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DNA क्लियरली बता देगा, बड़ा होकर आपका बेटा डॉक्टर, इंजीनियर या फिर क्या बनेगा

Lubna

Ashish Urmaliya ||Pratinidhi Manthan

थ्रीइडियट फिल्म तो आपने देखी ही होगी, नहीं भी देखी तो बता दें, उसमें दिखाया गया है जैसेही बच्चा पैदा होता है उसके मां-बाप उसी वक्त यह निश्चित कर लेते हैं, कि बेटा या बेटीक्या बनेगा, बनेगी। उसके बाद जब बच्चा स्कूल कॉलेज की पढ़ाई करने लगता है तब उसे हररोज़ भावनात्मक रूप से दबाव बनाते हुए यह एहसास दिलाया जाता है, कि हमने तेरे से जुड़ेबड़े सपने देखे हैं, हमने सपना देखा था कि तू ये बनेगा, तू वो बनेगा आदि। जबकि बच्चाअपने जीवन को लेकर कुछ और सोच रहा होता है। फिल्म में यही दर्शाया गया है, कि मां-बापका अपने बच्चों पर अपने सपने थोपना गलत है।

लेकिनअब इस समस्या से बच्चे और मां-बाप दोनों को निजात मिलने लगा है, क्योंकि अब मां-बापको पहले से ही इस बात का अंदाजा हो जाता है, कि उनका बेटा बड़ा हो कर किस क्षेत्र मेंरूचि दिखायेगा, तो वे उसी दिशा में जाने के लिए उसे प्रोत्साहित कर पाएंगे और इसमेंबच्चे की भी ख़ुशी होगी।

दरअसल, विज्ञान ने अपना चमत्कारदिखाया है।

डिज़ाइनरबेबी वाले इस युग में दुनियाभर में ऐसी कई कंपनियां निकल कर सामने आ रही हैं, जो आपकेबच्चे का DNA टेस्ट कर आपको बता देंगी, कि वह आगे चलकर कलाकार बनेगा, खिलाडी बनेगा,डॉक्टर बनेगा, इंजीनियर बनेगा या फिर सामान्य इंसान आदि। चीन सहित दुनिया के कई देशोंमें जेनेटिक टेस्टिंग नामक इस तकनीक का बिज़नेस जोरों पर है। विगत वर्ष चीन में इस उद्योगका कारोबार 4.1 करोड़ डॉलर का था जो 2025 तक तीन गुना की बढ़ोत्तरी के साथ 13.5 करोड़डॉलर होने की प्रबल संभावनाएं हैं। 

कई लोग असहमत भी हैं।

दुनियामें सबसे अधिक आबादी वाला देश चीन है। यहां प्रति वर्ष औसतन 1.5 करोड़ बच्चे जन्म लेतेहैं। ऐसे में इस तकनीक के प्रति यहां की ज्यादातर आबादी का सहज रुझान है। क्योंकि कंपनियांअभिभावकों को बताती हैं, कि इस तकनीक के जरिये बच्चे के सीखने की क्षमता, याददाश्तशक्ति, तनाव सहने की क्षमता जैसे गुणों का पता लगाया जा सकता है। लेकिन कई विद्वानऐसे भी हैं, जो कंपनियों के इन दावों को विज्ञान की जगह महज एक जन्मपत्री करार दे रहेहैं। ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी के बिग डाटा इंस्टिट्यूट और अनुवांशिक विद के निदेशक गिलमैक्वेन के अनुसार, बच्चों के DNA के आधार पर इन सभी चीजों का आंकलन इतनी निश्चिततासे नहीं किया जा सकता है। 

आधुनिक भविष्यवक्ता-

वैज्ञानिकऔर कंपनियां इस तकनीक को आधुनिक युग के भविष्यवक्ता की संज्ञा देती हैं। सामान्य भाषामें समझें तो जैसे- पंडित जन्म समय, तारीख और नक्षत्र देख कर भविष्यवाणी करते थे अबवही काम ये कंपनियां DNA टेस्ट के जरिये कर रही हैं। यह बात तो यथार्थ सत्य है कि व्यक्तिका DNA उसके अनुवांशिक गुणों का वाहक होता है। दुनियाभर में यह कारोबार अपनी जड़ें मजबूतकर चुका है इस मामले में कंपनियों की एक पूरी पौध शुमार हो चुकी है। लेकिन इस क्षेत्रमें जो सबसे अग्रणी कंपनी मानी जाती है, वह है- जीन डिस्कवरी।

व्यापार का भविष्य उज्जवल है-

ग्लोबलमार्केट इनसाइट के मुताबिक, बच्चों के DNA से उनके गुणधर्मों का पता लगाने वाले इसकारोबार का भविष्य बहुत ही उज्जवल है। 2025 तक अकेले चीन में ही यह कारोबार करीब13.5 करोड़ डॉलर तक पहुंच जायेगा। निवेश अनुशंधान कंपनी 'ईओ इंटेलिजेंस' ने साल2022 तक चीन में इसके बाजार का 40 करोड़ डॉलर पार जाने का अनुमान लगाया है। उनके अनुसार2022 तक 6 करोड़ चीनी लोग DNA टेस्टिंग किट का इस्तेमाल करने लगेंगे, जिनकी संख्या अभीकरीब 15 लाख है। 

कैसे होती है ये टेस्टिंग? 

इसमें बच्चे की लार व अन्य कई तरीकों से उसका DNA निकाला जाता है और उसमे संभावित रोगों के साथ उसके जीन्स के आधार पर उसके गुणों का आंकलन किया जाता है। उदाहरण के लिए, अगर कोई बच्चा ब्रेन प्रोटीन को तैयार करने के लिए निर्देशित करने वाले 'बीडीएनए जींस' से नदारद है तो उसमें  अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टीविटी डिसऑर्डर की आशंका बढ़ती है। इसी तरह अगर किसी बच्चे में एससीटीएन 3 जींस का कोई संस्करण मिलता है, तो उसके धावक बनने की संभावनाएं तेज हो जाती हैं। इसी तरह अन्य कई तरीकों से बच्चे के गुणों का पता लगाया जाता है। अब आप सोचकर देखिये, अगर अभिभावकों को समय से पहले ही पता लग जायेगा, कि उनका बच्चा अमुक क्षेत्र में रूचि रखेगा, तो कितना बेहतर होगा। वे बच्चे को शुरुआत से ही वैसा ही माहौल देने लगेंगे। हालांकि दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में इस परिक्षण को अलग-अलग शर्तों के साथ प्रतिबंधित किया गया है।

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