकी क्षमताओं के आधार पर उनमें कौशल विकास कर रोज़गार प्रदान करती है। इसकी शुरुआत 25 सितंबर, 2014 को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी(Union Minister Nitin Gadkari) और वैकेंस नायडू(Vacance Naidu) द्वारा किया गया।
इस योजना के अंतर्गत 250 ट्रेंड है, जो ग्रामीण बेरोज़गार युवाओं को प्रशिक्षण देकर उन्हें रोज़गार प्रदान करने का अवसर प्रदान करता है। भारत विकसित देशों में आता है लेकिन यहां भी ग्रामीण बेरोज़गारी की समस्या घर-घर अपना पांव पसारती जा रही है।
अधिकतर युवा दिशाहीन हो कर ड्रग्स माफियाओं के गिरफ्त में आकर ड्रग्स(drugs) के आदि हो गए है और अपना करियर चौपट कर बैठे हैं। इन दिशाहीन बेरोज़गार युवाओं के लिए दीनदयाल उपाध्याय कौशल्य योजना एक संजीवनी की तरह काम करेगा।
भारत सरकार ने भी ग्रामीण स्तर पर इस योजना को फैला कर बेरोज़गार ग्रामीण युवाओं को भटकती ज़िंदगी को रोज़गार का अवसर प्रदान करने का प्रयास किया है।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना(Pandit Dindayal Upadhyay Yojana) को प्रधानमंत्री मोदी ने दिसंबर, 2014 को लांच किया था। इस योजना का संचालन कौशल विकास और उद्यमिता एवं आजीविका विभाग द्वारा किया जा रहा है। इसके अंतर्गत युवाओं में उनके कौशल्य का विकास करके उन्हें रोज़गार प्रदान किया जाएगा।
उन्हें सरकार द्वार तय की गयी न्यूनतम मज़दूरी के बराबर या उस से अधिक मज़दूरी प्रदान करना है। इसके साथ ही उनकी गरीबी व बेरोज़गारी को ख़त्म करना है। यह योजना "मेक इन इंडिया(Make in India)" के तहत शुरू किया गया है।
जिसमें युवाओं की यो ग्यता को विकसित करने का लक्ष्य है। युवाओं की योग्यता को निखारने व बढ़ाने के लिए उन्हें सरकार द्वारा DDU-GKY के माध्यम से प्रशिक्षण दिया जाएगा। उन्हें प्रशिक्षण केंद्र में उनकी रुचि अनुसार ट्रैनिग दी जाएगी ताकि वह अपना बेहतरीन दे सकें। इसी प्रशिक्षण के आधार पर उन्हें आगे नौकरी भी प्रदान की जाएगी।
सन 2011 की जनगणना के अनुसार भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में 15 साल से 35 साल तक की उम्र के बीच के 55 लाख पोटेंशियल वर्कर्स(Potential Workers) हैं। इसी समय दुनिया को सन 2020 तक 57 लाख वर्कर्स की कमी का सामना करना पड़ सकता है।
आधुनिक बाजार में भारत के ग्रामीण निर्धन लोगों को आगे बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है जैसे औपचारिक शिक्षा और बाजार के अनुसार कौशल में कमी आदि इसलिए भारत के केंद्रीय मंत्रियों नितिन गडकरी(Union Ministers Nitin Gadkari) और वेंकैया नायडू(Kaiya Naidu) द्वारा DDU-GKY योजना की शुरुआत की गई है।
यह योजना मुख्य रूप से गरीब परिवारों के युवाओं के लिए काम करती है और जिनकी उम्र 15 और 35 साल के बीच है। DDU-GKY सरकार के सामाजिक और आर्थिक कार्यक्रमों जैसे स्मार्ट सिटी और स्टार्ट-अप इंडिया(Smart City and Start-up India), मेक इन इंडिया(Make in India), डिजिटल इंडिया(Digital India) और स्टैंड-अप इंडिया(Stand-up India) अभियानों का समर्थन करता है।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना का उद्देश्य ग्रामीण बेरोज़गार युवाओं को रोज़गार देना है ताकि वह अपनी जीविका चला सकें। भारत सरकार ने इस बात का ध्यान रखा है कि इस योजना का लाभ ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को मिल सके। इसके लिए सभी ग्रामीण इलाके के बेरोज़गार व कम पढ़े-लिखे युवाओं को चिन्हित किया जाएगा।
