केंद्र सरकार की नई रोशनी योजना क्या है? देश की महिलाएं योजना के तहत ट्रेनिंग से बन सकेंगी आत्मनिर्भर ! 
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केंद्र सरकार की नई रोशनी योजना क्या है? देश की महिलाएं योजना के तहत ट्रेनिंग से बन सकेंगी आत्मनिर्भर !

यह योजना गैर-सरकारी संगठनों के माध्यम से कार्यान्वित की जा रही है

Anjali Satya Sharma

हमारे देश में महिलाओं की स्थिति बेहद ही चिंताजनक और दयनीय है। महिलाओं को काफी परेशानी होती है, उनको स्वास्थ्य, शिक्षा और भोजन के मामले में जन्म से पहले और बाद में भी भेदभाव का सामना करना पड़ता है।

कम उम्र में विवाह हो जाने के कारण महिलाएं अपने सपनों, इच्छाओं को पूरा नहीं कर पाई और समय से बहुत पीछे छूट गई हैं। देश का पूर्ण विकास महिला सशक्तिकरण(women empowerment) के बिना संभव ही नहीं है। आज इक्कीसवीं सदी(twenty first century) में भी नेतृत्व के मामले में महिलाएं पुरुषों की तुलना में काफी पीछे है।

केंद्र और राज्य सरकारों का प्रयास रहता है कि उनके द्वारा चलाई गई योजनाओं का लाभ महिलाओं को जल्द से जल्द मिले। हमारे भारतीय समाज का व्यवहार महिलाओं के प्रति काफी घृणित होते जा रहा है। महिलाएं शोषण(Exploitation) का शिकार हो रही है।

भारत सरकार समाज में बदलाव लाने के लिए बहुत प्रयास कर रही है और कई योजनाओं का शुभारंभ कर रही है। इन बातों को ध्यान में रखते हुए जाति, वर्ग और संख्या के आधार पर भी कई योजनाओं को चलाया जा रहा है और उन कार्यक्रमों पर काम भी किया जा रहा है।

इसी सोच के साथ सरकार ने अल्पसंख्यक महिलाओं के लिए "नई रोशनी योजना(Nai Roshni Scheme)" को बनाई है। अल्पसंख्यक महिलाओं के लिए बनाई गई इस योजना का उद्देश्य इन महिलाओं में नेतृत्व क्षमता का विकास करना है।

साथ ही साथ इस योजना के माध्यम से अल्पसंख्यक महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना है। अगर अल्पसंख्यक महिलाएं आत्मनिर्भर बनेंगी और अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होंगी, तब वह अपने हक और अधिकारों की मांग को लेकर आवाज बुलंद करेंगी।

योजना के बारे में

अल्पसंख्यक मंत्रालय(Minority Ministry) द्वारा वर्ष 2012-13 में "नई रोशनी योजना" की शुरुआत की गई। यह योजना महिला सशक्तिकरण को मजबूत बनाता है और अल्पसंख्यक महिलाओं को अपने जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। वित्त वर्ष 2017-18 में 31 जनवरी तक योजना के माध्यम से 69,150 महिलाओं को लाभ मिला था।

इस योजना के तहत मुस्लिम(Muslim), सिख(Sikh), ईसाई(Christian), पारसी(Parsi), बौद्ध(Buddhist) आदि अल्पसंख्यक महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए वर्ष 2016-17 में 14.13 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया था। वर्ष 2015-16 में योजना के लिए 14.81 करोड़ रुपए जारी किए गए थे इस वर्ष में योजना के माध्यम से कूल 58,725 महिलाओं को प्रशिक्षण दिया गया था।

वर्ष 2014-15 में योजना के माध्यम से 13.78 करोड़ रुपए जारी किए थे जिससे 71,075 महिलाओं को प्रशिक्षण देने का काम किया गया था। योजना के माध्यम से सभी गैर-प्रशिक्षित महिलाओं को 6 महीने में प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि वह अपने आप को बेहतर बना सके।

कुछ महीनों पहले अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने राज्यसभा(Rajya Sabha) को सूचित किया था कि सरकार ने पिछले तीन वर्षों (2018-19 से 2020-21) में इस योजना के अंतर्गत 26 करोड़ रुपए मंजूर करके लगभग एक लाख महिलाओं को प्रशिक्षित किया है।

सरकार की रिपोर्ट के अनुसार यह योजना 50,000 महिलाओं के लक्ष्य के साथ शुरू हुआ था। समय बढ़ता गया और योजना धरातल पर उतारते गए तब योजना का लक्ष्य भी बढ़ गया।

