मेक इन इंडिया पास या फ़ैल इस योजना से देश को मिलने वाले फायदे. "मेक इन इंडिया" पास या फ़ैल? इस योजना से देश को मिलने वाले फायदे !
सरकारी योजना

"मेक इन इंडिया" पास या फ़ैल? इस योजना से देश को मिलने वाले फायदे !

Anjali Satya Sharma

"मेक इन इंडिया" पास या फ़ैल? इस योजना से देश को मिलने वाले फायदे !

भारत की अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने के लिए और देश के विकास को रफ्तार देने के लिए ज़रूरी है की विदेशी आयात(foreign import) काम हो और हम आत्मनिर्भर बने। देश में विदेशी वस्तुओं के होने से या उनके इस्तेमाल करने में देसी उद्योग और उत्पादन पर असर पड़ता है और देश के विकास में गिरावट आती है।

भारत जैसे विकासशील देशों में सस्ती वस्तुओं का उपयोग ज़्यादा मात्रा में होता है जिससे देसी वस्तुए बेकार चली जाती है और कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ता है। देश में उत्पादन बढ़ाने और देश की वस्तुओं को उपयोग में लाने के लिए मोदी सरकार(Modi Government) ने 25 सितम्बर, 2014 में "Make in India" योजना का शुभ आरम्भ किया जिसका उद्देश्य देश में विनिर्माण क्षेत्रों को बढ़ावा देना है।

इस योजना से भारत को महत्वपूर्ण निवेश एवं निर्माण, संरचना तथा अभिनव प्रयोगों के वैश्विक केंद्र(global center) के रूप में बदला जा सकता है। इस योजना से भारत को महत्वपूर्ण निवेश एवं निर्माण, संरचना तथा अभिनव प्रयोगों के वैश्विक केंद्र के रूप में बदला जा सकता है।

"मेक इन इंडिया(Make in India)" मुख्य रूप से निर्माण पर केंद्रित है लेकिन इसका उद्देश्य देश में उद्यमशीलता को बढ़ावा देना भी है। इस योजना का दृष्टिकोण निवेश(outlook investment) के लिए अनुकूल माहौल बनाना, आधुनिक और कुशल बुनियादी संरचना, विदेशी निवेश के लिए नए क्षेत्रों को खोलना और सरकार एवं उद्योग के बीच एक साझेदारी का निर्माण करना है।

यह योजना एक तरह का स्वदेशी अभियान(Swadeshi campaign) है जिसमें अर्थव्यवस्था के कम से कम 25 क्षेत्रों को शामिल किया गया है। इस कार्यक्रम के तहत कंपनियों को खुद के प्रोडक्ट(product) बनाने के लिए प्रेरित किया जाता है। "मेक इन इंडिया(Make In India)" का एकमात्र मकसद भारत को ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब(Global Manufacturing Hub) में बदलना है।

क्या है मेक इन इंडिया योजना?

25 सितम्बर, 2014 को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(Prime Minister Narendra Modi) ने "मेक इन इंडिया(Make In India)" की शुरुआत की थी जिसका उद्देश्य देशव्यापी स्तर(nationwide level) पर विनिर्माण क्षेत्र का विकास है। औद्योगिक क्रांति ने इस संदर्भ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और विश्व को यह बताया कि अगर किसी देश का विनिर्माण क्षेत्र मज़बूत हो तो वह किस प्रकार उच्च आय वाला देश बन सकता है।

इस अभियान में सरकार ने वस्तुओं और सेवाओं को देश में ही बनाने पर ज़ोर दिया गया है जिससे देश में रोज़गार बढ़ेगा और नई तकनीकों की जानकारी होगी। इस अभियान के माध्यम से भारत सरकार देश में पूंजी और तकनी की निवेश बढ़ाना चाहती है।

इस अभियान के शुरू होने के बाद सरकार ने कई क्षेत्रों में FDI की सिमा को बढ़ाया है लेकिन सामरिक महत्व वाले क्षेत्र जैसे अंतरिक्ष में 74%, रक्षा में 49% और न्यूज़ मिडिया(news media) में 26% निवेश की अनुमति है, अभी भी इन क्षेत्रों में पूरी तरह से विदेशी निवेश के लिए नहीं खोला है।

यह योजना भारतीय नागरिकों के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है साथ ही यह योजना व्यापारियों, संभावित भागीदार और दुनिया भर के इन्वेस्टर्स(Investors) के लिए भी महत्व रखता है। आसान भाषा में कहे तो मेक इन इंडिया विश्व व्यापर(Make in India World Trade) के बाजार में बिकने वाली वस्तुओं को भारत में बनाने और उस वस्तु को बाजार में बेचने की बात करता है। अर्थात देश में उत्पाद बढ़ा कर निर्यात करना ताकि देश में विकास हो सके और रोज़गार उत्पन हो सके।

