डिटेंशन सेंटर कोई जेल नहीं होता, विस्तार से समझिये!

डिटेंशन सेंटर कोई जेल नहीं होता, विस्तार से समझिये!
3 min read

Ashish Urmaliya || Pratinidhi Manthan

सभी मुद्दों के साथ इस वक्त देश में 'डिटेंशन सेंटर' (Detention Centre) का मुद्दा गरमाया हुआ है। इस मुद्दे ने तब ज्यादा गर्मी पकड़ी जब एक पत्रकार ने CAA और NRC से देश की अर्थव्यवस्था को होने वाले नुकसान के आंकड़े प्रस्तुत किये और उसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली के रामलीला मैदान में हुई रैली में डिटेंशन सेंटर का जिक्र किया। इसके बाद से देशभर में इसकी चर्चाओं ने और भी जोर पकड़ लिया। इसको लेकर लोगों के मन में कई सवालों ने जन्म ले लिया है।

सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि आखिर ये डिटेंशन सेंटर है क्या? क्या भारत में भी डिटेंशन सेंटर्स हैं? ये डिटेंशन सेंटर का आईडिया कहां से आया? इसके अलावा और कोई रास्ता क्यों नहीं है? इन सभी सवालों के जवाब आपको आगे मिलेंगे।

डिटेंशन सेंटर क्या होता है?

डिटेंशन सेंटर (हिरासत क्षेत्र) ऐसी जगह होती है जहां देश में गैर-कानूनी तरीके से रह रहे विदेशी लोगों को रखा जाता है। ये तो साधारण सी बात है आप दिनभर अपने टीवी चैनलों पर देखते ही होंगे। भारत में भी बहुत से ऐसे विदेशी नागरिक हैं जो गैर कानूनी तरीके ये यहां रह रहे हैं, उनकी पहचान करने के बाद सरकार उन्हें डिटेंशन सेंटर में रखेगी।

और उन्हें डिटेंशन सेंटर में तब तक रखा जायेगा जब तक असल में पता न चल जाये कि वे असल में किस देश के नागरिक हैं। पता लगते ही उन लोगों को डिटेंशन सेंटर से निकाल कर उनके देश भेज दिया जाता है। लेकिन उनकी पहचान कर पान सरकार के लिए थोड़ा मुश्किल कार्य हो सकता है। अब आप सोच रहे होंगे कि हमने अगर नागरिकों की पहचान कर भी ली, तो वो देश अपने नागरिकों को स्वीकार करेगा? तो,

विदेशी कानून 1946 के सेक्शन 3 (2) (सी) के अनुसार, हमारे देश की सरकार के पास देश में अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों को उनके देश वापस भेजने का अधिकार है। इस कानून के सेक्शन 3 (2) (ई) में यह भी प्रावधान है कि अगर देश का कोई राज्य अलग से डिटेंशन सेंटर बनवाना चाहे तो बना सकता है।

दुनिया के कई बड़े देशों में डिटेंशन सेंटर मौजूद हैं-

यूरोपियन इतिहासकारों के मुताबिक, दुनिया का पहला डिटेंशन सेंटर आज से करीब 600 वर्ष पहले 1417 में बनाया गया था। यह डिटेंशन सेंटर फ्रांस के तत्कालीन राजा चार्ल्स पंचम द्वारा बनवाया गया था। इस डिटेंशन सेंटर का मकसद दूसरे देशों से आये अवैध नागरिकों को रखने के साथ युद्धबंदियों को रखना भी था। साल 1789 तक यह सेंटर बेसिल सेंट एंटोनी के नाम से जाना जाता है। लेकिन इसी साल फ्रांस की क्रांति के समय इस डिटेंशन सेंटर पर बड़ा हमला हुआ जिसके बाद इस सेंटर को फ्रांस क्रांति का प्रतीक माना जाने लगा। बाद में इसे ध्वस्त कर दिया गया। आज उस डिटेंशन सेंटर की जगह पर 'पैलेस डे ला बेसिले' की इमारत खड़ी हुई है। 

और कितने देशों में बने हुए हैं डिटेंशन सेंटर!

  1. अमेरिका- दुनिया में सबसे ज्यादा डिटेंशन सेंटर्स अमेरिका द्वारा बनाये गए हैं। पहला डिटेंशन सेंटर साल 1892 में न्यू जर्सी शहर के पास में बनाया गया था जिसे एलिस आइलैंड के नाम से जाना जाता है। हाल ही में साल 2014 में अमेरिका ने फैमिली डिटेंशन सेंटर बनवाया था, इसे तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा बनवाया गया था। रिपोर्ट्स के अनुसार, ओबामा ने अपने शासनकाल में 30 लाख से ज्यादा आप्रवासियों को बाहर निकाला था।
  2. द. अफ्रीका- यहां भी डिटेंशन सेंटर्स मौजूद हैं, पहला सेंटर साल 1982 में बनवाया गया था।
  3. इस्राइल- साल 2012 में यहां पहला डिटेंशन सेंटर बनवाया गया था। जिसकी क्षमता करीब 10 हजार लोगों की है। यह दुनिया का सबसे बड़ा डिटेंशन सेंटर है जिसका नाम है- सहारोनिम।

इन देशों के अलावा भी कई अन्य देशों में सेंटर्स मौजूद हैं।

बड़ा सवाल- क्या भारत में भी डिटेंशन सेंटर्स मौजूद हैं?

– बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में दुनिया के दूसरे सबसे बड़े डिटेंशन सेंटर का निर्माण कराया जा रहा है। और इसका निर्माण कार्य दिसंबर 2018 से असम के ग्वालपाड़ा जिले के मटिया में जारी है।

– इस सेंटर का निर्माण करीब 2.5 हेक्टेयर जमीन पर किया जा रहा है। यहां महिलाओं व पुरुषों के लिए अलग-अलग सेल बनाये जा रहे हैं। इसका करीब 70 फीसदी काम पूरा भी हो चुका है। जब काम पूरा हो जायेगा तब यह देश का पहला डिटेंशन सेंटर होगा।

– अब तक असम की जेलों को ही डिटेंशन सेंटर्स के रूप में संचालित किया जा रहा है।

– संसद में चल रही बहस के दौरान कांग्रेस नेता शशि थरूर के सवाल का जवाब देते हुए गृह राज्य मंत्री जी.के. रेड्डी ने बताया था, कि फिलहाल असम के 6 केंद्रीय कारागारों को डिटेंशन सेंटर्स के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। जिनमें 1133 घोषित विदेशियों को रखा गया है। ये आंकड़े 25 जून 2019 के हैं।

सरकारी योजना

No stories found.

समाधान

No stories found.

कहानी सफलता की

No stories found.

रोचक जानकारी

No stories found.
logo
Pratinidhi Manthan
www.pratinidhimanthan.com