Scheme for Adolescent Girls (SAG) 
सरकारी योजना

Scheme for Adolescent Girls (SAG)

योजना का मुख्य उद्देश्य घटक के तहत औपचारिक स्कूल शिक्षा

Anjali Satya Sharma

केंद्र सरकार ने किशोरियों के सशक्तिकरण के लिए राजीव गाँधी योजना [RGSEAG] या SABLA योजना का विस्तार और सार्वभौमिकरण किया है। यह सरकारी योजना 11-18 साल की स्कूल लड़कियों को उचित पोषण और सेवाएं प्राप्त करने में मदत करेगी।

सबला योजना किशोरियों के लिए मौजूदा पोषण कार्यक्रम [NPAG] और किशोरी शक्ति योजना [KSY] की जगह लेने जा रही है। केंद्र सरकार ने साल 2010 में SABLA या RGSEAG योजना को मंजूरी दी और इस योजना को 205 जिलों में लागू किया।

बाद में साल 2017-18 में सरकार ने 303 अन्य जिलों में इस योजना का विस्तार किया। अब केंद्र सरकार ने इस योजना को शेष जिलों में सार्वभौमिक कर दिया है। यहां तक की पूर्वोत्तर [NE] क्षेत्र के सभी जिलों को भी इसके चरण बद्ध विस्तार के तहत शामिल किया जाएगा।

योजना का मुख्य उद्देश्य घटक के तहत औपचारिक स्कूल शिक्षा या कौशल प्रशिक्षण के लिए वापस जाने के लिए प्रेरित करना है। इस योजना के तहत 11-14 साल के आयु वर्ग की पुरे पोषण के हकदार है उन्हें जीवन कौशल शिक्षा, पोषण और स्वास्थ्य शिक्षा सामाजिक क़ानूनी मुद्दों, मौजूदा सार्वजनिक सेवाओं आदि के बारे में जागरूकता होनी चाहिए।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने किशोर लड़कियों की दशा में सुधार लाने के लिए 21 फरवरी, 2019 को एक नई योजना की शुरुआत की है। जिसका नाम है "उत्तर प्रदेश किशोर बालिका योजना" जिसे Scheme for Adolescent Girls.

क्या है किशोरियों के लिए योजना SAG?

किशोरावस्था मनुष्य के जीवन का एक महत्वपूर्ण चरण होता है विशेषकर महिलाओं के लिए। इस स्तर पर एक लड़की में विभिन्न भावनात्मक और शारीरिक परिवर्तन होते हैं और महत्वपूर्ण दृष्टिकोण विकसित करने में मदत कर सकते हैं।

पौष्टिक भोजन की कमी से एक लड़की के विकास में बाधा आ सकती है और उसे अपनी क्षमता को पूरी तरह से प्राप्त करने में बाधा उत्पन्न हो सकती है। इसी मंशा से एसएजी की परिकल्पना की गई थी। किशोर लड़कियों के लिए योजना सरकार की एक केंद्र प्रायोजित योजना है जो 11 से 14 साल की उम्र की किशोरियों को लक्षित करती है।

किशोरियों के लिए योजना 2010 से 11-14 साल की उम्र की किशोरियों के लिए विशेष रूप में तैयार की गई थी ताकि देश में किशोरी बालिकाओं के पोषण और लिंग के नुकसान के अंतर पीढ़ी के जीवन चक्र को तोड़ने और आत्म-विकास बढ़ाने के लिए एक सहायक वातावरण प्रदान किया ज सके। यह 100 करोड़ की योजना है।

इस योजना के तहत ब्लॉक और पंचायत स्तर पर टास्क फ़ोर्स बनाए जाएंगे। पहले से ही बाल विवाह और दहेज़ को रोकने के लिए 32 हज़ार टास्क फ़ोर्स बनाए गए थे। जो अभी कोई काम नहीं कर रहे हैं।

लेकिन अब निगम की योजना इनकी संख्या 90 हज़ार पहुंचानी है। एक समूह में 15 किशोरियों को जोड़ा जाएगा। एसएजी उक्त आयु वर्ग की स्कूल न जाने वाली किशोरियों पर केंद्रित है। यह योजना महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के तहत 2011 में शुरू की गई थी। यह राज्य या केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों द्वारा कार्यान्वित एक केंद्र प्रायोजित योजना है।

