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ब्रेक्जिट की पूरी कहानी समझिये। ब्रिटेन के हटने के चलते क्या भारत भी होगा प्रभावित?

Lubna

Ashish Urmaliya ||Pratinidhi Manthan

ब्रेक्जिट दो शब्दों (ब्रिटेन+एग्जिट)से मिलकर बना हुआ है, आइए, पहले ब्रिटेन को समझ लेते हैं।

ब्रिटेनको 'यूनाइटेड किंगडम(UK)' भी कहा जाता है। यूनाइटेड किंगडम या कह लें ब्रिटेन चार छोटे-छोटेदेशों से मिलकर बना एक बड़ा देश है। उन चार देशों का नाम है-

1. इंग्लैंड (England)

2. स्कॉटलैंड (Scotland)

3. वेल्स (Wales)

4. उत्तरी आयरलैंड (NorthernIreland) 

इन्हेंछोटे देश कहने का मतलब ये है, कि यूनाइटेड किंगडम की एक सरकार तो है ही लेकिन इन छोटेदेशों की भी अपनी अलग-अलग सरकार है।

तोये जो यूनाइटेड किंगडम है यह यूरोप महाद्वीप का हिस्सा है। यूरोप महाद्वीप के अंदरयूरोपियन यूनियन(EU) भी है।

ब्रेक्सिटको समझने से पहले हमें यूरोपियन यूनियन को समझना होगा। यूरोप महाद्वीप में जितने भीदेश हैं उनमें से 28 देशों का एक व्यापारिक और राजनैतिक संगठन है जिसे यूरोपियन यूनियन(ईयू) कहते हैं। ब्रिटेन ने ईयू (Europian Union) की सदस्यता 1973 में ली थी, इससेपहले इस संगठन में 27 देश हुआ करते थे।

ब्रेक्सिट क्या है?

दरअसल,यह एक प्रक्रिया है, 'ग्रेट ब्रिटेन के यूरोपियन यूनियन से अलग होने की प्रक्रिया'।साल 2016 में ब्रिटेन ने अपने अंतर्गत आने वाले चारों देशों के नागरिकों से जनमत संग्रहलिया था, कि ब्रिटेन, यूरोपियन यूनियन का सदस्य बना रहे या नहीं। जिसमें 52 फीसदी लोगोंने इस बात पर सहमति जताई थी कि ब्रिटेन को यूरोपियन यूनियन से अलग हो जाना चाहिए। इसीजनमत संग्रह के चलते हाल ही में 31 जनवरी 2020 को ब्रिटेन, यूरोपियन यूनियन से फाइनलीअलग हो गया है। (इतना समय इसलिए लग गया, क्योंकि जब आप किसी एक बड़े समूह से अलग होतेहैं, तो स्वाभाविक सी बात है आसानी से नहीं हो सकते क्योंकि उस समूह में, उसके फैसलोंमें आपका भी योगदान होता है और भी कई बहुत सारी चीज़ें होती हैं जो निपटा कर ही आप अलगहो सकते हैं) यह घटना पूरी दुनिया की सुर्खियां बटोर रही है, यह अपने आप में एक बड़ीघटना है।

31जनवरी के दिन यूरोपीय संघ के सांसदों ने ब्रिटेन की विदाई की अनुमति दी। इस अनुमतिके बाद ब्रिटेन औपचारिक रूप से ईयू से बाहर हो चुका है। भावुक पलों के बीच हुए इस मतदानमें यूरोपीय संघ से जुड़े कुछ सांसदों की आंखें नम पाई गईं। मतदान के बाद चैंबर मेंस्कॉटलैंड का पारंपरिक लोकगीत बजाया गया उसके बाद ब्रिटेन के 73 ईयू सांसदों ने विदाईसमारोह में हिस्सा लिया।

