हमारा भारत दुनिया का सबसे अनोखा देश माना जाता है। जहां सभी धर्म के लोग निवास करते हैं। हमारे यहां प्रकृति की पूजा की जाती है। हम लोग देश की भूमि को भारत मां कहते हैं, उनको पूजते हैं। प्रकृति के सभी जीवों, नदियों, पेड़ों, पर्वतों को पूजनीय माना जाता है। सभी को अपना मानना और सम्मान की दृष्टि से देखने की संस्कृति हमें विरासत में मिली है।
आज हम लोग संस्कृति और विरासत से जुड़ी बातों को यहां करेंगे। हम सभी भारतीयों को अपनी संस्कृति से गहरा लगाव है। हम अपनी संस्कृति की रक्षा करते हैं और दूसरी संस्कृतियों का सम्मान करते हैं। भारतीय संस्कृति के बल पर देशवासी पूरे पृथ्वी पर अपना परचम लहरा रहे हैं।
विरासत के रूप में हमें कई ऐतिहासिक इमारतें मिली। केदारनाथ(Kedarnath), बद्रीनाथ (Badrinath), हरिद्वार(Haridwar), काशी(Kashi), उज्जैन(ujjain), लाल किला(Red Fort), ताजमहल(Taj Mahal) जैसे पुण्य स्थल हमें धरोहर के रूप में मिले हैं। हमारा भी कर्तव्य बनता है कि हम इन धरोहरों का रख-रखाव सही ढंग से करें ताकि आने वाली पीढ़ी भी हमारे प्राचीन संस्कृति के जीते-जागते उदाहरणों को देख सकें।
हमारी भारत सरकार भी इन धरोहरों के विकास और रख-रखाव के लिए तत्पर है और कई तरह की योजनाओं को चला रही है। इनमें से एक योजना 'हृदय स्कीम(HRIDAY scheme)' है। जिसका उद्देश्य है भारत के शहर जो प्राचीन विशेषता के कारण प्रसिद्ध हैं उनका विकास और रख-रखाव सही ढंग से हो सके।
केंद्र सरकार के द्वारा 21 मई, 2015 को "राष्ट्रीय विरासत एवं संवर्धन योजना(National Heritage and Promotion Scheme)"(HRIDAY) को लांच किया गया था। देश के समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के प्रयास को मद्देनज़र रखते हुए इस योजना का शुभारंभ किया गया। इस योजना को लांच हुए अब तक 7 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं और यह योजना यथावत अभी तक चल रही है।
केंद्र सरकार के द्वारा शुरू की गई इस योजना का बजट लगभग 500 करोड़ रुपए है। केंद्र सरकार भारत के कुछ प्रमुख शहरों का विकास इस योजना के माध्यम से करना चाहती है। इस योजना का उद्देश्य यह है कि भारत के कुछ शहर जो अपनी प्राचीनता और विशेषता के कारण प्रसिद्ध हैं, उनका विकास और संवर्धन होना चाहिए।
शहरों को स्वच्छ और स्मार्ट बनाया जाएगा, उनका रख-रखाव अच्छे से किया जाएगा और पर्यटन के दृष्टिकोण से उसमें बदलाव और सुधार करने के लिए इस योजना को शुरू किया गया है।
हृदय एकीकृत और समावेशी दृष्टिकोण के माध्यम से विभिन्न हित धारकों जैसे सरकारी एजेंसियों(government agencies), गैर-सरकारी संगठन(Non government organization), स्थानीय निकायों(local bodies), नागरिकों, सांस्कृतिक विरासत कायाकल्प(cultural heritage rejuvenation) के प्रयासों का एकीकरण और शहरी योजना तथा आर्थिक विकास एवं प्रबंधन को एक मंच के माध्यम से भारत के ऐतिहासिक शहरों के सतत विकास को लक्षित करने के दृष्टिकोण से भारत सरकार की एक मिशन मोड परियोजना है।
