तीन मनसुख भाई जिन्होंने ग्रामीण उद्योग के क्षेत्र में सफलता के नए आयाम छुए!
Ashish Urmaliya | The CEO Magazine
तीन ऐसे ग्रामीण उद्योगी जिन्होंने सफलता के नए आयाम छुए, इनका नाम एक जैसा होना महज एक संयोग!
ग्रामीण उद्यमी लगातार भारतीय परिदृश्य के आकार को बदल रहे हैं। हर रोज़ कोई न कोई ग्रामीण अपनी नई खोज व नए उद्योग विचार के साथ सामने आ रहा है। ज़मीनी स्तर पर उद्यमियों ने न केवल लाभप्रद व्यवसाय स्थापित किए हैं बल्कि सामाजिक उद्यमिता के लिए मार्ग प्रशस्त किया है। साथ ही भारतीय सांस्कृतिक और पर्यावरणीय मुद्दों के समाधान विकसित किए हैं। उद्यमिता एक ऐसा प्रयास है जसकी सराहना की जानी चाहिए।
इस लेख में हम आपको तीन ऐसे ही परिवर्तनात्मक, जुझारू ग्रामीण उद्यमियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने देश की प्रगति में अहम् योगदान दिया है और दुनिया भर में अपनी सफलता का परचम लहराया है। इन तीनो का नाम एक जैसा होना महज एक संयोग है।
गुजरात के अमरेली ज़िले के मोटा देवाल्या गांव में एक गरीब किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले मनसुखभाई जगानी बहुत पढ़े लिखे नहीं हैं। मनसुखभाई का जीवन समस्याओं से घिरा रहा है. परिवार की आर्थिक तंगी दूर करने के मकसद से उन्हें प्राथमिक स्तर पर ही स्कूल छोड़ दिया और किसानी में अपने पिता की मदद करने लगे। मनसुखभाई ने अपने जीवन को हमेशा सकारात्मक दृष्टिकोण से देखा और इन समस्याओं को अपनी राह का रोड़ा बनाने की बजाए अवसर के रूप में परिणत कर दिया।
मनसुखभाई मशीनों और उपकरणों को लेकर शुरू से ही जुनूनी थे, इसीलिए उन्होंने खेती करने के साथ एक छोटी सी वर्कशॉप खोल ली। खेती की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए वे कृषि उपकरणों के निर्माण करने लगे। इसी बीच इन्होंने मोटरसाइकिल के पिछले चक्के में लगने वाला एक बहुपयोगी उपकरण 'सुपर हल' तैयार किया। इस हल के जरिए खेती से जुड़ी विभिन्न गतिविधियां जैसे बुवाई, अंतर-संवर्धन, कीटनाशकों का छिड़काव किया जा सकता है। 'सुपर हल' को किसानों द्वारा "बुलेट सांटी" (खेत की मिट्टी को मुलायम और समतल करने वाले हल का स्थानीय नाम) का नाम दिया गया है |
"बुलैट सांटी से किसानों को जबरदस्त फायदा हुआ। इस आविष्कार से किसानों को उत्पादन बढ़ाने में मदद मिली क्योंकि इसके बाद वो खेत जोतने के लिए मजदूरों व बैलों पर निर्भर नहीं थे। ग्रामीण सफलता के बाद बुलेट सांटी ने भारत और अमेरिका दोनों जगहों पर अपनी प्रौद्योगिकी के लिए पेटेंट हासिल किया और इसी के साथ किराये की एक छोटी सी दुकान से शुरू हुआ मनसुखभाई का ये सफर आज एक बड़ी वर्कशॉप के रूप में तब्दील हो चुका है।
मनसुखभाई ने बताया कि "मेरा वर्कशॉप अच्छी चल रही है। ग्रासरूट इन्नोवेंशन अगमेंटेशन नेटवर्क और नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन ने अनुदान के जरिए वर्कशॉप के विस्तार करने और उपकरण खरीदने में मेरी काफी मदद की है। आपको बता दें, मनसुखभाई ने बुलेट सांटी के आलावा और भी कई उपयोगी उपकरणों का निर्माण भी किया है जो किसानों के लिए वाकई मददगार साबित हो रहे हैं।
