जालौन(Jalaun) उत्तर प्रदेश(Uttar Pradesh) का प्रमुख जिला है जो राजधानी लखनऊ (Lucknow) से लगभग 220 किमी की दूरी पर है। जालौन(Jalaun) का कालपी तहसील (Kalpi Tehsil) बहुत पुराना है जो यमुना नदी(Yamuna River) के किनारे बसा है। यहाँ पर ऋषि वेदव्यास(Rishi Vedavyasa) का जन्म हुआ था जिन्होंने महाभारत ग्रन्थ की रचना की।
बुंदेलखंड(Bundelkhand) क्षेत्र में स्थित जालौन(Jalaun) अपने गौरवशाली इतिहास, ऐतिहासिक किले और हाथ से बनाए गए कागज़ के उत्पादन के लिए प्रसिद्द है। उत्तर प्रदेश(Uttar Pradesh) के दक्षिण-पश्चिमी भाग(south-western Part) में आने वाला यह जिला झाँसी प्रमंडल(Jhansi Division) के अंदर आता है।
यह जिला तीन नदियों यमुना(Yamuna), बेतवा(Betwa) और पहूज(Pahuj) से घिरा हुआ है। यमुना नदी(Yamuna River) के किनारे कालपी जिले(Kalpi District) का जालौन (Jalaun) सबसे बड़ा और सबसे प्राचीन शहर बन गया। जालौन का ज़िक्र महाभारत काल(Mahabharata period) से ही है। वह के राजा ययाती की चर्चा आज भी ग्रंथों में मिलती है।
ऐसा कहा जाता है कि जिले का नाम ऋषि जलवान(Rishi Jalwan) के नाम पर रखा गया है जो यहाँ प्राचीन काल में रहते थे। जालौन के सबसे पुराने पारंपरिक शासक ययाती थे जिनका ज़िक्र पुराण और महाभारत में सम्राट और महान विजेता के रूप में होता है। जालौन जिले का प्राचीन इतिहास, बुंदेलखंड(Bundelkhand) के इतिहास से निकटता से जुड़ा हुआ है।
यह कई शासकों के उत्थान और विघटन का इतिहास है। इस क्षेत्र पर राज करने की बात की जाए तो बहुत से शासक हुए जिन्होंने जालौन को अपने अधीन रखा। पहले हर्ष वर्धन (Harshavardhana) ने क्षेत्र पर अपना शासन स्थापित किया उनके बाद जालौन को बौद्ध को सोप दिया गया।
फिर तो इस क्षेत्र पर ब्राह्मण(Brahmin), राजपूत(Rajput), चंदेल(Chandel) और मुसलमानों(Muslims) ने राज किया। बुंदेलस(Bundele) ने 14वीं शताब्दी की शुरुआत में जालौन के बड़े हिस्से पर कब्ज़ा कर लिया और कालपी के मज़बूत शासन को सँभालने में सफल भी रहे।
लेकिन इस कब्ज़े की अवधि ज़्यादा नहीं थी जल्द ही दिल्ली(Delhi) के सुलतान ने इसे अपने अधीन कर लिया। 1583 में अकबर(Akbar), अब्दुल मटकाल खान(Abdul Matkal Khan) के मेहमान बन कालपी आए। 1671 में अकबर के गवर्नरों ने अपने विद्रोह पर यमुना के दक्षिण में एक बड़ा प्रांत कब्ज़ा लिया उसके बाद मराठों की सहायता से पुरे बुंदेलखंड को अपने अधीन कर लिया।
1806 में कालपी(Kalpi) की स्थापना अंग्रेज़ों के लिए हुई थी। 1856 तक ब्रिटिश(British) जिले की सीमाएं काफी हद तक बस गई थीं। फिर 1857 का संग्राम हुआ जिसमें जालौन में बहुत हिंसा का दृश्य देखने को मिला। आज़ादी के बाद बाकी क्षेत्रों के साथ जालौन भी अखंड भारत का हिस्सा बन गया।
उत्तर प्रदेश का जिला जालौन पहले मराठा गवर्नर का निवास था लेकिन जिला मुख्यालय उरई(Orai) में है। कानपुर झाँसी एनएच 27(Kanpur Jhansi NH 27) पर स्थित जालौन में घूमने की बहुत सारी जगह है। ऐतिहासिक रूप में महत्वपूर्ण इस जिले के पास पर्यटकों को देने के लिए बहुत से सुंदर दृश्य, अद्भुत महल व मंदिर मिलेंगे।
