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मलेशिया से टेंशन के बीच, ‘पाम आयल’ का ज़िक्र क्यों आया?

Lubna

AshishUrmaliya || Pratinidhi Manthan

मलेशिया देश ने CAA की आलोचना की, इसके अलावा मलेशिया ने कश्मीर से धारा 370 हटने पर भी भारत सरकार का विरोध किया था। राजनीतिक तनाव के चलते भारत ने मलेशिया से आयात होने वाले 'पाम आयल' पर रोक लगा दी। इसके बाद मलेशिया के प्रधानमंत्री ने एक लाचारी भरा स्टेटमेंट दिया, उन्होंने कहा, "भारत के खिलाफ जवाबी कार्यवाई करने के लिए हम बहुत छोटे देश हैं, इस नुकसान से उबरने के लिए हमें नए रास्ते खोजने पड़ेंगे"। लेकिन इसके बावजूद भी CAA के विरोध वाली बात पर वे अब भी अड़े हुए हैं। बीते सोमवार फिर से उन्होंने CAA की आलोचना की और इसे बेहद अनुचित बताया।  

तनाव का दूसरा कारण- भारत में भारत के खिलाफ भड़काऊ बातें करने वाला और मनी लांड्रिंग मामलों का आरोपी, इस्लामिक धर्मगुरु जाकिर नायक पिछले तीन सालों से मलेशिया में रह रहा है, लेकिन मलेशिया देश अब तक उसे भारत को वापस सौंपने के लिए राजी नहीं हुआ। यह भी एक कारण है, कि भारत मलेशिया से नाराज है।

अब आते हैं पाम आयल पर- 

तो क्या आप सुबह उठकर दन्त मंजन घिसते हैं? या फिर नहाते तो होंगे ही, शैम्पू-साबुन का भी उपयोग करते होंगे। ये भी छोड़िये, नाश्ते में ब्रेड तो जरूर खाई होगी और उस पर मार्जरीन(बाजारू मक्खन) भी लगाया होगा, विटामिन की गोलियां भी कभी न कभी खाई ही होंगी, मेक-अप किया होगा। अगर आप इन सब में से कुछ भी करते हैं, तो आप किसी न किसी रूप में पाम आयल का उपयोग कर रहे हैं।

यहां तक कि हम परिवहन के लिए जिस किसी भी ईधन से चलने वाले वहां का उपयोग करते हैं, उसमें भी पाम आयल मिलाया जाता है। जिसे हम जैविक ईंधन या जैविक फ्यूल भी कहते हैं। देश के कौने-कौने तक बिजली पहुंचाने में भी पाम आयल अपना किरदार निभाता है। इसके साथ ही यह दुनिया का सबसे लोकप्रिय वनस्पति तेल भी है, जिसका उपयोग 50 प्रतिशत से अधिक घरेलू उत्पादों में किया जा रहा है।

अब आंकड़ों पर नजर डाल लेते हैं-

साल 2018 में दुनियाभर में करीब 7.7 करोड़ टन पाम आयल पैदा किया गया। भारत की इस पंचवर्षी योजना के ख़तम होते-होते यानी साल 2024 तक, दुनियाभर में पाम आयल का उत्पादन बढ़कर करीब 11 टन पहुंचने की संभावनाएं हैं।

2019 में सबसे अधिक 43,000 मैट्रिक टन पाम आयल का उत्पादन इंडोनेशिया देश ने किया। पाम आयल उत्पादन के मामले में दुसरे स्थान पर नाम आता है मलेशिया का। 2019 में मलेशिया ने 21000 टन का उत्पादन किया गया। तीसरा ऐसा कोई देश नहीं है जो इतनी अधिक मात्रा में पाम आयल का उत्पादन करता हो। 

भारत जितना भी खाद्य तेलों का आयात करता है उसमें से दो तिहाई केवल पाम आयल है। भारत द्वारा प्रतिवर्ष करीब 90 लाख टन पाम आयल का इस्तेमाल किया जाता है। और ये आयात मलेशिया और इंडोनेशिया दोनों देशों से किया जाता है। कुल जरूरत का 70 फीसदी तेल इंडोनेशिया से और बाकी का 30 फीसदी मलेशिया से आता है।

ज्यादा नुक्सान किसको होगा?

स्वाभाविक सी बता है भारत द्वारा लगाए गए इस प्रतिबंध से मलेशिया को ही ज्यादा नुकसान झेलना पड़ेगा। क्योंकि मलेशिया के कुल निर्यात पर 4.5 फीसदी की हिस्सेदारी पाम आयल की है इसलिए मलेशिया के जीडीपी में भी इसका बड़ा योगदान है। वहीं भारत की बात करें तो, मलेशिया से निर्यात होने वाले 30 फीसदी आयल की भरपाई भारत इंडोनेशिया या फिर किसी अन्य देश से भी कर सकता है।

पाम आयल कैसे बनता है?

हमारी जिंदगी के हर हिस्से तक पहुंच बनाने वाले पाम आयल की खासियत इसकी बनावट है। यह आयल पश्चिमी नस्ल के ताड़ के पेड़ के बीजों से निकाला जाता है जो धुंधले रंग का होता है। 

खासियत यह भी है, कि इसमें कोई महक नहीं होती इसलिए इसे कई तरह के खाद्य पदार्थों के साथ मिलाया जाता है। इसके अलावा इसमें सैचुरेटेड फैट बहुत अधिक होता है। यह बहुत ही उच्च तापमान पर पिघलता है, यही वजह है कि इससे क्रीम, चॉकलेट आदि बनाये जाते हैं।  

रासायनिक बनावट ऐसी होती है, कि यह बहुत ज्यादा गर्म करने पर भी खराब नहीं होता। इसके पेड़ को जलाने के बाद जो राख बनती है उसका इस्तेमाल सीमेंट बनाने में किया जाता है। इसकी खेती उष्णकटिबंधीय इलाकों में ज्यादा सफल होती है। दुनियाभर में लगातार इसकी खेती बढ़ती जा रही है।

जानकारों के मुताबिक, पाम ऑयल का उद्योग बहुत ही बड़ा हो चुका है। मौजूदा वक्त में इसका क़रीब 67 अरब डॉलर का कारोबार है।

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