Ashish Urmaliya ||Pratinidhi Manthan
CAAऔर NRC के बीच चल रहे घमासान के बीच सरकार ने NPR लाने की तैयारी शुरू कर दी है। जोलोगों के लिए चर्चा का एक नया विषय बन चुका है। एक ओर लोग जानना चाहते हैं, कि NPRहै क्या इसका फुल फॉर्म क्या होता है, वहीं दूसरी ओर ये भी जानना चाहते हैं कि यहNRC से अलग कैसे है?
CAAयानी नागरिकता संसोधन कानून और NRC यानी भारतीय राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के कॉम्बोको लेकर देशभर में हो रहे प्रदर्शनों के बीच मोदी सरकार ने NPR यानि नेशनल पॉपुलेशनरजिस्टर पर काम शुरू कर दिया है। इसी हफ्ते होने वाली केबिनेट की बैठक में NPR के नवीनीकरणको हरी झंडी दी जा सकती है। तो यहां सवाल खड़ा होता है, कि What is NPR (आखिर NPR हैक्या)? तो आइये जानते हैं-
यहएक राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर है जिसके अंतर्गत देश की जनगणना की जाएगी। इस पर अभीकाम शुरू हुआ ही है कि इसका विरोध भी शुरूहो गया है। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के मुखिया असदुद्दीन ओवैसीने तो इसके भरी नुकसान गिनाने भी शुरू कर दिए हैं। केरल और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यभी इसका खुलकर विरोध कर रहे हैं। साथ ही इससे जुड़ी कई तरह की अफवाहें भी फैलनी शुरूहो गई हैं। ऐसे में इसकी पूरी और सही जानकारी होना आपके लिए अति आवश्यक है।National Population Register। हिंदी में कहें, तो राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर जनगणनाकरने की एक प्रक्रिया है। इसके तहत 1 अप्रैल 2020 से लेकर 30 सितंबर 2020 तक देश केसभी नागरिकों का डेटाबेस तैयार किया जायेगा। देशभर में घर-घर जाकर जनगणना की जाएगी।इस व्यवस्था के तहत सभी नागरिकों की बायोमीट्रिक जानकारी भी जमा कराई जाएगी।
जिन लोगों के मन में इसको लेकरसवाल खड़े हो रहे हैं, वो हैं-
पहला सवाल- क्या यह NRC का दूसरारूप है?
असद्दुदीनओवैसी के अनुसार NPR एनआरसी का ही दूसरा रूप है। उनके अनुसार "यह NRC लागू करनेकी दिशा में उठाया गया पहला कदम है। सरकार गुप्त रूप से NRC लागू करने की योजना बनारही है। NPR के माध्यम से भारत में रह रहे आम निवासियों का मिलान किया जायेगा। जो लिस्टतैयार होगी, पहले उसे स्थानीय अधिकारी सत्यापित करेगा फिर जो संदिग्ध लोग होंगे उन्हेंअलग कर के मसौदा सूची प्रकाशित होगी। इसके अलावा उनका यह भी आरोप है, कि NPR लोगोंका निजी डेटा भी इकठ्ठा करेगा। आपको पहले ही बता दें, ये ओवैसी साहब का निजी गणित है।
दूसरा सवाल- NPR और NRC में फर्कक्या है?
NRCका मकसद उन लोगों की पहचान करना है जो भारत के नागरिक नहीं हैं, लेकिन फिर भी भारतमें रह रहे हैं। जबकि NPR का मकसद 6 महीने या उससे अधिक समय से भारत में रह रहे नागरिकोंकी लिस्ट तैयार करना है। कहने का मतलब, भले ही NRC के हिसाब से कोई व्यक्ति भारत कानागरिक नहीं है और 6 महीने या उससे ज्यादा समय से यहां रह रहा है उसकी भी गिनती होगी।कुल मिलाकर सरकार को देश में रह रहे प्रत्येक व्यक्ति का डाटा चाहिए। इन दोनों मेंएक और फर्क है, NRC के अंतर्गत व्यक्ति को अपनी नागरिकता सिद्ध करने के लिए जरूरी दस्तावेजप्रस्तुत करने होते हैं, जबकि NPR में कोई खास दस्तावेज नहीं मांगे जाते। साधारण भाषामें कहें, तो यह केवल जनगणना है (देश में रह रहे लोगों की गिनती)।
ये योजना आई कहां से?
जबदेश की संसद में NRC को लेकर बहस छिड़ी हुई थी, तब कांग्रेस ने इसका खींचकर विरोध किया।तब अमित शाह ने साफ किया, कि यह उनकी योजना नहीं है, इसकी शुरुआत कांग्रेस ने ही कीथी। हमारी सरकार बस उस योजना को पूरा करने का बीड़ा उठा रही है। और अब जब NPR पर बहसशुरू हुई तो फिर से यही सवाल उठ रहा है, कि आखिर इस योजना की शुरुआत किसने की? क्याये मोदी सरकार द्वारा हाल फिलहाल ही शुरू की गई है? जवाब है, कि इस योजना की शुरुआत2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार द्वारा कीगई थी। उस वक्त साल 2011 की जनगणना के पहलेइस पर काम शुरू किया गया था। और अब 2021 में होने वाली जनगणना के पहले इस पर काम शुरूहोने की तैयारी शुरू हो चुकी है। फर्क सिर्फ इतना है कि उस वक्त इसे कांग्रेस सरकारलागू करना चाहती थी लेकिन अब मोदी सरकार लागू करना चाहती है।
अब आप इसे संयोग कह लें या कुछभी लेकिन इस जनगणना से मोदी सरकार को NRC लागू करने में तो भारी सहायता मिलने वालीहै।