क्या है स्टैंड-अप इंडिया योजना? जानिए योजना का उद्देश्य, लाभ और महत्त्व!  
सरकारी योजना

क्या है स्टैंड-अप इंडिया योजना? जानिए योजना का उद्देश्य, लाभ और महत्त्व!

स्टैंड-अप इंडिया स्कीम की शुरुआत 2016 में हुई थी

Anjali Satya Sharma

स्टैंड-अप इंडिया स्कीम(Stand-Up India Scheme) की शुरुआत 2016 में हुई थी। इसका मकसद देश में कारोबार को बढ़ावा देना है। इस स्कीम के तहत 10 लाख रूपए से लेकर 1 करोड़ रूपए तक का लोन दिया जाता है। यह लोन(Loan) अनुसूचित जाति(Scheduled caste), अनुसूचित जनजाति(Scheduled Tribes), पिछड़ा वर्ग(backward class) और महिला कारोबारी(Businesswomen) को मिलता है।

माना जाता है कि यह इतना सक्षम नहीं होते हैं कि अपना कारोबार खुद बढ़ा सकें। लिहाज़ा, केंद्र सरकार(Central Government) इन्हें अपना कारोबार खड़ा करने के लिए यह क़र्ज़ देती है। आर्थिक सशक्तिकरण और रोज़गार सृजन पर ध्यान केंद्रित करते हुए ज़मीनी स्तर पर उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए 5 अप्रैल, 2016 को स्टैंड-अप इंडिया योजना शुरू की गई थी।

2019-20 स्टैंड-अप इंडिया योजना को 2020-25 की 15वीं वित्त आयोग की अवधि के साथ पूरी अवधि के लिए बढ़ा दिया गया था। देश के निचले वर्गों के उधमियों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू किए गए इस लोन योजना को स्टैंड-अप इंडिया स्कीम के नाम से जाना जाता है।

कारोबार को शुरू करने के दौरान पहले 3 साल तक इनकम टैक्स(Income Tax) में छूट मिलती है। इसके बाद इस पर बेस रेट के साथ 3% का ब्याज दर लगता है जो कि टेन्योर प्रीमियम से अधिक नहीं हो सकता है। इस कर्ज को लौटने के लिए 7 साल का समय मिलता है हालांकि मोरेटोरियम(Moratorium) का समय 18 महीने रहता है।

योजना के उद्देश्य और विशेषताएं

स्टैंड-अप इंडिया योजना का उद्देश्य महिलाओं एवं अनुसूचित जाती और अनुसूचित जनजाति के समुदायों के लोगों में उद्यमिता को बढ़ावा देना है और उन्हें विनिर्माण, सेवा या व्यापार क्षेत्र एवं कृषि से जुडी गतिविधियों के क्षेत्र में ग्रीनफील्ड उद्यम शुरू करने में सहायता प्रदान करना है।

योजना के उद्देश्य में महिलाओं एवं अनुसूचित जनजाति के समुदायों में उद्यमिता (entrepreneurship) को बढ़ावा देना, विनिर्माण, सेवा या व्यापार क्षेत्र और कृषि से संबंधित गतिविधि के क्षेत्र में ग्रीनफील्ड उधमों(greenfield enterprises) के लिए ऋण प्रदान करना और अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों(commercial banks) की प्रत्येक बैंक शाखा में कम से कम एक अनुसूचित जाती, अनुसूचित जनजाति से संबंधित उधार लेने वाले और उधार की इच्छुक कम से कम एक महिला को 10 लाख रूपए से 1 करोड़ रूपए के बीच बैंक ऋण (Bank Loan) की सुविधा उपलब्ध कराना शामिल है।

हालांकि इसके लिए रेटिंग की श्रेणी देखी जाती है और उसी आधार पर ब्याज दर(Interest rate) पर तय होता है। यह लोन अधिकतम 7 साल के लिए दिया जाता हैं। इसमें अधिकतम 18 महीने का मोरेटोरियम पीरियड(Moratorium period) भी होता है। देश के निचले वर्गों के उद्यमियों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू की गए इस लोन योजना को स्टैंड-अप इंडिया योजना(Stand-up India Scheme) के नाम से जाना जाता है।

इसके तहत लाभार्थी को कारोबार को स्थापित करने के लिए रियायती दरों पर क़र्ज़ दिया जाता है। स्टैंड-अप इंडिया स्कीम(Stand-up India Scheme) के तहत काफी रियायती दर पर क़र्ज़ उपलब्ध कराया जाता है। कारोबार को शुरू करने के दौरान पहले 3 साल तक इनकम टैक्स में छूट मिलती है।

इसके बाद इस पर बेस रेट(base rate) के साथ 3 फीसदी का ब्याज दर लगता है जो कि टेन्योर प्रीमियम(tenure premium) से अधिक नहीं हो सकता है। इस क़र्ज़ को लौटने के लिए 7 साल का समय मिलता है हालांकि मोरेटोरियम का समय 18 महीने रहता है।

स्टैंड-अप इंडिया क्यों?

