Ashish Urmaliya ||Pratinidhi Manthan
भारतीयसंविधान के अनुसार, मौजूदा चीफ जस्टिस द्वारा अपने उत्तराधिकारी के नाम की शिफारिशकरने की परंपरा है। अगले महीने की 17 तारीख को भारत के मौजूदा मुख्य न्यायाधीश रंजनगोगोई रिटायर हो रहे हैं। और रंजन गोगोई ने सरकार को अपने उत्तराधिकारी के रूप मेंजस्टिस शरद अरविंद बोबडे का नाम सुझाया है। सरकार की तरफ से भी जस्टिस शरद अरविंद बोबडेके नाम पर सहमति दे दी गई है। 17 को गोगोई रिटायर होंगे और 18 को जस्टिस बाबड़े भारतके मुख्य न्यायाधीश की सपथ लेंगे।
आपकोबता दें, जस्टिस शरद अरविंद बोबडे वही जज हैं जिन्होंने आधार की अनिवार्यता को ख़त्मकरने जैसे कई महत्वपूर्ण फैसले किये हैं। एक समय सरकार द्वारा हर क्षेत्र में आधारको अनिवार्य कर दिया था तभी मुख्या न्यायलय की एक पीठ ने(जिसका हिस्सा बोबडे) फैसलादिया था कि आधार कार्ड न होने की स्थिति में किसी भारतीय नागरिक को मूल सेवाओं और सरकारीसब्सिडी से वंचित नहीं किया जा सकता। इसके पहले जस्टिस बोबडे ने पूर्व मुख्य न्यायाधीशटी.एस. ठाकुर और जस्टिस ए. के. सीकरी के साथ सभी प्रकार के पटाखों की बिक्री और स्टॉकिंगपर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था। पटाखों बनाने वाली फैक्ट्रियों को नए लाइसेंस देनेपर रोक लगाने के साथ ये देश हित में कई महत्वपूर्ण फैसले सुना चुके हैं।
आनुवांशिकविकार 'डाउन सिंड्रोम' से पीड़ित अपने भ्रूण को समाप्त करने के लिए एक महिला ने याचिकादायर की थी लेकिन जस्टिस बोबडे ने उस याचिका को यह कहते हुए ख़ारिज कर दिया था, कि भ्रूणकी जिंदगी करने का आपको कोई अधिकार नहीं है।
राम जन्म भूमि विवाद के मामलेसे भी जुड़े हैं-
जस्टिसअरविंद बोबडे हाल ही में चल रहे राम जन्म भूमि से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट कीस्पेशल बेंच में शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट का जज होने साथ ही वे 'महाराष्ट्रा लॉ यूनिवर्सिटी'के चांसलर भी हैं। बता दें, जस्टिस बोबडे मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीशभी रह चुके हैं।
मुक़दमेपहले मध्यस्थता पर जोर-
होनेवाले नए मुख्य न्यायाधीश मुक़दमे से पहले मध्यस्थता की जरूरत पर जोर देने के लिए जानेजाते हैं। उनके अनुसार, लोगों को जल्द से जल्द न्याय मिलना चाहिए और इसके लिए मध्यस्थताको कानूनी सहायता प्रणाली की तरह इस्तेमाल किया जाना चाहिए। 17वीं अखिल भारतीय मीटऑफ स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी के एक उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए इन्होंनेने कहा था कि 2017 से 2018 के बीच मध्यस्थता के माध्यम से 1,07,587 मामलों का निपटाराकिया गया।