(कथा की शुरुआत)
मोक्षदा एकादशी, जिसे मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी कहा जाता है, हिंदू धर्म में अत्यधिक पुण्यदायी और महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है। इस एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उसके पितरों को भी स्वर्गलोक में स्थान मिलता है। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है, और व्रतधारी सभी प्रकार के पापों से मुक्ति प्राप्त करता है। मोक्षदा एकादशी की कथा हमें भक्ति, धर्म, और भगवान की कृपा के महत्व का संदेश देती है।
बहुत समय पहले, गोकुलपुर नामक एक नगर में वैखानस नाम के एक धर्मनिष्ठ राजा का शासन था। राजा वैखानस अपनी सत्यनिष्ठा और न्यायप्रियता के लिए पूरे राज्य में प्रसिद्ध थे। उनकी प्रजा सुखी और समृद्ध थी, लेकिन राजा वैखानस के मन में एक गहरी चिंता थी। उनके सपनों में बार-बार उनके पितृलोक में निवास कर रहे पितर दिखाई देते थे, जो बहुत ही दुखी और कष्ट में थे।
एक दिन राजा वैखानस ने अपने दरबार में विद्वानों, ऋषियों, और पंडितों को बुलाया और उनसे पूछा, "हे विद्वानों, मेरे पितर दुखी और कष्ट में हैं। मैं उनके उद्धार के लिए क्या कर सकता हूँ? कृपया मुझे कोई ऐसा उपाय बताएं जिससे उन्हें मोक्ष प्राप्त हो और वे स्वर्ग में स्थान प्राप्त कर सकें।"
राजा की चिंता सुनकर दरबार में उपस्थित सभी विद्वान मौन हो गए, क्योंकि उन्हें इसका समाधान समझ में नहीं आ रहा था। तभी ऋषि वशिष्ठ दरबार में पधारे। उन्होंने राजा से कहा, "हे राजन, तुम्हारे पितर के कष्टों का निवारण संभव है। मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहा जाता है। इस दिन यदि तुम विधिपूर्वक भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करोगे, तो तुम्हारे पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होगी और वे स्वर्गलोक में स्थान पाएंगे।"
ऋषि वशिष्ठ के परामर्श को मानकर, राजा वैखानस ने मोक्षदा एकादशी का व्रत करने का निश्चय किया। उन्होंने पूरे विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा की, और इस व्रत का पालन किया। राजा ने अपने राज्य की प्रजा को भी इस व्रत के पालन के लिए प्रेरित किया।
पूरे दिन उपवास और भगवान विष्णु की भक्ति के साथ राजा ने यह व्रत किया। उनके समर्पण और भक्ति से भगवान विष्णु अत्यंत प्रसन्न हुए। भगवान विष्णु ने राजा को दर्शन दिए और कहा, "हे राजन, तुम्हारी भक्ति से मैं प्रसन्न हूँ। तुम्हारे पितरों को अब मोक्ष प्राप्त होगा और वे स्वर्गलोक में स्थान पाएंगे। तुम्हारी पूजा और व्रत के प्रभाव से तुम्हारे सभी पाप भी समाप्त हो जाएंगे।"
भगवान विष्णु की कृपा से राजा वैखानस के पितर को मोक्ष मिला और उन्हें स्वर्गलोक में स्थान प्राप्त हुआ। राजा वैखानस ने भगवान विष्णु की कृपा का आभार व्यक्त किया और अपने राज्य में धर्म और न्याय का मार्ग प्रशस्त किया।
मोक्षदा एकादशी की यह कथा हमें यह सिखाती है कि भगवान विष्णु की भक्ति और एकादशी व्रत के पालन से न केवल व्यक्ति के पापों का नाश होता है, बल्कि उसके पितरों को भी मोक्ष प्राप्त होता है। यह व्रत उन लोगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, जो अपने पितरों की आत्मा की शांति और उद्धार की कामना करते हैं।
"मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के पितरों को मोक्ष प्राप्त होता है और भगवान विष्णु की कृपा से उसे जीवन के सभी पापों से मुक्ति मिलती है।"