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‘रंगा-बिल्ला’ शब्द आपने बहुत सुना होगा, कौन थे ये जिन्होंने पीएम तक को टेंशन दे दी थी।

Lubna

AshishUrmaliya || Pratinidhi Manthan

देश के पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम की ओर से केस लड़ने वाले नामी वकील 27 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में अपनी दलीलें पेश कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने जवाब देते हुए कहा, कि क्या चिदंबरम रंगा-बिल्ला हैं जो उन्हें जमानत नहीं मिल सकती? इसके अलावा, आपने अक्सर दो मित्रों की जोड़ी को लोगों द्वारा रंगा-बिल्ला के नाम से संबोधित करते हुए अक्सर देखा-सुना होगा। तो आपको बता दें, रंगा-बिल्ला कोई काल्पनिक चरित्र नहीं बल्कि वास्तविक हैं।

येदोनों भारत के कुख्यात अपराधियों में से एक थे। इनका गुनाह इतना बड़ा था, कि उसने पूरेदेश को हिला दिया था और इनके गुनाह ने विदेशों में भी खूब सुर्खियां बटोरी थीं। तोआइये जानते हैं कौन थे रंगा-बिल्ला?

बात 1978 की है।

साल1978 में रंगा और बिल्ला ने भारतीय नौसेना के अधिकारी मदन चोपड़ा के बच्चों संजय औरगीता चोपड़ा का अपहरण कर लिया था। और अपहरण के एक दिन बाद दोनों की हत्या भी कर दी।इन हत्याओं ने दिल्ली समेत पूरे देश को हिला कर रख दिया था। और इसकी चर्चा विदेशोंतक में हुई थी।

रंगाका असली नाम कुलजीत सिंह और बिल्ला का असली नाम जसबीर सिंह था। जिस समय इन्होंने गीताऔर संजय नाम के बच्चों को मारा था उस समय उनकी उम्र बेहद कम थी। गीता 16 साल की थीऔर संजय महज 14 का। रंगा-बिल्ला द्वारा यह अपहरण सिर्फ फिरौती के लिए किया गया था,लेकिन जब इन्हें पता चला कि बच्चों के पिता नेवी के बड़े अधिकारी हैं, तो इन्होने दोनोंबच्चों की हत्या कर दी।

26अगस्त 1978 के दिन अपहरण किया और ठीक दो दिन बाद ही यानी 28 अगस्त को बच्चों की हत्याकर दी और इसी दिन उनके शव भी बरामद कर लिए गए थे। केस के मीडिया में उछाल मारते हीपुलिस ने काम में तेजी दिखानी शुरू कर दी। पूरे देश में रंगा-बिल्ला का फोटो जारी करदिया गया।

प्रधानमंत्री भी सख्ते में आगए थे।

केसइतना हाई प्रोफाइल बन चुका था, कि प्रधानमंत्री को खुद इस मामले में जांच और कार्यवाईके आदेश देने पड़े थे। उस समय इस केस को लेकर उनकी सरकार द्वारा की गई कार्यवाई की खूबआलोचना भी हुई थी और इसी भारी आलोचना के चलते उसी साल हुए लोकसभा चुनावों में उनकीपार्टी को हार का सामना करना पड़ा था।

कुछ रिपोर्ट्स में गीता के रेपका दावा किया गया था।

उसवक्त कुछ मीडिया रिपोर्ट्स ने यह भी दावा किया था, कि गीता के साथ रंगा बिल्ला ने रेपकिया था। हालांकि आधिकारिक रिपोर्ट में इस बात को नकार दिया गया था।

8 सितंबर 1978 को हुए थे गिरफ्तार-

येदोनों देश में यहां-वहां छिपने की कोशिश कर रहे थे, पुलिस लगातार इनको ढूंढने की कोशिशकर रही थी। ये आगरा, उत्तरप्रदेश में तब पकड़े गए, जब ये कालका मेल ट्रेन के उस डिब्बेमें चढ़ गए, जो सैनिकों के लिए आरक्षित था। एक सैनिक ने अखबाद में छपी उनकी फोटो सेदोनों को पहचान लिया और फिर ये गिरफ्तार कर लिए गए। 

बच्चों के नाम से वीरता पुरूस्कारदिया जाता है।

4साल तक इस केस की सुनवाई चली, इस बीच दोनों में से किसी को भी जमानत नहीं दी गई औरअंत में साल 1982 में रंगा-बिल्ला को फांसी दे दी गई।सरकार ने नौसेना अधिकारी के दोनोंबच्चों गीता और संजय के नाम से वीरता पुरस्कार की शुरुआत का ऐलान कर दिया। जिसका आयोजनहर साल किया जाता है।  

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