उसके बाद उन्हें उनकी रुचि के अनुसार उनके कौशल विकास कार्यक्रम के तहत उन्हें प्रशिक्षण दिया जाएगा साथ ही उन्हें रोज़गार के अवसर भी प्रदान किए जाएंगे। ज़रूरी प्रशिक्षण उपलब्ध कराने से युवाओं के करियर में प्रगति विकास की मदत से गरीब और हाशिए पर खड़े लोगों को सक्षम बनाना ग्रामीण इलाके से पलायन कम करना ज़्यादा लोगों की पहुँच रोज़गार तक सुनिश्चित करना है।
अभी तक इस योजना के अंतर्गत पुरे देश में लगभग 11,05,161 युवाओं को प्रशिक्षण दिया जा चूका है। जिनमें से कुल 6,42,357 युवाओं को रोज़गार मिल चूका है। DDU-GKY के तहत प्रशिक्षण का कार्यक्रम 18 दिसंबर, 2020 को शुरू किया जा चूका है। इसका बैच तक्षशिला(Bach Takshila), धौला में शुरू किया गया है।
इस योजना में 200 से ज़्यादा कार्यों की ट्रेनिंग(Training) दी जाएगी। यह प्रशिक्षण शिविर देश में अलग-अलग जगह शुरू किए जाएंगे ताकि ज़्यादा से ज़्यादा लोग लाभान्वित हो सकेंगे। जम्मू-कश्मीर(Jammu-Kashmir) के लिए इस DDU-GKY को "हिमायत" नाम से शुरू किया गया है। इसी तरह कुछ जिलों के लिए इसे "रोशनी" नाम से भी चलाया जा रहा है।
DDU-GKY में सामाजिक रूप से वंचित समूह को कवर करने का लक्ष्य रखा गया है। इस योजना के लिए आवंटित धन का 50% अनुसूचित जाती-जनजाति, 15% अल्पसंख्यकों(minorities) के लिए और 3% विकलांग व्यक्तियों के लिए निर्धारित किया गया है। इस तरह के कुशलता कार्यक्रम में युवाओं की संख्या में एक तिहाई संख्या महिलाओं की रखी गयी है।
इस योजना के तहत कुशलता विकसित करने के कार्यक्रम में 25,696 से लेकर 1 लाख रूपए प्रति व्यक्ति तक की वित्तीय सहायता मिल सकती है। यह वास्तव में परियोजना की अवधि और ट्रेनिंग योजना के प्रकार पर निर्भर करता है। DDU-GKY 576 घंटे तक प्रशिक्षण के लिए वित्तीय सहायता देता है।
DDU-GKY के ज़रिए कौशल प्रदान करने वाले प्रोजेक्ट्स से जुड़े रोज़गार के लिए फंडिंग सपोर्ट उपलब्ध कराया जाता है। जिससे प्रति व्यक्ति 25,000 रूपए से लेकर 1 लाख रूपए तक के फंडिंग सपोर्ट(Refund Support) के साथ मार्केट की मांग का समाधान किया जाता है प्रोजेक्ट की अवधि एवं रेजिडेंशियल(residential) या नॉन रेजिडेंशियल(Non-residential) प्रोजेक्ट पर आधारित है।
DDU-GKY के ज़रिए 3 महीने से लेकर 12 महीने तक की अवधि वाले प्रशिक्षण प्रोजेक्ट ले लिए फंडिंग की जाती है। फंडिंग सपोर्ट में प्रशिक्षण का खर्च रहने एवं खाने-पीने का खर्च, ट्रांसपोर्टेशन खर्च(Transportation Expenses), योजना के बाद सहायता खर्च, आजीविका में उन्नति एवं स्थायी रोज़गार में सहायता संबंधी खर्च आदि शामिल है।
इस योजना में ऑनलाइन आवेदन करने के लिए इसकी आधिकारिक वेबसाइट http://ddugky.gov.in/hi/apply-now पर जाना होगा। रजिस्ट्रेशन करने के पूर्व अपना फोटो स्कैन करके रखा लेना चाहिए जिसका साइज़ 2MB से कम रहना चाहिए। दिए गए लिंक पर क्लिक करते ही एक फॉर्म दिखेगा। इसमें सभी जानकारी भरने के बाद कैप्चा कोड भरकर सम्बित बटन दबाना होगा और आवेदन की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।