1) यमुना घाट:- जालौन शहर का सुंदर यमुना घाट(Yamuna Ghat) कालपी(Kalpi) में स्थित है। यह नगर यमुना के किनारे बसा हुआ है। इस नगर में बहुत प्राचीन मंदिर और यमुना नदी के सुंदर दृश्य है। कालपी की सुंदरता में यमुना घाट का बहुत योगदान है।
यहाँ प्राचीन कपिलेश्वर मंदिर(Kapileshwar Temple) है जो घाट की तरफ जाने के रास्ते में आता है। यह मंदिर शिव भगवान को समर्पित है और इसकी रचना प्राचीन काल में हुई थी। इस मंदिर की रचना बहुत सुंदर है और इसकी नक्काशी भी देखने लायक है जहाँ आ कर आप शिव भगवान के दर्शन कर सकते है।
2) लंका मीनार:- जालौन का ऐतिहासिक स्थल लंका मीनार(Lanka Tower) कालपी के पास स्थित है। इस मीनार की स्थापना लंका नरेश रावण(lanka king ravana) की याद में करवाई गई थी जो दिखने में बहुत सुंदर है। बुंदेलखंड(Bundelkhand) में सबसे ऊँची इमारतों में से एक लंका मीनार का निर्माण 18वीं शताब्दी में हुआ था।
इस मीनार में आपको लंकापति रावण(Lankapati Ravana) की मूर्ति देखने को मिल जाएगी। लंकापति की मूर्ति के अलावा यहाँ बहुत सुंदर-सुंदर मूर्तियाँ स्थापित है। मंदिर परिसर में शिव जी का मंदिर है जिसमें शिवलिंग विराजमान है।
3) माँ वनखंडी देवी शक्ति पीठ:- जालौन जिले का मुख्य धार्मिक स्थल माँ वनखंडी देवी शक्ति(Maa Vankhandi Devi Shakti Peeth) कालपी में स्थित है। इस शक्ति पीठ को कालपी धाम(Kalpi Dham) के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर बहुत प्राचीन है और वनखंडी देवी आदिशक्ति माता का स्वरूप है। इस मंदिर को लेकर बहुत सारी कहानियाँ लोकप्रिय हैं।
क्योंकि यह मंदिर कालपी के जंगलों में है और पहले के समय में जंगल और घने हुआ करते थे, यह मंदिर एक टीले के निचे दबा हुआ था। तब एक बार एक ग्वाले की नज़र इस मंदिर पर पड़ी और फिर इस मंदिर को खोद कर निकाला गया।
इस मंदिर में लोग वनखंडी माता(Vankhandi Mata) और शिव शंकर(Lord Shiva) जी के दर्शन के लिए आते है। यह मंदिर मुख्य हाईवे से कुछ ही दूर पर है तो निजी साधन, टैक्सी या गाड़ी बुक कर के आने में आसानी होती है।
4) महिला तालाब:- जालौन के उरई में स्थित महिला तालाब(Mahila Talab) इस शहर का सुंदर स्थल है जिसके बीच में टापू बना हुआ है। तालाब के चारों तरफ लगे पेड़-पौधे और सुंदर नज़ारे तालाब की खूबसूरती को और बढ़ाते है। इस तालाब के किनारे एक छोटा सा मंदिर भी है जहाँ शिव भगवान स्थापित है।
जालौन जाने के लिए हवाई, रेल और सड़क तीनों मार्ग से जाया जा सकता है।
क्योंकि जालौन का खुद का कोई हवाई अड्डा(Airport) नहीं है इस लिए नज़दीकी हवाई अड्डा कानपुर एयरपोर्ट या ग्वालियर एयरपोर्ट तक हवाई यात्रा कर के टैक्सी या निजी साधन से जालौन जाया जा सकता है।
जालौन का सफर रेल मार्ग से तय करने की बात हो तो जालौन का रेलवे स्टेशन उरई है जो रेल के माध्यम से पुरे देश से जुड़ा है।
सड़क का रास्ता चुने तो यहाँ का रास्ता देश के बड़े-बड़े शहर से जुड़ा है तो बस या निजी साधन से आने में कोई परेशानी नहीं होगी।
यहाँ पर लौ-बजट से हाई-बजट, सभी प्रकार के होटल मौजूद है जिसे अपनी सुविधा के अनुसार बुक किया जा सकता है।