News

मध्यप्रदेश के तीन लड़के दिल्ली तक का सफर साईकल से तय कर रहे हैं, कारण क्या है?

Lubna

Ashish Urmaliya ||Pratinidhi Manthan

बीतेसोमवार को यानी 8 दिसंबर के दिन, मध्यप्रदेश के सतना जिले से 5 युवा दिल्ली के लिएरवाना हुए। जिनमें से 3 युवा साईकल द्वारा दिल्ली की यात्रा तय कर रहे हैं। कारण जानेंगे,उससे पहले जान लेते हैं कि सतना से दिल्ली की दूरी कितनी है। अगर ये युवा नेशनल हाइवे19 के रस्ते भी ये सफर तय करेंगे तो इन्हें साईकल से करीब 755 किलोमीटर का सफर करनापड़ेगा।

जोयुवा साईकल से दिल्ली तक का सफर कर रहे हैं उनका नाम है-  अंकित शर्मा, रोहित सिंह दिनोदिया और प्रदीप कुशवाहाइसके अलावा इनके दो अन्य साथी दिल्ली के लिए रवाना हुए हैं जिनका नाम है- सूर्य प्रकाशगुप्ता और रावेंद्र सिंह।

पिछले दिनों आपने देखा होगा, देश में हुई रेप की घटनाओं को लेकर जम कर विरोध प्रदर्शन हुआ, देशभर के लोगों में आक्रोश देखा गया। बहुत से लोग अपने अपने तरीके से इन घिनोने कृत्यों का विरोध करते दिखाई दिए। किसी ने कैंडल मार्च निकाली, कुछ लोगों ने उन्नाव केस के चलते यूपी विधानसभा का घेराव करने की कोशिश की, हैदराबाद, उन्नाव की घटनाओं के बाद कई लोगों ने दिल्ली संसद का घेराव करने की कोशिश की, जंतर मंतर में प्रदर्शन किया,  अनशन करने की कोशिश की,  प्रदर्शन के दौरान कुछ लोगों पर पुलिस द्वारा लाठी चार्ज भी किया गया. महाराष्ट्र के एक डॉक्टर साहब थे, जो हेयर ट्रिमर लेकर सड़कों पर निकल गए थे और लोगों से उन्होंने अनुरोध किया था, कि अगर आप इन रेपों का विरोध करते हैं और अपराधियों के लिए जल्द से जल्द ठोस सज़ा का समर्थन करते हैं तो ट्रिमर से मेरे सिर के बाल काटते जाइये, ये काफी वक्त तक ट्विटर पर ट्रेंड भी हुए थे। और भी अन्य कई लोग हैं जो अपने- अपने तरीके से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

इसीतरह मध्यप्रदेश के सतना जिले के निवासी ये युवा भी इन जघन्य अपराधों का एक अलग ही तरीकेसे विरोध कर रहे हैं। ये युवा सतना से दिल्ली तक का सफर साईकल के माध्यम से करने निकलपड़े हैं। इन युवाओं ने दिल्ली पहुंचकर अपनी बात सरकार के समक्ष रखने का निश्चय कियाहै। इनका कहना है, कि "हम सभी देख रहे हैं, देशभर में महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं,बहनों के साथ रेप जैसी घटनाएं आये दिन सामने आ रही हैं। सबसे शर्मनाक बात तो यह है,कि जो लोग हैवानियत करते हैं उनके खिलाफ रिपोर्ट भी दर्ज नहीं की जाती है और कर भीली गई, तो पीड़ितों को न्याय मिलने में बहुत ज्यादा वक्त लग जाता है और ज्यादातर मामलोंमें न्याय भी नहीं मिलता। इसके चलते बहनें, महिलाएं अंदर ही अंदर से और भी ज्यादा टूटजाती हैं। जैसे आपने निर्भया और उन्नाव केस में देखा, किस तरह हमारी बहनों को सालोंकी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ रही है। इससे उन दरिंदों का हौसला और भी बुलंद होता है।

हमारीइस यात्रा का उद्देश्य उन्हीं बहनों के हक़ के लिए खड़ा होना है। दरिंदों को जल्द सेजल्द फांसी हो और हमारी पीड़ित बहनों को जल्द से जल्द न्याय मिले। और ऐसा कड़ा कानूनबनाया जाये, कि फिर इस तरह का दुस्साहस कोई और न कर सके।"

झांसी के अस्पताल में भीषण आग, नवजात शिशुओं की दर्दनाक मौत से मातम का माहौल

रतन टाटा: एक महानायक की यात्रा (1937 - 2024)

महालक्ष्मी व्रत कथा

सफला एकादशी (पौष कृष्ण एकादशी)

मोक्षदा एकादशी (मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी)