"भारतीय इतिहास" में एक महत्वपूर्ण भूमिका रखने वाला झाँसी, रानी लक्ष्मीबाई की वीरता और साहस के लिए पुरे देश में मशहूर है। 
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"भारतीय इतिहास" में एक महत्वपूर्ण भूमिका रखने वाला झाँसी, रानी लक्ष्मीबाई की वीरता और साहस के लिए पुरे देश में मशहूर है।

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यह उत्तर प्रदेश(Uttar Pradesh) और मध्य प्रदेश(Madhya Pradesh) की सीमा पर बसा हुआ शहर है जो बुंदेलखंड(Bundelkhand) क्षेत्र के अंदर आता है। झाँसी(Jhansi) एक प्रमुख सड़क और रेल केंद्र है और झाँसी जिले का प्रशासनिक केंद्र भी है। पत्थर से निर्मित झाँसी किले(Jhansi Fort) के चारों तरफ बसी झाँसी(Jhansi), पहले बलवन्त नगर के नाम से जानी जाती थी।

झाँसी किला शहर के मध्य स्थित बँगरा पहाड़ी पर निर्मित है। उत्तर प्रदेश(Uttar Pradesh) में 20.7 वर्ग किलोमीटर में फैली झाँसी पर पहले चन्देल राजाओं का शासन था।

झाँसी का महत्व 17वीं शताब्दी में ओरछा(Orchha) के राजा बीर सिंह(Raja Veer Singh) के शासन कल में बड़ा जब उन्होंने और उनके उत्तराधिकारिओं ने बहुत सी ऐतिहासिक इमारतों का निर्माण करवाया। पन्ना के महाराज छत्रसाल बुंदेला(Maharaj Chhatrasal Bundela) एक अच्छे प्रशासक और एक बहादुर योद्धा थे। मोहम्मद खान बंगाश(Mohammad Khan Bangash) ने 1729 में छत्रसाल पर हमला कर दिया जिसमें पेशवा बाजीराव(Peshwa Bajirao) (1) ने उनकी मदद की और मुग़ल को हरा दिया।

आभार के रूप में महाराज ने अपने राज्य का हिस्सा मराठा पेशवा को भेंट कर दिया और झाँसी(Jhansi) को इस भाग में शामिल कर लिया। बुंदेलखंड(Bundelkhand) का गढ़ माने जाने वाले झाँसी का इतिहास संघर्ष से भरा हुआ है।

में रानी लक्ष्मीबाई(Rani Lakshmi Bai) ने अंग्रेज़ों को अपनी झाँसी ना दे कर उनका विरोध करना सही समझा। और आज़ादी और संघर्ष की इस लड़ाई में वह शहीद हो गई।

झाँसी का इतिहास

17वीं शताब्दी झाँसी के इतिहास का महत्वपूर्ण वक्त है। 1729 में मोहम्मद खान बंगाश को हराने के बाद महाराज छत्रसाल ने पेशवा से मिली सहायता पर उन्हें अपने राज्य का हिस्सा भेंट कर दिया और साथ ही झाँसी को छत्रसाल साम्राज्य में शामिल कर लिया। 1766 में विश्वास राव लक्ष्मण(Vishwas Rao Laxman) को 3 साल के लिए झाँसी का सुबेदार बना दिया गया।

1769 में उनकी अवधि समाप्त होने के बाद रघुनाथ राव नेवलकर(Raghunath Rao Newalkar) को झाँसी का सुबेदार बना दिया गया। रघुनाथ राव एक सफल सुबेदार थे जिन्होंने महालक्ष्मी मंदिर और रघुनाथ मंदिर का निर्माण करवाया। अपने रहने के लिए उन्होंने एक सुन्दर इमारत का निर्माण करवाया जिसको रानी महल के नाम से जाना जाता है।