मनसुखभाई पटेल, अहमदाबाद, गुजरात के एक छोटे से गांव के किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। हमेशा से ही इनका झुकाव यांत्रिक और विद्युत उपकरणों के क्षेत्र में रहा है। हाईस्कूल तक पढ़े मनसुखभाई ने अपने शुरूआती दिनों में अहमदाबाद की एक स्टील ट्यूब निर्माता कंपनी में सहायक के रूप में काम किया। कंपनी में कुछ साल का अनुभव प्राप्त करने के बाद मनसुखभाई ने नौकरी छोड़ दी और अपना पूरा ध्यान उद्योग की तरफ केंद्रित कर दिया। इसी बीच इन्होंने एक कपास स्ट्रिपिंग मशीन की खोज की जो कृषि के क्षेत्र में क्रन्तिकारी रूप से सफल हुई।
इस मशीन का 'चेतक' के रूप में नामकरण किया गया है. यह मशीन कपास के थोक उत्पादन के साथ-साथ समय और लागत की भारी मात्रा में बचत करती है. इस मशीन ने कपास किसानों की कृषि गतिविधियों को काफी सरल बना दिया है। ग्रामीण सफलता के बाद 'चेतक मशीन' ने भारत और अमेरिका दोनों जगहों पर अपनी प्रौद्योगिकी के लिए पेटेंट हासिल किया है। करीब 4 लाख रुपये की लागत से बनने वाली इस मशीन का उत्पादन चेतक इंडस्ट्रीज, अहमदाबाद गुजरात से किया जाता है।
साथ ही पटेल ने अपने व्यापार को विविधता प्रदान करने के लिए कपास बेलिंग मशीन, स्वचालित जीनिंग मशीन और कन्वेयर बेल्ट का आविष्कार किया है।
राजकोट के पास प्रजापति परिवार में पैदा हुए, मनसुखभाई मिट्टी के निर्माताओं के परिवार में बड़े हुए। उन्होंने अपने जीवन की शुरुआत चाय स्टाल से की और कुछ ही दिनों बाद उन्होंने अपनी विरासत में मिले कौशल को निखारते हुए बिना बिजली के चलने वाले एक रेफ्रिजरेटर का निर्माण कर दिया। इस रेफ्रिजरेटर में तीन दिनों तक दूध और सप्ताहभर तक सब्जियों को सुरक्षित रखा जा सकता है। इस रेफ्रिजरेटर को 'मिट्टीकूल' नाम दिया गया है. मनसुखभाई बताते हैं कि जब लोगों को रेफ्रिजरेटर पसंद आया तो मुझे लगा कि मेरा जीवन सफल हो गया।
मिट्टीकूल से लोगों की वाहवाही बटोरने के बाद, मनसुख भाई ने ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा अपने हुनर के लिए सम्मान प्राप्त किया। प्रदर्शनी में उनके काम को देखकर पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने उनकी तारीफ करते हुए उन्हें ग्रामीण भारत का सच्चा वैज्ञानिक कहा था।
आपको बता दें, मनसुखभाई ने सबसे पहले मिटटी प्लेट बनाने का कारोबार करीब 30 हज़ार का ऋण लेकर शुरू किया था, मिट्टीकूल के अलावा उन्होंने मिटटी से कई सारे महत्वपूर्ण और उपयोगी उत्पादों का निर्माण किया है. मनसुखभाई की यह कंपनी दिन प्रतिदिन सफलता के नए आयाम छू रही है और देश-विदेशों में अपना नाम कर रही है |
तो ये थी हमारे तीन मनसुख भाइयों की कहानी, जिनकी रचनात्मक खोजों ने लोगों के मानों को खूब सुख दिया।