Schemeप्रसाद यानी "तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक संवर्धन ड्राइव" जिसे अंग्रेजी में "Pilgrimage Rejuvenation And Spirituality Augmentation Drive" के नाम से भी जाना जाता है। इस योजना की शुरुआत 2014-15 में की गई थी।
यह योजना शत-प्रतिशत केंद्रीय रूप से वित्त पोषित है। यह योजना धार्मिक पर्यटन अनुभव प्रदान कराना और साथ ही प्राथमिकता वाले और स्थायी तरीके से तीर्थ स्थलों का एकीकृत विकास करना है।
पर्यटन मंत्री जी. किशन रेड्डी(Tourism Minister G. Kishan Reddy) ने राज्यसभा में एक प्रश्न के उत्तर में जानकारी दी कि बिहार(Bihar) राज्य के लिए स्वदेश दर्शन योजना के अंतर्गत कई परियोजनाओं को स्वीकृत किया गया है। जैन थीम के अंतर्गत वैशाली आरा, मसाद(Masad), पटना(Patna), राजगीर पावापुरी(Rajgir Pavapuri), चंपापुरी(Champapuri) में तीर्थाकर सर्किट के विकास की साल 2016-17 में 37-20 करोड़ रूपए की राशि के साथ स्वीकृती दी गई थी।
इसके लिए अब तक 26.11 करोड़ रूपए की राशि जारी की गई है। वहीं सुल्तानगंज, धर्मशाला, देवघर में आध्यात्मिक विषय के अंतर्गत आध्यात्मिक सर्किट का एकीकृत विकास साल 2016-17 में 44.76 करोड़ रूपए की राशि की लागत से स्वीकृत किया गया। 42.52 करोड़ रूपए की राशि जब तक जारी की गई है।
बोध गया(Bodh Gaya) में कन्वेंशन सेंटर(Convention Center) के निर्माण के लिए साल 2016-17 में 98.73 करोड़ रूपए की राशि की लागत से स्वीकृति दी गई थी जिसके तहत 93.22 करोड़ रूपए अब तक जारी किए गए हैं। ग्रामीण थीम के तहत भितिहरवा, चन्द्रहिया, तुकरलिया को वर्ष 2017-18 में 44.65 करोड़ रूपए की राशि की लागत से स्वीकृत किया गया है। इसके तहत 35.72 करोड़ रूपए अब तक जारी किए गए है।
केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय(Union Ministry of Tourism) ने साल 2014-15 में तीर्थ स्थल संरक्षण एवं आध्यात्मिक विकास के लिए प्रसाद योजना की शुरुआत की है। बुनियादी ढांचे के विकास के लिए विभिन्न परियोजनाओं को भी प्रसाद योजना(Prasad Yojana) के तहत शुरू किया गया है।
प्रसाद योजना के तहत 918.92 करोड़ रूपए की कुल 30 परियोजनाओं को मंज़ूरी दी गई है। प्रसाद योजना को लागू करने के लिए पर्यटन मंत्रालय में एक मिशन निदेशालय स्थापित किया गया है। मंत्रालय चिन्हित स्थलों पर पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकारों को केंद्रीय वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
सार्वजनिक वित्त पोषण के भीतर घटकों के लिए, केंद्र सरकार 100% वित्त पोषण प्रदान करती है और परियोजना की स्थिरता में सुधार के लिए योजना कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व(Corporate Social Responsibility[CSR]) और सार्वजनिक निजी भागीदारी(Public Private Partnership[PPP]) को भी शामिल करना चाहती है।
संशोधित अनुमान 2014-15 में 15.60 करोड़ रूपए का बजट प्रावधान किया गया था। इस योजना के तहत बिहार के गया के विष्णुपद मंदिर(Vishnupad Temple) में मूलभूत सुविधाओं के विकास के लिए 85.78 लाख रूपए की पहली क़िस्त जारी की गई थी। पर्यटन मंत्रालय के तहत भारत सरकार ने वर्ष 2014-15 में प्रसाद योजना शुरू की थी।
प्रसाद एक केंद्रीय योजना है जो धार्मिक पर्यटन अनुभव को समृद्ध करने के लिए देश भर में तीर्थ स्थलों की पहचान करने और विकसित करने पर केंद्रित है। प्रसाद योजना की विस्तृत जानकारी के लिए उम्मीदवार आधिकारिक वेबसाइट tourism.gov.in पर जा सकते है।
प्रसाद योजना को शुरू करने के बहुत सारे उद्देश्य है जिसमें एक संपूर्ण धार्मिक पर्यटन अनुभव प्रदान करने के लिए योजनाबद्ध, प्राथमिकता और टिकाऊ तरीके से तीर्थ स्थलों का एकीकृत विकास, रोज़गार सृजन और आर्थिक विकास पर इसके प्रत्यक्ष और गुणक प्रभाव के लिए तीर्थ पर्यटन को बढ़ावा देना, तीर्थ स्थलों के विकास में समुदाय आधारित विकास और ख़राब पर्यटन समर्थक अवधारणा का पालना किया जाता है और सार्वजनिक पूंजी और विशेषता का लाभ उठाना शामिल है।
