हेटस्पीच की परिभाषा क्या होती है, इसको लेकर कानून क्या है

हेटस्पीच की परिभाषा क्या होती है, इसको लेकर कानून क्या है
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AshishUrmaliya || Pratinidhi Manthan

वर्तमान में हेटस्पीच शब्द ट्रेंड कर रहा है। खास तौर पर दिल्ली दंगों के संदर्भ में इसका बहुत ज्यादा उपयोग हो रहा है। तो आइये जानते हैं, भारतीय संविधान में इसको लेकर क्या व्यवस्थाएं हैं।

इसका जिक्र भारतीय संविधान के आर्टिकल 19 सहित आईपीसी और सीआरपीसी में मिलता है। चर्चा की शुरुआत ऑक्सफ़ोर्ड डिक्शनरी से करते हैं। ऑक्सफ़ोर्ड डिक्शनरी के अनुसार हेटस्पीच का मतलब, 'धर्म, नस्ल, लिंग जैसे किसी भेदभाव के चलते किसी समूह विशेष के खिलाफ पूर्वाग्रह व्यक्त करने वाला कोई भी आक्रामक या निंदात्मक बयान' होता है। 

पिछले कुछ दिनों में दिल्ली में इस तरह के बयानों की बाढ़ सी आ गई है, जिसके चलते अदालतों के दरवाजे खटखटाए जा रहे हैं। तो आइये इसकी कानूनी व्याख्या पर नजर डाल लेते हैं।

हेटस्पीच को लेकर अलग से कोई कानूनी व्याख्या नहीं है। हमें जो अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार मिला हुआ है, उसी पर कुछ लगाम कसते हुए, इस तरह के हेटस्पीच को परिभाषित किया गया है। संविधान के अनुच्छेद 19 में अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार पर 8 किस्म के प्रतिबंध लगाए गए हैं।

1. लोकव्यवस्था

2. राज्य की सुरक्षा

3. विदेशी राज्यों के साथ दोस्ताना संबंध

4. कोर्ट की अवहेलना

5. हिंसा भड़काऊ

6. शालीनता या नैतिकता

7. मानहानि

8. भारत की अखंडता व संप्रभुता पर चोट

इनमें से किसी भी पॉइंट पर अगर कोई बयान या लेख आपत्तिजनक पाया जाता है, तो उसके खिलाफ कार्यवाई सुनवाई के प्रावधान हैं।

सजा का प्रावधान क्या है?

भारतीय कानून पोर्टल पर दिए गए विवरण के अनुसार, इंडियन पीनल कोड के सेक्शन 153(A) के तहत प्रावधान है, कि अगर धर्म, नस्ल, रिहाइश जन्मस्थान, समुदाय, जाति या भाषा या अन्य ऐसे ही किसी आधार पर भेदभावपूर्ण तरीके से बोला या लिखा गया कोई भी शब्द अगर किसी समूह विशेष के खिलाफ, नफरत या रंजिश की भावनाएं भड़काता है और सौहाद्र माहौल को खराब करता है, तो ऐसे मामले में दोषी को तीन साला तक की कैद की सजा व जुर्माना या फिर दोनों का प्रावधान है। 

धारा 295(A) के तहत भी 3 साल की सजा का प्रावधान

इस सेक्शन में भी तीन साल की कैद या जुर्माना या फिर दोनों का प्रावधान है, यह 153(A) से अलग सिर्फ इसलिए है क्योंकि इसमें देश के किसी भी समुदाय की केवल धार्मिक भावनाओं को आहत करने को लेकर व्यवस्था है। धार्मिक भावनाओं के अलावा और किसी भी किस्म के भेदभाव का जिक्र इसमें नहीं मिलता। 

सीआरपीसी की धारा 95 में इससे संबंधित क्या प्रावधान हैं? जानें,

Code Of Criminal Procedure यानी दण्ड प्रक्रिया संहिता के सेक्शन 95 में राज्य को यह अधिकार दिया गया है, कि वह किसी भी प्रकाशन विशेष को प्रतिबंधित कर सकता है। इस धारा के अनुसार, धारा 124ए, धारा 153ए या बी, धारा 292 या 293 और धारा 295ए के तहत अगर कोई प्रकाशन (किताब अखबार या कोई भी दृश्यात्मक प्रकाशन) आपत्तिजनक करार दिया जाता है, तो केंद्र या भारत का कोई राज्य उसे प्रतिबंधित कर सकता है।

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