फिर 1796 में रघुनाथ राव(रघुनाथ राव) के छोटे भाई शिवराव हरि सुबेदार(Shivrao Hari Subedar) बना दिए गए। शिवराव की मृत्यु के बाद रामचंद्र राव(Ramachandra Rao) और फिर रघुनाथ राव(Raghunath Rao) को झाँसी की सुबेदारी मिल गई। झाँसी की सुबेदारी सँभालने के बाद 1842 में राजा गंगाधर राव(Raja Gangadhar Rao) ने मणिकर्णिका(Manikarnika) से शादी कर ली जिन्हें बाद में रानी लक्ष्मीबाई(Rani Lakshmi Bai) के नाम से जाना जाने लगा।

1857 में अँग्रेज़ों से लड़ी गई पहली आज़ादी की लड़ाई में लक्ष्मीबाई ने सेना का नेतृत्व किया और 1858 में शहीद हो गई। फिर 1861 में अँग्रेज़ों ने झाँसी किला(Jhansi Fort) और झाँसी शहर जीवाजी राव सिन्धिया(Jhansi City Jiwaji Rao Scindia) को दे दिया जिन्होंने झाँसी को ग्वालियर(Gwalior) राज्य का हिस्सा बना दिया लेकिन 1886 को ब्रिटिश सरकार ने झाँसी वापस ले ली।

स्वतंत्रता के बाद झाँसी को भारत के उत्तर प्रदेश(Uttar Pradesh) में शामिल किया गया। अभी झाँसी, डिवीज़न कमिश्नर(Division Commissioner) का मुख्यालय है जिसमें झाँसी, ललितपुर(Lalitpur) और जालौन जनपद(Jalaun district) शामिल है।

घूमने की जगह

बलवंत नगर(Balwant Nagar) के नाम से मशहूर झाँसी को उसका झाँसी नाम राजा बीर सिंह(Raja Veer Singh) के बनवाये गए झाँसी किले से मिला।

झाँसी खास तौर पर झांसी किले के लिए ही मशहूर है लेकिन इस ऐतिहासिक शहर में झाँसी किले के अलावा भी बहुत सी जगह है जहाँ लोग घूमने आते है। सबसे पहले बात करेंगे:-

1) झाँसी का किला:- झाँसी का किला(Jhansi Fort) उत्तर प्रदेश(Uttar Pradesh) के बगीरा पहाड़ (Bagheera Pahad) की चोटी पर स्थित है जिसका निर्माण 17वीं शताब्दी में राजा बीर सिंह ने करवाया था। लेकिन 1857 की लड़ाई में इस किले का एक हिस्सा नष्ट हो गया था।

इस किले के अंदर एक गणेश भगवान का मंदिर है और चंदेल वंश को समर्पित एक म्यूज़ियम (Museum) है। इसके अलावा यहाँ शहीदों को समर्पित युद्ध स्मारक है और रानी लक्ष्मीबाई पार्क(Lakshmibai Park) भी निर्मित है। किले में घूमने का समय सुबह 8:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक का है।

वही किले में घूमने के लिए आपको एक टिकट लेना होता है जिसकी फीस भारतीय पर्यटकों के लिए 5 रुपए प्रति व्यक्ति है और विदेशी पर्यटकों के लिए 200 रुपए प्रति व्यक्ति है।

2) झाँसी म्यूज़ियम:- झाँसी सरकारी म्यूज़ियम देश के महत्वपूर्ण और सबसे पुराने म्यूज़ियम में से एक है। म्यूज़ियम में कई ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण कलाकृतियाँ है जिसमें से बहुत चौथी शताब्दी की भी हैं। रानी लक्ष्मीबाई(Rani Lakshmibai) को समर्पित होने के अलावा म्यूज़ियम कलाकृतियों में भी संपन्न है जो कि आधुनिक उत्तर प्रदेश(Uttar Pradesh) के बुंदेलखंड (Bundelkhand) का समृद्ध इतिहास दर्शाता है।

इसका निर्माण 19वीं शताब्दी के अंत में हुआ था। झाँसी म्यूज़ियम सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक पर्यटकों के लिए खुला रहता है। म्यूज़ियम में प्रवेश के लिए भारतीय पर्यटक के 5 रुपए और विदेशी पर्यटकों के 25 रुपए लगते हैं।