साथ ही धार्मिक स्थल में विश्व स्तरीय अधोसंरचना विकसित कर पर्यटकों के आकर्षण को बढ़ाना एक स्थायी तरीका है, आय के बढ़ते स्रोतों को बेहतर जीवन स्तर और क्षेत्र के समग्र विकास के संदर्भ में पर्यटन के महत्व के बारे में स्थानीय समुदायों में जागरूकता पैदा करना और चिन्हित स्थानों में आजीविका उत्पन्न करने के लिए स्थानीय कला(Local Art), संस्कृति हस्तशिल्प(Culture Handicraft), व्यंजन(Food) आदि को बढ़ावा देना भी इस योजन के उद्देश्य है।
प्रसाद योजना की विशेषता है कि 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान केंद्रीय क्षेत्र की योजना के रूप में लागू की जाएगी, योजना की निगरानी, रिव्यु और ओवरऑल मार्गदर्शन की जिम्मेदारी के साथ एवं अध्यक्ष के रूप में पर्यटन मंत्रालय के प्रभारी मंत्री के साथ NSC के किया जाएगा और डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट(Detailed Project Report) के प्रिपरेशन की ज़िम्मेदारी के साथ PMC मिशन निदेशालय द्वारा नियुक्त किए जाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक सलाहकार होगा।
योजना के मैनेजमेंट स्ट्रक्चर(Management Structure) में मिशन के उद्देश्यों और योजना के विजन को पूरा करना शामिल है। यह योजना समग्र मार्गदर्शन, समीक्षा और निगरानी के लिए ज़िम्मेदारी होगी। मिशन निदेशालय द्वारा प्रस्तुत परियोजनाओं को मंजूरी देने और कार्यान्वयन की प्रगति की नियमित निगरानी के लिए एक केंद्रीय मंजूरी और निगरानी समिति [CSMS] होगी। यह मिशन जायरेक्टरेट द्वारा नियुक्त किया जाने वाला राष्ट्रीय स्तर का सलाहकार होगा।
सरकार की प्रसाद योजना में सबसे बड़ी भूमिका रही है। जब से भारत में पर्यटन मंत्रालय एवं केंद्रीय सरकार द्वारा यह योजना लांच हुई है तब से संयुक्त रूप से पूरी फंडिंग और विकास की प्रक्रिया केवल सरकार द्वारा ही की गई है।
साल 2015-16 के दौरान बजट के तहत ग्लोबल स्टैंडर्ड्स(Global Standards) के पर्यटन स्थलों को विकसित करने के लिए स्वदेश दर्शन योजना में 600 करोड़ तथा PRASAD योजना में 100 करोड़ रूपए एलोकेट किए गए है। इस पर कार्य करने वाले पब्लिक सेक्टर्स और कुछ कॉर्पोरेट सेक्टर्स(Corporate Sector) द्वारा फंड जारी कर दिया गया है और विकास की प्रक्रिया का कार्य भी शुरू हो गया है।
योजना के तहत चयनित धार्मिक स्थलों में उत्तरांचल(Uttaranchal) राज्य के यमुनोत्री, गंगोत्री तीर्थ स्थल, मध्य प्रदेश(Madhya Pradesh) राज्य के अमर कंटक तीर्थ स्थल, झारखंड राज्य के पारसनाथ, अजमेर(Ajmer), कामाख्या(Kamakhya), जगन्नाथ पुरी(Jagannath Puri), कांचीपुरम(Kanchipuram), द्वारिका(Dwarka), अमृतसर(Amritsar), केदारनाथ(Kedarnath), मथुरा(Mathura), वाराणसी(Varanasi), गया(Gaya), वैल्कांनी, अमरावती(Amravati) आदि शामिल किए गए है।
योजना के संचालन के लिए केंद्र सरकार द्वारा चयनित राज्यों को फंड प्रदान किया जाएगा। इसके अतिरिक्त पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप और कॉर्पोरेट सोशल उत्तरदायित्व के सहयोग से भी कायाकल्प एवं विकास का कार्य किया जाएगा।
केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय के तत्वाधान में चयनित धार्मिक स्थलों में विकास के कार्यों की सूचि तैयार की जाएगी। इसके पश्चात योजनाबद्ध तरीके से राज्यों द्वारा परियोजना डेवलपमेंट प्रोग्रेस रिपोर्ट DPR तैयार की जाएगी।
DPR पास होने के बाद परियोजना कम करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा 100% फंडिंग राज्यों को प्रदान की जाएगी। प्रसाद योजना को लागू करने के लिए पर्यटन मंत्रालय में एक मिशन निदेशालय स्थापित किया गया है।
मंत्रालय चिन्हित स्थलों पर पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकारों को केंद्रीय वित्तीय सहायता प्रदान करता है। सार्वजनिक वित्त पोषण के भीतर घटकों के लिए केंद्र सरकार 100% वित्त पोषण प्रदान करती है और परियोजना की स्थिरता में सुधार के लिए योजना कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व और सार्वजनिक-निजी भागीदारी को भी शामिल करना चाहती है।
संशोधित अनुमान 2014-15 में 15.60 करोड़ रूपए का बजट प्रावधान किया गया था। इस योजना के तहत बिहार के गया के विष्णुपद मंदिर में मूलभूत सुविधाओं के विकास के लिए 85.78 लाख रूपए की पहली क़िस्त जारी की गई थी।