योजना का उद्देश्य, विशेषता और महत्व

योजना का उद्देश्य सभी स्तरों पर सरकारी प्रणालियों, बैंक और अन्य संस्थानों के साथ बातचीत करने के लिए ज्ञान, उपकरण और तकनीक प्रदान करके महिलाओं को विश्वासी और सशक्त बनाना है। योजना के तहत जो प्रशिक्षण महिलाओं को दी जाती है उसमें उन्हें निर्णय लेना सिखाया जाता है।

स्वच्छता, स्वास्थ्य और शिक्षा से जुड़े प्रशिक्षण दिए जाते है। महिलाओं को उनके कानूनी अधिकारों से अवगत कराया जाता है। यह योजना गैर-सरकारी संगठनों(non-governmental organizations) के माध्यम से कार्यान्वित की जा रही है। जिसे योजना के दिशा-निर्देशों के तहत लागू किया जा रहा है। महिलाओं का सशक्तिकरण ना केवल समानता के लिए आवश्यक है बल्कि नागरिक समाज की मजबूती और आर्थिक विकास के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है।

गरीबी के कारण महिलाएं और बच्चे सबसे ज्यादा पीड़ित होते हैं उन्हें समर्थन की आवश्यकता होती है। महिलाओं को सशक्त बनाना इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि वह घरों में अपने बच्चों का पालन पोषण भी करती हैं। यह योजना अल्पसंख्यक महिलाओं को उनके अपने घर और समुदाय से बाहर निकलने में मदतगार साबित होती है।

इससे महिलाएं अपने जीवन और रहन-सहन में बदलाव लाने के लिए सरकार के विकास कार्यक्रमों में शामिल हो सकती हैं। योजना के तहत चयनित उम्मीदवार(selected candidate) को दो प्रकार के प्रशिक्षण संगठन द्वारा दिए जाते हैं पहला आवासीय और दूसरा गैर आवासीय। महिलाओं को लाभ मिल सके इसके लिए दोनों ही प्रशिक्षण दिए जाते हैं।

पहले इस योजना की शुरुआत 2 राज्यों में की गई थी आगे चलकर इसे आठ अलग-अलग क्षेत्रों में शामिल किया गया जिसमें पश्चिम बंगाल(West Bengal), असम(Assam), पंजाब(Punjab), आंध्र प्रदेश(Andhra Pradesh), केरल(Kerela), गुजरात(Gujarat), राजस्थान(Rajasthan) और उत्तर प्रदेश(Uttar Pradesh) आदि राज्यों में चालू है।

योजना की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इस प्रोग्राम की गतिविधियों को बढ़ाकर प्रशिक्षण को बेहतर बनाया जाएगा। योजना के तहत प्रशिक्षण प्राप्त कर रही महिलाओं के लिए खाने पीने की व्यवस्था के साथ निधि की भी व्यवस्था की जाएगी।

योजना के लिए पात्रता, दस्तावेज

जो भी अल्पसंख्यक महिलाएं इस योजना में आवेदन करना चाहती हैं वह अपनी योग्यता सुनिश्चित कर लें ताकि उन्हें भविष्य में किसी भी परेशानी का सामना ना करना पड़े। यह योजना केवल अल्पसंख्यक महिलाओं के लिए लागू की गई है। पुरुष इस योजना में आवेदन नहीं कर सकते हैं।

अन्य जाति और समुदाय की महिलाएं भी इस योजना का लाभ नहीं ले सकती हैं। योजना के लिए आवेदन करने वाली महिलाओं की आयु 18 से 65 वर्ष के बीच होनी चाहिए‌। आवेदन करने वाली महिला का पारिवारिक वार्षिक आय 2.5 लाख या उससे कम होना चाहिए। योजना में आवेदन करने वाली महिलाएं बीपीएल श्रेणी(BPL Group) में आनी चाहिए।

आवेदक का आयु प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, आवासीय प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, बीपीएल राशन कार्ड(BPL Ration Card), बैंक खाता विवरण और अल्पसंख्यक प्रमाण पत्र होना अनिवार्य है। योजना में आवेदन करने के लिए आपको सबसे पहले योजना की आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा।

पेज को खोलने के बाद रजिस्टर(Registration) का ऑप्शन आएगा वहां से आपको योजना में रजिस्ट्रेशन करना होगा। रजिस्ट्रेशन फॉर्म में आपसे आपकी जानकारी जैसे नाम, पिता का नाम, पता, मोबाइल नंबर आदि पूछे जाएंगे उन सबको भरना होगा। इसके बाद आपसे आधार कार्ड मांगा जाएगा जिसे वेरीफाई करना होगा उसके बाद आप रजिस्टर कर पाएंगे।

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