मेक इन इंडिया का फायदा और उद्देश्य

मेक इन इंडिया(Make in India) को शुरू करने के पीछे बहुत सारे उद्देश्य है जिसमें से एक है मध्यम अवधि निर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर में प्रति वर्ष 12-14% वृद्धि करना है। इस योजना में 2022 तक देश के सकल घरेलू उत्पादन में विनिर्माण की हिस्सेदारी में 16% से 25% की वृद्धि शामिल है तो वही विनिर्माण क्षेत्र में 100 मिलियन रोज़गार के अवसर पैदा करना भी आता है।

समावेशी विकास के लिए ग्रामीण प्रवासियों और शहरी गरीबों के बीच उचित कौशल का निर्माण करना, घरेलू मूल्य सवर्धन और निर्माण में तकनीकी गहराई में वृद्धि करना, भारतीय विनिर्माण क्षेत्र में वैश्विक प्रतिस्पर्धा बढ़ाना, विषेश रूप से पर्यावरण के संबंध में विकास की स्थिति सुनिश्चित करना इस योजना के उद्देश्य है।

अगर इस अभियान के फायदे की बात करें तो मेक इन इंडियन ने भारत में कई लोगों को नौकरी का अवसर प्रदान किया है। योजना का सबसे ज़्यादा फायदा युवा पीढ़ी को हुआ है। इसके बाद कारखानों में काम करने वालों को कारखाने के नजदीकी इलाकों में कमरा किराए पर चाहिए होगा जिससे मकान किराए पर देने वालों की वित्तीय सहायता होगी और साथ ही नई दुकानें भी खुलेगी।

जब लोगों को रोज़गार मिलने लगेगा, उनकी वित्तीय मदत होगी तो देश के जीडीपी(GDP) में सुधार होने लगेगा। भारत में निवेश करने वाली कंपनियां उत्पाद निर्माण करेगी जिससे व्यापर क्षेत्र बढ़ेगा और नए कारखाने खुलेंगे। और इसका असर अर्थव्यवस्था पर होगा जिससे जीडीपी में बढ़ोतरी होगी। आय का प्रभाव बढ़ेगा, निर्यात वास्तुकला(Export architecture), कपडा बाजार व अन्य क्षेत्रों के विकास की सम्भावना बढ़ेगी।

वही विनिर्माण भारत के उत्पादों के लिए एक वाणिज्यिक केंद्र में बदल देगा जिससे FDI का संग्रह होगा जो रूपए को डॉलर(Dollar) के मुकाबले मज़बूत करेगा। कारखाने की स्गापना एक क्षेत्र का सुधार करती है साथ ही वहां के लोगों को रोज़गार भी प्रदान करती है। इससे लोगों की गुणवत्ता बढ़ती है और अस्पताल, स्कूल व अन्य सार्वजनिक सुविधा का विकास होता है।

भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र(Democracy) है जो अब अपनी अर्थव्यवस्था को मज़बूत बनाने की राह पर चल रहा है। जिसके लिए देश में बहुत सारी योजनाओं का शुभ आरम्भ हुआ है। जिसमें से एक मेक इन इंडिया योजना ने देश-विदेश सभी जगह के निवेशकों के लिए भारत में व्यापार करने के दरवाज़े खोल दिए है।

बड़ी-बड़ी विदेशी कंपनियां इस योजना के तहत भारत में निवेश कर रही है। सरकार ने इस योजना के लिए 25 सेक्टर का चुनाव किया है जिसमें ऑटोमोबाइल(automobile), बायोटेक्नोलॉजी(biotechnology), केमिकल(chemical), रेलवे(railway), थर्मल पावर(thermal power), रोड एंड हाईवे(Road and Highway), विमान उद्योग(aircraft industry), रक्षा(protect), स्पेस(space), इलेक्ट्रॉनिक मशीन(electronic machine) आदि शामिल है।

इस पूरी योजना में लगभग 20 हज़ार करोड़ का निवेश हुआ है लेकिन शुरुआत में इसके लिए 930 करोड़ का इन्वेस्टमेंट प्लैन(investment plan) किया गया है जिसमें से 580 करोड़ भारत की सरकार दे रही है। हर देश में व्यापार व निवेश करने के अलग-अलग नियम और कानून है।

2015 में वर्ल्ड बैंक(World bank) ने 189 देशों के बीच "कहाँ व्यापार करना आसान है" पर एक रिसर्च किया जिसमें भारत 130 नंबर पर आया। उसके बाद वर्ल्ड बैंक ने व्यापार करने के लिए देश के 17 शहरों में सर्वे किया जिसके अनुसार लुधियाना(Ludhiana), हैदराबाद (Hyderabad), भुवनेश्वर(Bhubaneswar), गुड़गवा(Gurgaon) और अहमदाबाद(Ahmedabad) 5 मुख्य शहर है।

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