EUके मौजूदा अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयन ने विदाई के वक्त दिए गए अपने भाषण में मशहूरब्रिटिश लेखक जॉर्ज इलियट की लाइनें दोहराते हुए कहा- अलग होने के दुख में ही हम अपनेप्रेम की गहराई देख पाते हैं। उन्होंने सभी ब्रिटेन सांसदों से कहा, हम आपसे बहुत प्यारकरेंगे और आपसे बहुत दूर नहीं होंगे… यूरोप जिंदाबाद।

दरअसल, कुछ लोगों का मानना था,कि ईयू के चलते ब्रिटेन काफी पिछड़ता जा रहा है।

ईयूमें मतदान हुआ, ब्रिटेन के ईयू से अलग होने के पक्ष में 621 वोट पड़े, वहीं अलग न होनेके लिए 49 सांसदों ने वोट किया, इस वोटिंग में ईयू के 13 सांसदों ने हिस्सा नहीं लिया।औरपचारिक विदाई के बाद अब ट्रांजिशन अवधि के रूप में अंतिम प्रक्रिया की शुरुआत होगी।अब ब्रिटेन और ईयू के बीच नए  रिश्ते बनेंगेऔर व्यापारिक व सुरक्षा समझौते होंगे। ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को अब अपनेपुराने 27 साथियों के साथ महत्वाकांक्षी फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर डील करने की कोशिशकरनी होगी। 

इस समझौते का भारत पर क्या असरपड़ेगा?

भारतकी दृष्टि से ईयू और ब्रिटेन दोनों ही अहम हैं क्योंकि दोनों जगहों पर निर्यात करनेपर भारत को काफी विदेशी मुद्रा मिलती है। निश्चित तौर पर दोनों के अलग होने से भारतपर इसका सीधा असर पड़ेगा।

हमाराब्रिटेन के साथ मुफ्त व्यापार सौदा होने के चलते व्यापार और भी बढ़ने की संभवना है।अब तक यूरोप के साथ हमारा मुफ्त व्यापार समझता नहीं हो पा रहा था, लेकिन अब ब्रिटेनके साथ यह समझौता होने की संभवना बढ़ गई है, इसलिए यह अलगाव भारत को लाभ देने वाला होगा।

बैंकऑफ अमेरिका की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ब्रिटेन में निवेश के साथ तकनीकी, साइबर सुरक्षा,रक्षा और फायनेंस में भी बड़ा भागीदार बन सकता है।

भारतके अलावा दुनियाभर के और भी कई देश इस अलगाव से प्रभावित होंगे। क्योंकि इस अलगाव सेपाउंड के भाव गिर जायेंगे, जिसके चलते डॉलर की और मांग बढ़ेगी। इसके चलते पेट्रोल जैसीआवश्यक वस्तुओं की कीमत में भारी इजाफा होगा। लेकिन भारत सबसे अधिक प्रभावित इसलिएहोगा क्योंकि यूरोप भारत का सबसे बड़ा एक्सपोर्ट मार्केट है। भारत के आईटी सेक्टर की16-18 फीसदी कमाई सिर्फ ब्रिटेन से ही होती है।

यात्राओं पर भी पड़ेगा असर-

यूरोपियनयूनियन के अपने अलग नियम और कानून हैं। अर्थात यूरोपियन यूनियन के अंतर्गत जितने भीदेश आते हैं, उनमें एक ही तरह की करेंसी चलती है साथ ही इन देशों के नागरिक बिना किसीवीजा के इन सभी देशों में प्रवेश कर सकते हैं। मतलब अपनी कार लेकर कोई भी व्यक्ति यूरोपियनयूनियन के अंतर्गत आने वाले देश में प्रवेश कर सकता है। नौकरी वगैरह कर सकता है। कुलमिला कर हर रोज अपडाउन भी कर सकता है, वो भी बिना कसी रोक-टोक के। लेकिन अब ब्रिटेनके संघ से अलग हो जाने के चलते ब्रिटेन के लोगों को अन्य यूरोपीय देशों की यात्रा करनेके लिए वीजा लेना पड़ेगा। इसका सीधा असर ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। इसके चलतेब्रिटेन की अर्थव्ययवस्था को काफी नुक्सान झेलना पड़ सकता है।

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