व्यापार में सफल होने के लिए उद्यम स्थापित करने, ऋण प्राप्त करने और समय-समय पर अन्य सहायता प्राप्त करने में महिलाओं अनुसूचित जाती और जनजाति के समुदायों के लोगों के सामने आने वाली चुनौतियों की पहचान पर आधारित है। इसलिए यह योजना एक ऐसी इकोसिस्टम(Ecosystem) बनाने का प्रयास करती है जो कारोबार करने के लिए सुविधाजनक तथा सहायक वातावरण प्रदान करता है और इसे बनाए रखता है।

यह योजना उद्यम स्थापित करने के लिए उधार के इच्छुक व्यक्तियों को बैंक शाखाओं से ऋण प्राप्त करने में सहायता प्रदान करती है। अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों(commercial banks) की सभी शाखाओं में इस योजना की सुविधा उपलब्ध है। 10 लाख से 100 लाख तक के बीच सम्मिश्रण ऋण(blending loan) या सावधि ऋण(Term loan) और कार्यशील पूंजी(working capital) सहित की सहायता मिलती है।

इस योजना का उपयोग अनुसूचित जाती, जनजाति व महिला उद्यमी द्वारा विनिर्माण, व्यापार या सेवा क्षेत्र में नए उद्यम की स्थापना के लिए होता है। सावधि ऋण और कार्यशील पूंजी सहित परियोजना लागत का 75% संमिश्र ऋण(composite loan), यदि किन्हीं अन्य योजनाओं से संमिलन सहायता के साथ उधार कर्ता का अंशदान परियोजना लागत से 25% अधिक हो तो परियोजना लागत का 75% कवर करने में अपेक्षित ऋण संबंधी शर्त लागू नहीं होगा।

ब्याज दर संबंधित निर्धारित श्रेणी के लिए बैंक(Bank) द्वारा प्रयोज्य न्यूनतम ब्याज दर होगा। सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह लोन शिड्यूल्ड कामर्शियल बैंक(scheduled commercial bank) की हर शाखा को देना होगा। यह भी पहले ही स्पष्ट कर दिया गया है कि बैंक की हर शाखा को कम से कम एक लोन तो इस योजना के तहत करना ही होगा। इस योजना का लाभ लेने के इच्छुक व्यक्ति तहत सीधे बैंक से स्टैंड-अप इंडिया पोर्टल से या लीड जिला प्रबंधन “LDM” के माध्यम से ऋण हासिल कर सकते है।

स्टैंड-अप इंडिया योजना में ऋण प्राप्त करने के अनुसूचित जाती, जनजाति या महिला उद्यमी की आयु 18 साल से ज़्यादा होनी अनिवार्य है। योजना के तहत ऋण केवल परियोजनाओं के लिए उपलब्ध है। इस संदर्भ में ग्रीनफील्ड का मतलब है विनिर्माण, सेवा या व्यापार क्षेत्र और कृषि से संबद्ध गतिविधियों में लाभार्थी का पहली बार उद्यम।

गैर-व्यक्तिगत उद्यमों के मामलों में 51% शेयर-धारिता और नियंत्रण हिस्सेदारी अनुसूचित जाती, जनजाति के व्यक्ति या महिला उद्यमी के पास होनी चाहिए। उधार लेने वाले को किसी बैंक या वित्तीय संस्थान में ऋण न चूका पाने का दोषी नहीं होना चाहिए। इस योजना में ऋण प्राप्तकर्ता द्वारा जमा की जाने वाली अग्रिम घनराशि के 15% तक होने की परिकल्पना की गई है।

जिसे उपयुक्त केंद्रीय या राज्य योजनाओं के प्रावधानों के अनुरूप उपलब्ध कराया जा सकता है। ऐसी योजनाओं का लाभ स्वीकार्य सब्सिडी प्राप्त करने या अग्रिम धनराशि ज़रूरतों को पूरा करने के लिए किया जा सकता है। लेकिन सभी मामलों में उधार लेने वाले को परियोजना लागत का मिनिमम 10% स्वयं के योगदान के रूप में देना होगा।

स्टैंड-अप इंडिया योजना के लिए भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक “SIDBI” द्वारा ऑनलाइन पोर्टल (Online Portal)“www.standupmitra.in” विकसित किया गया है। जो ऋण के इच्छुक व्यक्तियों को बैंकों से जोड़ने के अलावा संभावित उद्यमियों को व्यावसायिक उद्यम स्थापित करने के उनके प्रयास में मार्गदर्शन प्रदान करता है। इनमें ट्रेनिंग सुविधा से लेकर बैंक की आवश्यकताओं के अनुसार ऋण आवेदन भरने तक के कार्य शामिल हैं।

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