इस योजना का मुख्य उद्देश्य भारत के प्राचीन शहरों का विकास करना है। भारतीय संस्कृति में बहुत सी ऐसी जगह है जो हमारे देश की धरोहर है। जिनको भविष्य में संभाल कर रखने के लिए उनका रख-रखाव करना बहुत जरूरी है। इस योजना में अभी देश के 12 शहरों को चुना गया है।
इस योजना के तहत शहर के विकास के द्वारा शहरी करण होगा। शहर की हर मुख्य जरूरतों को इस योजना के माध्यम से पूरा किया जाएगा। इस योजना के माध्यम से देश के पर्यटन को बहुत फायदा मिलेगा। इस योजना के तहत सरकार यह उम्मीद लगा रही है कि इससे भारत के साथ विदेशी नागरिक भी शहरीकरण से आकर्षित होंगे और घूमने आएंगे।
इससे देश में पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी होगी और राजस्व का भी फायदा होगा। इस योजना के अंतर्गत शहर की सुरक्षा, सुंदरता, स्वच्छता, बिजली, पानी, भोजन, शौचालय, सड़क आदि मुख्य जरूरतों को पूरा किया जाएगा।
अगर ऐसा होता है तो पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी और वह अपने आप को सुविधा युक्त महसूस करेंगे। उनको किसी तरह की परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा। इस योजना को पूरा करने का कुल खर्च केंद्र सरकार दे रही है।
इस योजना को पूरा करने का लक्ष्य 27 महीने का निर्धारित किया गया था जिसे मार्च, 2017 तक पूरा कर लेना था। योजना के तहत 12 चयनित विरासत शहरों की योजना, विकास, प्रबंधन और क्रियान्वयन जैसे कदमों को संबंधित राज्य सरकार के साथ साझेदारी में रणनीति बनाई गई थी।
सरकार के द्वारा इस योजना पर कुल 500 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। शहर के क्षेत्रफल और आबादी के अनुसार वहां का खर्च तय किया गया है। 12 शहरों का खर्च अलग-अलग है जिसमें सबसे अधिक वाराणसी(Varanasi) का है। इसके पीछे का कारण यह है कि वाराणसी (Varanasi) सबसे प्राचीन शहर है और बहुत बड़ा धार्मिक शहर है।
कुल 12 शहरों में वाराणसी सबसे प्रसिद्ध शहर है और यहां बाकी जगहों की अपेक्षा अधिक लोग आते हैं। संख्या के हिसाब से यहां लोगों को उस तरह की सुविधा नहीं मिल पाती है।
किस शहर को कितनी राशि निर्धारित की गई है उसका विवरण कुछ इस प्रकार है-अजमेर (Ajmer) को 40.04 करोड़ रुपए, अमरावती(Amravati) को 22.26 करोड़ रुपए, अमृतसर (Amritsar) को 69.31 करोड़ रुपए, बादामी को 22.26 करोड़ रुपए, द्वारिका(Dwarka) को 22.26 करोड़ रुपए, गया(Gaya) को 40.04 करोड़ रुपए, कांचीपुरम(Kanchipuram) को 23.04 करोड़ रुपए, मथुरा(Mathura) को 40.04 करोड़ रुपए, पूरी(Puri) को 22.54 करोड़ रुपए, वाराणसी(Varanasi) को 89.31 करोड़ रुपए, वेलानकन्नी(Velankanni) को 22.26 करोड़ रुपए, (वारंगल) को 40.54 करोड़ रुपए दिए गए हैं।
इन सभी शहरों के विकास से वहां पर्यटन बढ़ेगा साथ ही लोगों को रोजगार प्राप्त होगा। ऐसा होने से देश के पर्यटन प्रणाली(tourism system) में मजबूती आएगी। शहरीकरण हो जाने से वहां के लोगों के जीवन शैली में भी बदलाव आएगा। पर्यटकों के साथ-साथ वहां के स्थानीय लोगों को भी शहरीकरण से फायदा मिलेगा।