राष्ट्रीय शिक्षा दिवस 2021: 11 नवंबर को ही क्यों मनाया जाता है? मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के बारे में क्या जानते हैं आप?

11 नवंबर यानि आज के दिन को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस(National Education Day) के रूप में मनाया जाता है. यह दिन भारत देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम की याद में मनाया जाता है. मौलाना अबुल कलाम(Maulana Abul Kalam Azad) ने देश में शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व व समृद्ध योगदान दिया है। आगे डिटेल में जानिए...
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मुख्य बिंदु-

  • हर साल 11 नवंबर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस(National Education Day) मौलाना अबुल कलाम(Maulana Abul Kalam Azad) को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है।

  • मौलाना अबुल कलाम(Maulana Abul Kalam Azad) भारत के पहले केंद्रीय शिक्षा मंत्री थे, उन्होंने पद पर रहते हुए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान सहित कई संस्थानों की नींव रखी।

  • शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व व अतुलनीय था इसलिए एमएचआरडी( MHRD-Ministry of Education) ने 2008 से 11 नवंबर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया।

राष्ट्रीय शिक्षा दिवस 2021: राष्ट्रीय शिक्षा दिव 11 नवंबर को मनाया जाता है। राष्ट्रीय शिक्षा दिवस 2008 से हर साल 11 नवंबर को मनाया जाता है। सवाल उठता है कि राष्ट्रीय शिक्षा दिवस 11 नवंबर को क्यों मनाया जाता है? यह दिन हर साल किसकी विरासत का सम्मान करने के लिए समर्पित है?

मौलाना अबुल कलाम आजाद;

एक प्रतिभाशाली दिमाग, कलाम आजादी के बाद देश के पहले केंद्रीय शिक्षा मंत्री थे। कलाम की जयंती के उपलक्ष्य में देश में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है। उन्होंने 1947 से 1958 तक स्वतंत्र भारत के शिक्षा मंत्री के रूप में कार्य किया।

 Maulana abul kalam azad
Maulana abul kalam azad

एक शिक्षाविद्, पत्रकार, स्वतंत्रता सेनानी और राजनीतिज्ञ, कलाम ने भारत की शिक्षा संरचना को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कलाम कहते थे कि हमारे सपने विचारों में और विचारों का परिणाम कर्मों में होता है। कलाम ने देश में शिक्षा के ढांचे में सुधार का सपना देखा था और उन्होंने इसे पूरा करने का प्रयास किया।

शिक्षा के क्षेत्र में उनके समृद्ध समर्पण को ध्यान में रखते हुए, 11 नवंबर, 2008 को मानव संसाधन विकास मंत्रालय(human resource development ministry) ने इस दिन को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया। मंत्रालय ने अपने बयान में उल्लेख किया, "मंत्रालय ने भारत में शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को याद करते हुए भारत के इस महान सपूत के जन्मदिन को मनाने का फैसला किया है। हर साल 11 नवंबर, 2008 से राष्ट्रीय शिक्षा के रूप में मनाया जाएगा। दिन, इसे छुट्टी घोषित किए बिना।"

कलाम ने कहा था कि किसी राष्ट्र की उन्नति और समृद्धि के लिए शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण तत्व है। शिक्षा मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान, कई महत्वपूर्ण संस्थान जैसे भारत में पहला भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान या IIT खड़गपुर(IIT Kharagpur), स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर(Schools of Planning and Architecture (SPAs)), पहला भारतीय विज्ञान संस्थान या IISc स्थापित किया गया था।

मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का जन्म 1888 में मक्का, सऊदी अरब में हुआ था। उन्होंने हमेशा इस बात पर जोर दिया कि छात्रों को रचनात्मक होना चाहिए और अलग तरह से सोचना चाहिए। उन्होंने कहा, "शिक्षाविदों को छात्रों के बीच पूछताछ की भावना, रचनात्मकता, उद्यमशीलता और नैतिक नेतृत्व की क्षमता का निर्माण करना चाहिए और उनका आदर्श बनना चाहिए।"

महिलाओं की शिक्षा के प्रबल समर्थक:

कलाम ने हमेशा इस बात पर जोर दिया कि किसी राष्ट्र के सुधार के लिए महिला सशक्तिकरण एक आवश्यक और महत्वपूर्ण शर्त है। उनका मानना ​​था कि महिलाओं के सशक्तिकरण से ही समाज स्थिर होगा। 1949 में उन्होंने संविधान सभा में महिलाओं की शिक्षा का मुद्दा उठाया था। कलाम ने ग्रामीण उच्च शिक्षा बोर्ड, बुनियादी शिक्षा के लिए राष्ट्रीय संगठन और अन्य की नींव भी रखी। कलाम का योगदान शिक्षा के क्षेत्र में भारत के विकास में आपस में जुड़ा रहेगा, उनका काम निरंतर प्रेरणा और मार्गदर्शन का स्रोत बना रहेगा।

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