Ashish Urmaliya || The CEO Magazine
केंद्र सरकार लगातार एक के बाद एक फैसले ले रही है या कह लें चौतरफा बदलाव का काम जारी है, प्लास्टिक बैन हो, ट्रैफिक रूल्स में बदलाव हो या इकॉनमी में स्लो डाउन, हर क्षेत्र में फास्ट मोड पर काम जारी है। अब मोदी सरकार देशभर में बिजली सुधार को लेकर बड़े कदम उठाने जा रही है। यह सरकार का बिजली सुधार का दूसरा चरण होगा। बिद्युत विभाग के मंत्री आर. के. सिंह ने एक न्यूज़ एजेंसी से ख़ास बातचीत में बताया है, कि अगर ग्राहकों को 24 घंटे बिजली नहीं मिलती है या फिर लोकल लेवल की समस्याओं का निदान तुरंत नहीं किया जाता है तो जो बिजली डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियां है उन्हें ग्राहकों को जुर्माना देना होगा। इसके साथ ही देशभर के सभी विद्युत ग्राहकों को अपने घरों में प्रीपेड/स्मार्ट मीटर लगाना अनिवार्य होगा।
स्मार्ट मीटर लगने से क्या फायदा होगा?
हर घर में स्मार्ट मीटर होने से ग्राहकों को बिजली बिल भेदभाव की समस्याओं से समाधान मिलेगा। और इसके साथ ही बिजली कंपनियों को भी सही समय पर पैसा मिल जाएगा।
– बिजली की खपत में ग्राहकों का आत्म नियंत्रण होगा। आप जरूरत के अनुसार मीटर को ऑन एंड ऑफ कर सकेंगे।
– बिजली बिल भरने के लिए सरकारी दफ्तर जाने या फिर ऑनलाइन मसक्कत नहीं करनी पड़ेगी। यह मीटर मोबाइल मीटर की तरह ही रिचार्ज होगा।
– साथ ही कंपनियों की भी बिजली बिल बांटने और वसूलने की झंझट खत्म हो जाएगी। इस कदम से कंपनियों के नुक्सान में भी कमी आएगी। और सबसे बड़ी बात बिजली चोरी पर अंकुश लगेगा। (यह खबर बिजली चोरों के हिट में बिलकुल भी नहीं है)
बताते चलें, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल, चंडीगढ़ी सहित अन्य कई राज्यों में स्मार्ट मीटर पर काम हो भी चुका है।
मीटर लगाने का जिम्मा इस कंपनी ने लिया है!
देशभर में स्मार्ट मीटर लगाने की जिम्मेदारी केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के अधीन काम करने वाली कंपनी एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड(EESL) को दिया गया है। पिछले ही महीने बिजली कंपनी और EESL के बीच इससे जुड़ा करार हुआ है। इस करार के बाद उपभोक्ताओं के घरों में स्मार्ट मीटर लगाने से पहले
उसका ट्रायल लेने का फैसला लिया गया है।
बिजली की दरें-
जब विद्युत मंत्री से बिजली दरों से जुड़ा हुआ सवाल पुछा गया, तब उनका जवाब था कि हमने इन्हें युक्तिसंगत बनाने के लिए कदम उठाया है। हमने व्यवस्था की है कि देश में जो सबसे कुशल बिजलीघर हैं, जहां अपेक्षाकृत बिजली उत्पादन लागत कम है और अधिक मात्रा में बिजली उपलब्ध है। बिजली कंपनियां पहले वहां से बिजली की आपूर्ति करेंगी। और यह बिजली खरीद समझौते(पीपीए) में शामिल किया गया है। फिलहाल यह व्यवस्था सरकारी बिजलीघरों के लिए लागू की गई है। लेकिन जल्द ही यह व्यवस्था सभी बिजलीघरों के लिए लागू की जाएगी।