3) राजा गंगाधर राव की छतरी:- राजा गंगाधर राव की छतरी झाँसी का एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थान है जो घूमने की अच्छी जगहों में से एक है। रानी लक्ष्मीबाई ने अपने पति और झाँसी के राजा गंगाधर राव के निधन के बाद उनकी याद और सम्मान में राजा गंगाधर राव की छतरी का निर्माण करवाया।

जो आज भी झाँसी की सांस्कृतिक विरासत के रूप में पुरे देश में मशहूर है। लोगों का मानना है उस वक्त रानी लक्ष्मीबाई हर दिन वहाँ आती थी और समय व्यतीत किया करतीं थीं। राजा गंगाधर राव की छतरी की यात्रा सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक की जा सकती है। यहाँ का प्रवेश फीस 200 रुपए प्रति व्यक्ति है।

4) बरुआ सागर झाँसी:- 260 साल पुराना झील बरुआ सागर झाँसी(Barua Sagar Jhansi) का केंद्रबिंदु है। यह शहर कई ऐतिहासिक लड़ाइयों का गवाह रहा है जिसमें पेशवा के सैनिकों और बुंदेलों के बीच लड़ी गई लड़ाई भी शामिल है।

झील के किनारे एक बांध संरचना है जिसे ओरछा के राजा उदित सिंह ने बनवाया था। ऐतिहासिक महत्व रखने के अलावा तटबंध संरचना बरुआ सागर शहर(Embankment Structure Barua Sagar City) के शानदार नज़ारे के लिए मशहूर है। यह जगह एक लुभावने झील के अलावा किलों और मंदिरों के कई खंडहरों का घर है जो एक ऐतिहासिक निशानी को प्रदर्शित करते है।

5) पंचतंत्र पार्क झाँसी:- पंचतंत्र पार्क विष्णु शर्मा द्वारा लिखित पंचतंत्र की किताब पर आधारित एक एनीमल थीम पार्क(Animal Theme Park) है। जिसे विशेषकर बच्चों के लिए बनाया गया है। इस पार्क में बच्चों के लिए कई जानवरों, आधारित स्लाइडों का निर्माण किया गया इसके अलावा वयस्कों के लिए जॉगिंग ट्रैक(jogging track) भी है।

यह पार्क सुबह 6 बजे से रात 8 बजे तक खुला रहता है और यहाँ पर प्रवेश करने के लिए 20 रुपए प्रति व्यक्ति का टिकट लगता है।

कैसे जाये और कहा रुके?

झाँसी जाने के लिए हवाई जहाज, बस और ट्रेन, तीनों की सुविधा है। झाँसी जाने के लिए कोई भी सीधी फ्लाइट कनेक्टिविटी नहीं है इस लिए पहले झाँसी के निकटतम हवाई अड्डे ग्वालियर एयरपोर्ट(Gwalior Airport) जाना होगा जो की झाँसी से करीब 100 किलोमीटर दूर है। यहाँ भोपाल, आगरा, मुंबई, दिल्ली और जयपुर(Jaipur) जैसे बड़े शहरों से सीधी फ्लाइट आती है।

ग्वालियर एयरपोर्ट पहुँचने के बाद झाँसी के लिए बस या टैक्सी से यात्रा की जा सकती है। तो अगर ट्रेन से यात्रा करने की बात की जाए तो यह यात्रा बहुत आसान और सुविधाजनक है। झाँसी में रेलवे जंक्शन मौजूद है जो बाकी ट्रेनों से भारत के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।

अगर सड़क मार्ग की बात की जाये तो झाँसी जाने के लिए किसी भी राज्य परिवहन की बस या टैक्सी से यात्रा की जा सकती है।

झाँसी से ग्वालियर की दूरी लगभग 102 किमी, माधोगढ़ से 139 किमी और आगरा से 233 किमी है। झाँसी में रुकने के लिए लो बजट से हाई बजट तक सभी प्रकार के होटल मौजूद है।

फागुन हवेली ओरछा, श्री राम होमस्टे, होटल सनसेट और पैराडाइस होमस्टे ऐसे ही कुछ होटल के नाम हैं।

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