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इंटरनेट पर उब्लब्ध अश्लील सामग्री पर कब रोक लगाएगी सरकार?

Lubna

Ashish Urmaliya ||Pratinidhi Manthan

या तो सरकार इंटरनेट पर उपलब्धअश्लील कंटेंट को पूरी तरह से प्रतिबंधित करे या फिर पूरी तरह से वैध।

जोबहसी, दरिंदे रेप जैसा जघन्य अपराध करते हैं। कहा जाता है, वो अनपढ़ होते हैं उन्हेंदुनियादारी का कोई नॉलेज नहीं होता। उनकी परवरिश अच्छे संस्कारों के साथ नहीं होती।उन तक इंटरनेट की पहुंच नहीं होती।

मैंये मानता हूँ, अनपढ़ होते हैं, किताबी ज्ञान हो भी मगर मासिक रूप से अनपढ़ होते हैं।लेकिन ये बात कतई सत्य नहीं है कि उनकी इंटरनेट तक पहुंच नहीं है। हर एक के पास मोबाइलथा। और ऐसे लोग इंटरनेट का उपयोग अच्छी चीज़ों की जगह अश्लील चीज़ों के लिए करते हैं।ये दरिंदे पॉर्न की हर एक केटेगरी से वाकिफ होते हैं। और हां ऐसे दरिंदों को दुनियादारीकी भी सब खबर होती है…. दिल्ली की निर्भया जैसा मामला न बने इसके चलते इन दरिंदोंने हैदराबाद की निर्भया को जिन्दा नहीं छोड़ा, आग के हवाले कर दिया।

हैदराबादपुलिस ने एनकाउंटर कर दिया, हर एक बड़ी रेप घटना के बाद लोग कैंडल मार्च निकालते हैं।कुछ वारदातों में पुलिस अपराधियों को थर्ड डिग्री टॉर्चर भी देती है। इसके वीडियो भीसोशल मीडिया पर वायरल हैं। लेकिन इसके बाद भी अपराधियों की इस जघन्य अपराध को अंजामदेते हुए रूह नहीं कांपती।

तो फिर इन वारदातों के पीछे औरअन्य क्या कारण हो सकते हैं?

एक बड़ा कारण इंटरनेट पर उपलब्धअश्लील कंटेंट भी है!

यहभी प्रमुख कारणों में से एक है, लेकिन इस पर न सियासत, न समाज सुधारक मंच और ना हीकोई मीडिया संस्थान कभी सवाल उठाता है। अश्लीलता का यह कारोबार वासना को आत्मघाती बनाताजा रहा है। फ्री डाटा अच्छी बात है, लेकिन लोगों द्वारा उसका सही इस्तेमाल किया जानाभी जरूरी है और जब हमें पता है, कि हमारे समाज में अपंग मानसिकता वाले लोगों की भरमारहै, ये नहीं सुधरेंगे, तो फिर इस तरह के कंटेंट को पूरी तरह प्रतिबंधित क्यों नहींकिया जा रहा जो आसानी से इंटरनेट पर उपलब्ध है और हर वर्ग के लोगों की इस तक आसान पहुंचहै।

हवस की पराकाष्ठा देखिये-

हैदराबादकी घटना के बाद महज तीन दिन में करीब 80 लाख लोगों ने पॉर्न साइट्स पर हैदराबाद गैंगरेपको सर्च किया। यह बात हमारे समाज में व्याप्त जहरीली मानसिकता का सबूत है।

यह वीडियो इतना सर्च क्यों कियागया, जो था भी नहीं-

क्योंकिइस तरह की मानसिकता के कई लोग यह घिनोना कृत्य करके उसका वीडियो पॉर्न साइट्स पर अपलोडकरते हैं या कह लें बेचते हैं और पैसा कमाते हैं। देश में यह कारोबार जारी है और खूबफलफूल रहा है लेकिन प्रशासन इसका कुछ नहीं कर पा रहा है।

इफ डाटा इस अ न्यू फ्यूल देनपॉर्न इस इंटरनेट्स इंजन-

जहांएक तरह इंटरनेट ने व्यापार को पंख लगा दिए हैं। ज्ञान के आदान-प्रदान को आसान बना दियाहै वहीँ दूसरी ओर इसका एक भयावह पहलू भी है। पूरे इंटरनेट पर 30 से 35 फीसदी पॉर्नोग्राफिककंटेंट मौजूद है। सस्ते डाटा और आसान एक्सेस ने 10 रूपए का रिचार्ज करा सकने वालोंतक के दिमाग में यह गंदगी घुसेड़ दी है। दूरदराज इलाकों में जहां इंटरनेट की कम पहुंचहै वहां भी यह जहर फैल चुका है।

देशके हर राज्य में योन अपराधों के वीडियो बना कर अपलोड किये जाने और अपलोड की धमकी देकरदुष्कृत्य करने की बातें आम सी हो चली हैं। इस तरह की वारदातें लगातार बढ़ती जा रहीहैं। इसके साथ ही किस राज्य में कौन सा मामला हुआ, वहां किस दल की सरकार थी या फिरये कृत्य किस धर्म के व्यक्ति द्वारा किया गया, इस पर सियासत बढ़ रही है। लेकिन सहीमायने में इन अपराधों को रोकने को लेकर कोई भी चिंतित  नहीं है। यह भयावह है।

अबआप सोच रहे होंगे पॉर्न तो बेन है इंडिया में। तो आपको बता दें, सिर्फ नाम के लिए,आपको भी ये बात पता होगी। 99 प्रतिशत पॉर्नोग्राफिक सामग्री आसानी से उपलब्ध है भारतमें। इस पर रोक लगनी जरूरी है।

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