Ashish Urmaliya || Pratinidhi Manthan
16दिसंबर 2012, आज से करीब 7 साल पहले की वो घटना देश कभी नहीं भूल सकता। ये वो तारीखहै जिसमें इंसान का इतना शर्मसार करने वाला रूप देखने को मिला, जो इंसानियत को भीतरतक झकझोर कर रख दे। देश की राजधानी में एक चलती बस के भीतर 5 दरिंदों ने क्रूरता कीसारी हदें पार कर दी थीं।
हमबात कर रहे हैं निर्भया केस की, हाल ही में 5 में से 4 दरिंदों की फांसी की सजा 22जनवरी के दिन तय हो चुकी थी लेकिन अभी ख़बरें आ रही हैं, कि फांसी में देरी हो सकती है। क्योंकि एक आरोपी मुकेशके वकील ने सत्र न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की तैयारी कर ली है। बता दें, राष्ट्रपतिके दया याचिका ख़ारिज करने के बाद भी आरोपी के पास 14 दिन का वक्त रहता है। खैर कानूनीप्रक्रिया चल रही है, प्रबल आसार हैं कि अंततःआरोपियों को फांसी मिलेगी ही।
इसीबीच हम आपको बताने जा रहे हैं, उस फांसी के फंदे के बारे में जिसके जरिये देश के जघन्यअपराधियों को उनके अंजाम तक पहुंचाया जाता है।
हमजानेंगे, कि उस फांसी की फंदे की कीमत कितनी होती है और आजाद भारत में अब तक कितनेलोगों को फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है?
नेशनलक्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (National Crime Record Bureau- NCRB) के आंकड़ों के मुताबिक,आजाद भारत में अब तक करीब 1500 लोगों को न्यायलय द्वारा फांसी की सज़ा सुनाई जा चुकीहै। इनमें से सिर्फ 21 अपराधी ऐसे रहे, जिन्हें फांसी के फंदे पर लटकाया गया। बाकीके अपराधियों में से कुछ की सजा माफ कर दी गई और कुछ की निश्चित तिथि के पहले मौत होगई।
फांसी के फंदे की कीमत-
अलग-अलगपोर्टल पर आपको फांसी के फंदे की अलग अलग कीमत पढ़ने या सुनने को मिल सकती है.
बक्सरजेल सुपरिटेंडेंट ने बीबीसी को बताया कि आखिरीबार फांसी का फंदा 2016 में पटियाला जेल को सप्लाई किया गया था। तब उसकी कीमत1,725 रुपये लगाई गई थी।
उन्होंनेकहा कि अब महंगाई बढ़ गई है। फंदा बनाने वाले धागे और सूत के दाम भी बढ़े हैं। साथही गर्दन में फंसाने के लिए तैयार होने वाले पीतल के बुश की कीमत भी बढ़ी है। इसलिएइस बार एक फंदे की कीमत 2,120 रुपये रखी गई है।