योजना का उद्देश्य

इस योजना का व्यापक उद्देश्य 11 से 14 साल की उम्र की किशोरियों को पोषण प्रदान करना और सामाजिक और आर्थिक स्थिति में वृद्धि करना है। इसका उद्देश्य किशोरियों को शिक्षित और सशक्त बनाकर उन्हें देश की आत्मनिर्भर और जागरूक नागरिक बनाना है। एजी को आत्म-विकास और सशक्तिकरण के लिए सक्षम करें। उनके पोषण और स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार करें।

स्वास्थ्य, स्वच्छता, पोषण, किशोर प्रजनन और यौन स्वास्थ्य और परिवार और बच्चे की देखभाल के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना है।

उनके घर आधारित कौशल, जीवन कौशल का उन्नयन और व्यावसायिक कौशल के लिए राष्ट्रीय कौशल विकास कार्यक्रम के साथ गठजोड़, औपचारिक या गैर-औपचारिक शिक्षा में मुख्य धारा स्कूल से बाहर किशोरियां और मौजूदा सार्वजनिक सेवाओं जैसे पीएचसि, सीएचसी, डाक-घर, बैंक, पुलिस स्टेशन आदि के बारे में जानकारी या मार्गदर्शन प्रदान करना योजना का उद्देश्य है।

किशोरियों को आत्म-विकास और सशक्तिकरण के लिए सक्षम बनाना है। किशोरियों के पोषण और स्वास्थ्य, पोषण और स्वच्छता के प्रति जागरूकता को बढ़ावा देना है। स्कूल से बाहर की किशोरियों को औपचारिक स्कूली शिक्षा या ब्रिज लर्निंग या कौशल प्रशिक्षण में सफलतापूर्वक वापस लाने के लिए सहायता करना है। उनके घर-आधारित कौशल और जीवन कौशल का उन्नयन करना है।

एसएचजी योजना के तहत प्रदान की जाने वाली अन्य सेवाओं के साथ-साथ किशोरियों की ऊंचाई वजन, बीएमआई को रिकॉर्ड करने के लिए आंगनवाड़ी केंद्रों में राज्यों द्वारा किशोरी स्वास्थ्य कार्ड का रखरखाव किया जाता है।

कार्ड में योजना के तहत उपलब्धियों या परिणामों का विवरण भी होता है। जीवन कौशल शिक्षा, गृह प्रबंधन पर मार्गदर्शन की पेशकश की जाती है ताकि वह बड़े होने पर समाज के उत्पादक सदस्य बन सकें।

सार्वजनिक सेवाओं तक पहुँचने पर परामर्श या मार्गदर्शन, पंचायती राज संस्थाओं के सदस्यों, गैर-सरकारी संगठनों या सीबीओ, स्वास्थ्य कर्मियों, पुलिस कर्मियों, बैंक अधिकारियों, डाकघर के अधिकारियों स्कूल अधिकारियों आदि के सहयोग से जागरूकता वार्ता और दौरों की व्यवस्था की जाती है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने 11 से 14 साल के उम्र के बीच पढ़ाई छोड़ने वाली लड़कियों की शिक्षा की देखभाल के लिए किशोरियों के लिए योजना शुरू की है। यूपी में इस सबला योजना का व्यापक उद्देश्य पोषण, स्वास्थ्य और विकास की स्थिति में सुधार स्वास्थ्य, स्वच्छता, पोषण और परिवार की देखभाल के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना है।

इसके अलावा सबला योजना उन्हें जीवन कौशल सीखने, स्कूलों में वापस जाने, सामाजिक वातावरण की बेहतर समझ हासिल करने और समाज के उत्पादक सदस्य बनने के लिए पहल करने के अवसर भी प्रदान करेगी।

उत्तर प्रदेश में किशोर-लड़कियों के लिए योजना 11 से 14 साल की आयु वर्ग में स्कूल न जाने वाली सभी किशोरियों को कवर करेगी। SABLA योजना केंद्र सरकार द्वारा वित्त वर्ष 2010 में स्वीकृत की गई थी और पहले से ही देश भर के 205 जिलों में लागू की गई हैं।

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